वीडियो : थर्मल पावर प्लांट के निर्माण में बाधक बन रहे भ्रम फैलाने वाले लोग ..

थर्मल पावर प्लांट के अधिकारियों का कहना है कि 99 फीसद किसानों को सरकार द्वारा तय मुआवजा मिला है फिर भी उनके द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है. जबकि उन्होंने मुआवजे की दर बढ़ाने के लिए न्यायालय में भी परिवाद दायर कर ही दिया है. ऐसे में काम रोकने का कोई मतलब ही नहीं है.
जानकारी देते पावर प्लांट के वरिष्ठ वित्तीय अधिकारी अभय शंकर शुक्ला





- प्रभावित क्षेत्र के विकास के लिए हो रहा सीएसआर फंड का उपयोग
- किसानों को मिला है उचित मुआवजा, भ्रमित कर रहे हैं उपद्रवी

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : एसजेवीएन थर्मल पावर प्लांट का निर्माण कार्य उपद्रवियों के द्वारा किए गए उपद्रव के बावजूद लगातार चल रहा है. उम्मीद है की वाटर पाइप लाइन और रेल कॉरिडोर के निर्माण का कार्य भी सुरक्षा बलों की निगरानी में जल्द ही शुरु होगा और पूरा भी कर लिया जाएगा. पिछले दिनों किसान प्रतिनिधियों ने अधिकारियों के साथ बातचीत की थी जिसके बाद कुछ सकारात्मक परिणाम निकलने के आसार दिखाई दे रहे थे. लेकिन, अब किसानों का कहना है कि जिन लोगों के साथ अधिकारियों ने वार्ता की वह किसान नहीं बल्कि किसान के वेश में कांट्रेक्टर थे. उधर, थर्मल पावर प्लांट के अधिकारियों का कहना है कि 99 फीसद किसानों को सरकार द्वारा तय मुआवजा मिला है फिर भी उनके द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है. जबकि उन्होंने मुआवजे की दर बढ़ाने के लिए न्यायालय में भी परिवाद दायर कर ही दिया है. ऐसे में काम रोकने का कोई मतलब ही नहीं है.

अधिकारियों ने प्रेस वार्ता करते हुए बताया कि कुछ लोग केवल अपने स्वार्थ में विकास के कार्य में रोड़ा बन रहे हैं और यह भ्रम फैला रहे हैं कि एसजेवीएन के द्वारा किसानों के हक का पैसा मुख्यालय में होने वाले निर्माण कार्यों में लगाया जा रहा है. जबकि जो राशि मुख्यालय में अथवा प्रशासन के निर्देश पर किसी अन्य जगह पर खर्च की जा रही है वह राशि सीएसआर फंड के अतिरिक्त है. 

इतना ही नहीं यह भी कहा जा रहा है कि किसानों को प्रति एकड़ कम राशि दी गई है. यह बात भी सरासर गलत है क्योंकि सरकार द्वारा जो भी दर निर्धारित की गई थी वह बिहार सरकार के द्वारा सभी किसानों को मुआवजे के रूप में दे दी गई है लेकिन सरकार के द्वारा निर्धारित शुल्क काटने के पश्चात यह राशि दी गई है ऐसे में जो राशि किसी पत्रिका में छपी हुई दिखाकर किसानों को भ्रमित किया जा रहा है. वही राशि किसानों के लिए निर्धारित है. लेकिन सरकार के द्वारा चार्ज काटने के बाद राशि कुछ कम हो गई है. 

इस गणित कोई ऐसे समझा जा सकता है कि हम कोई सामान खरीदते हैं तो उसमें सरकार को जीएसटी जाती है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि सामान का निर्धारित मूल्य जीएसटी काट कर दिखाया जाएगा. ऐसे में जो आरोप भारत सरकार के इस कंपनी पर लग रहे हैं, वह पूरी तरह से बेबुनियाद है.

कहते हैं अधिकारी :

ऊर्जा मंत्रालय के अधीन आने वाली एसजेवीएन थर्मल पावर प्लांट की एसटीपीएल कंपनी के द्वारा जो पावर प्लांट के निर्माण के कार्य में अब और अधिक विलंब करना राष्ट्र के हितों के साथ खिलवाड़ करना है ऐसे में किसानों के सहयोग से काम तेजी से शुरु किया जाएगा. किसानों का सहयोग पहले भी मिला है उम्मीद है कि आगे भी मिलेगा.

मनोज कुमार 
सीइओ
एसटीपीएल

वीडियो : 


















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