शराब और हेरोइन का विकल्प बनी दवाएं, पुलिस-स्वास्थ्य विभाग का संयुक्त अभियान शुरु ..

एक टैबलेट को पीसकर उसे एविल में मिला कर लेने से यह नर्वस सिस्टम पर सीधा प्रहार करती है और दिमाग कुछ घंटों के लिए सुन्न हो जाता है. लेकिन, इसकी डोज जरा सी भी बढ़ी तो आदमी की मौत भी हो सकती है. कुछ दुकानदारों ने अब इसका इंजेक्शन मंगाना भी शुरु कर दिया. 


 





- दुकानों पर धड़ल्ले से मिल रही नशीली दवाएं
- बेखौफ होकर लोगों की जान से खेल रहे दुकानदार

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : एसपी की फटकार के बाद दो दिनों में हेरोइन के छोटे-छोटे दो कारोबारियों को गिरफ्तार करने वाली नगर थाने की पुलिस अब हेरोइन के अतिरिक्त नशे के दूसरे विकल्प इंजेक्शन और नशीली दवावों पर भी लगाम लगाने जा रही है. पुलिस का मानना है कि हेरोइन के साथ-साथ नशीली दवाओं की लकड़ी युवाओं को अपनी गिरफ्त में ले चुकी है. ऐसे में इस नेटवर्क को ध्वस्त करने प्रयास मंगलवार से शुरु कर दिया गया है. नगर थाने की पुलिस ने कुछ दवा दुकानों पर छापेमारी की. छापेमारी में पुलिस ने यह पाया कि दुकानदारों के पास कुछ ऐसी दवाओं का स्टॉक ज्यादा मात्रा में था, जिसका इस्तेमाल नशेड़ी कर रहे हैं. खास बात यह है कि इसका बिल आदि भी दुकानदार नहीं दिखा सके. ऐसे में इस मामले में नगर थानाध्यक्ष के द्वारा औषधि निरीक्षक को यह सुनिश्चित कराने को कहा है कि वह नियमित रूप से स्टॉक रजिस्टर चेक करें और यह पता लगाएं कि किस दवा की कितनी खपत दुकानदार के द्वारा की जा रही है. जिला औषधि नियंत्रक का कहना है कि औषधि निरीक्षक के द्वारा पुलिस के द्वारा चिह्नित कराई गई दुकान की जांच की गई. इसकी रिपोर्ट जल्द ही प्राप्त होगी जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई होगी.

इस तरह नशे के लिए काम आती है औषधि :

नगर थानाध्यक्ष दिनेश कुमार मालाकार ने बताया कि अब तक जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक नशेड़ी एलर्जी से बचने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली दवा एविल का उपयोग नशे के लिए कर रहे हैं. इसमें वह जरा सी हेरोइन मिलाते हैं और फिर उसे गर्म करते हैं. बाद में इसी को नशे के रूप में शरीर में इंजेक्ट कराते हैं. यह नशा एक-दो घंटे तक रहता है. 

एविल के साथ एलप्राजोल का खतरनाक मिश्रण बन सकता है जानलेवा :

नाम न छापने की शर्त पर एक दवा दुकानदार ने बताया कि एविल के इंजेक्शन के साथ अल्प्राजोलम को मिलाकर उसे इंजेक्ट करा कर भी नशेड़ी अपनी तलब को पूरा करते हैं. अल्प्राजोलम आमतौर पर टैबलेट के रूप में मिलता है. एक टैबलेट को पीसकर उसे एविल में मिला कर लेने से यह नर्वस सिस्टम पर सीधा प्रहार करती है और दिमाग कुछ घंटों के लिए सुन्न हो जाता है. लेकिन, इसकी डोज जरा सी भी बढ़ी तो आदमी की मौत भी हो सकती है. कुछ दुकानदारों ने अब इसका इंजेक्शन मंगाना भी शुरु कर दिया. 

100 एमएल के कफ सिरप से 375 एमएल की शराब जितना नशा :

कुछ दुकानदारों ने यह भी बताया कि शराबबंदी के बाद उसके विकल्प के रूप में कफ सिरप की बिक्री भी खूब बढ़ गई है. कोडिन युक्त कफ सिरप की 100 एमएल की शीशी यूपी से 70 रुपये में लाकर जिले में 100 रुपये में बेची जा रही है. यह 375 एमएल की शराब जितना नशा करती है. खास बात यह है कि टीबी के मरीजों को दी जाने वाली इस सिरप की बिक्री का हिसाब भी दुकानदार नहीं रखतें. या यूं कहें कि इसे अवैध तरीके से बेचा जाता है. इसके अतिरिक्त बहुत सारी दुकानों में एक्सपायरी विटामिन सिरप को भी सहेज कर रखा जाता है. इसमें भी अल्प्राजोलम की गोलियां मिला इसे नशे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.

मुनाफे के चक्कर में अपना धर्म भूल जाते हैं दुकानदार :

सूत्र बताते हैं कि एविल इंजेक्शन की एक पांच एमएल की वॉइल 50 रुपये की आती है लेकिन नशेड़ी इसके लिए 150 से 200 रुपये तक दुकानदार को भुगतान करते हैं. इसी प्रकार दो एमएल की इसी दवा की दो एमएल की छोटी खुराक के लिए 9.75 रुपये की जगह 50 रुपये वसूलते हैं. ऐसे में उन्हें तो कई गुना अधिक फायदा होता है लेकिन वो सीधे-सीधे मौत बेच रहे होते हैं.

नहीं हुआ लाइसेंस का रिन्यूअल तो होलसेलर बन गए खुदरा दुकानदार :

सरकारी नियमों के तहत अब कोई भी व्यक्ति खुदरा दवा दुकान का संचालन तभी कर सकता है जब उसके पास कोई फार्मासिस्ट हो. पहले एक फार्मासिस्ट के लाइसेंस को दिखाकर कई लोग अपनी दुकानों का संचालन करते थे. जबकि होलसेल दवा दुकानदारों को फार्मासिस्ट की आवश्यकता नहीं है. ऐसे में जब खुदरा दुकानदारों को दिक्कत होने लगी तो उन्होंने होलसेल दवा दुकानदार के रूप में लाइसेंस लिया और फिर खुदरा बिक्री ही शुरु कर दी.

कहते हैं प्रभारी सिविल सर्जन :
कोडिन युक्त सिरप आदि के दुरुपयोग की बात सामने आने के बाद राज्य स्वास्थ्य समिति ने सरकारी अस्पतालों में इसकी सप्लाई बंद कर दी है. अल्प्राजोलम का उपयोग भी नींद लाने में सहायक होता है. लेकिन किसी भी दवा का गलत प्रयोग भयंकर दुष्परिणाम लाता है.
डॉ भूपेंद्र नाथ,
प्रभारी चिकित्सा अधीक्षक, बक्सर

कहती हैं औषधि नियंत्रक :
पुलिस के द्वारा सूचना मिलने औषधि नियंत्रक आमोद कुमार के द्वारा दुकान की जांच की गई. उसकी रिपोर्ट जल्द ही प्राप्त होगी और उसी के आधार पर दुकानदार के विरुद्ध आगे की कार्रवाई होगी. कुछ दवाओं का सैंपल लिया गया है जिसे जांच के लिए भेजा जाएगा.
सुषमा कुमारी, जिला औषधि नियंत्रक, बक्सर









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