प्रिया - प्रियतम महोत्सव : तीसरे दिन भी प्रातः काल से ही राम नाम की गूंज ..

भगवान भोलेनाथ ने कहा कि धन्य हो गिरिराज कुमारी एक गंगा मेरी जटा में प्रवाहित हो रही और दूसरी गंगा रामकथा के रूप में आज मेरे मुख से प्रवाहित होकर सारे जगत को पवित्र करेगी अगर तुम कैलाश पर्वत पर न होती और रामकथा से संबंधित प्रश्न नही की होती तो यह रामकथा मेरे हृदय में छुपी रह जाती. 



- नया बाजार श्री सीताराम विवाह महोत्सव में आयोजित है महोत्सव
- संत मामा जी की स्मृति में आयोजित किया गया कार्यक्रम

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : नया बाजार स्थित श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम में पूज्य नारायण दास भक्तमाली उपाख्य मामाजी महाराज जी की पावन स्मृति में चल रहे 15 वें श्री प्रिया प्रियतम मिलन महोत्सव के तृतीय दिवस को भी विभिन्न कार्यक्रम आयोजित हैं. आश्रम के परिकरों के द्वारा प्रातः: काल में श्री रामचरितमानस जी का नवाह्न पारायण पाठ किया गया. दोपहर में श्री भक्तमाल मूल पाठ का सामूहिक गायन किया जाएगा.


महोत्सव में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन की कथा में प्रख्यात कथावाचक श्री वृंदावन धाम के उमेश भाई ओझा ने श्रीमद्भागवत के द्वितीय एवं तृतीय स्कंध की मनोहारी व्याख्या कर श्रोताओ का मन मोह लिया. उन्होने माता देवभूति एवं भगवान कपिल संवाद की व्याख्या करते हुए कहा कि भगवान कपिल ने माता देवभूति से कहा की मन ही मोक्ष एवं बंधन का कारण है. यदि मन भगवान में आसक्त हो जाए तो मोक्ष की प्राप्ति होती है तथा संसार में लग जाए तो बंधन का कारण बन जाता है. अतः इस मन को भगवान में ही लगाना चाहिए. साथ ही महाराज जी ने कहा कि परीक्षित जी ने जब शुकदेव जी से प्रश्न किया कि जिस व्यक्ति की मृत्यु नजदीक आ जाए वह कौन सी साधना करें कि उसका उद्धार हो जाए. इस प्रश्न के उत्तर में श्री शुकदेव जी ने कहा व्यक्ति अगर मनुष्य भगवान का गुणगाण सुने, गायन करें और उनका स्मरण करें. इन तीनों कामों से उसका उद्धार हो जाएगा.


आगे की कथा में कथा व्यास उमेश भाई ओझा ने सती चरित्र की व्याख्या करते हुए कहा कि अगर हृदय में भगवान की भक्ति ना हो तो पद और प्रतिष्ठा से मनुष्य में अहंकार बढ़ जाता है. यही अहंकार नाश का कारण बनता है. महाराज जी ने कहा कि प्रेम एकरंगी होता है बहुरंगी नहीं. प्रेम निष्कपट निस्वार्थ निष्कलंक एवं उत्तरोत्तर नित्यवर्धनीय एवं अविनाशी, अनिर्वचनीय होता है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार ब्रह्मा जी ने दक्ष को देवताओं का स्वामी बना दिया और राजा दक्ष इस प्रकार का पद प्राप्त कर अहंकारी हो गया. वह अहंकार से वशीभूत होकर भगवान शिव को अपने यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया. परंतु सती पितृ मोह में अपने पिता के घर आयोजित यज्ञ में जाने के लिए व्याकुल हो उठी. भगवान शिव के मना करने पर भी उन्होंने कहा स्वामी के घर सेवक को, गुरु के घर शिष्य को एवं पिता के घर बेटी को बिना बुलाए भी जाना चाहिए. अगर पिता मुझे ना भी बुलाए तो भी वहां जाने में कोई बात नहीं है. तत्पश्चात सती भगवान शिव के मना करने के बाद भी अपने पिता के यहां यज्ञ में बिना बुलाए जाती है और वहां अपमानित होकर यज्ञ कुंड में कूद जाती है. सती पार्वती के रूप में अवतरित होकर अपने पति शिवजी के लिए घनघोर तपस्या करती है. सप्तॠषियो के पूछने पर पार्वती जी ने कहा कि करोड़ों बार इस धरती पर जन्म लूंगी और अपने उसी पति शिव के लिए तपस्या करती रहूंगी. मैं चातक पक्षी की तरह स्वाति नक्षत्र के जल रूपी शिवजी को ही वरण करूंगी. 

भगवान शिव पार्वती के प्रेम में बिक जाते हैं और भगवान शिवा गले में हलाहल विष एवं शेषनाग को धारण किए हुए भूत प्रेतों की जमात लिए दूल्हा के रूप में चल पड़ते हैं. जिस भूत प्रेत सर्प आदि  को संसार के लोग उपेक्षित दृष्टि से देखते हैं उसी को भगवान भोलेनाथ अपनी शरण में रखते हैं. यह है इनका उदार हृदय. भगवान शिव पार्वती जी के विवाह से जगत को बहुत बड़ा लाभ मिला. राम कथा को रचकर भगवान शिव जी अपने हृदय में छुपा कर रखे थे. जब माता भवानी पत्नी के रूप में कैलाश पर्वत पर पहुंची तो भगवान भोलेनाथ से श्री राम कथा पूछती है. भगवान भोलेनाथ ने कहा कि धन्य हो गिरिराज कुमारी एक गंगा मेरी जटा में प्रवाहित हो रही और दूसरी गंगा रामकथा के रूप में आज मेरे मुख से प्रवाहित होकर सारे जगत को पवित्र करेगी अगर तुम कैलाश पर्वत पर न होती और रामकथा से संबंधित प्रश्न नही की होती तो यह रामकथा मेरे हृदय में छुपी रह जाती. तुम्हारा मेरे यहां पत्नी के रूप में आना सारे संसार के लिए मंगलदायी हो गया. प्रेम में कभी भी कपट नहीं करना चाहिए. जब तुम सती के रूप में थी किंतु मेरी माता सीता के रूप में धारण कर मेरे प्रभु श्री राघवेंद्र सरकार से परीक्षा ली और मुझसे झूठ बोल गई उसी समय तुम्हारे बीच प्रेम टूट चुका था. आज इस पार्वती के रूप में पुनः स्थापित हो गया. सती का अर्थ हठी किंतु पार्वती जी का स्वरूप सौम्य है.










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