बक्सर लोकसभा सीट पर कांग्रेस और माले दोनों ने ठोका दावा ..

उनसे जब यह पूछा गया कि बक्सर लोकसभा सीट पर उनकी कितनी दावेदारी है तो उन्होंने कहा कि बक्सर लोकसभा सीट पर हमारी तैयारी और दावेदारी दोनों है. 23 जून को होने वाली महागठबंधन की बैठक का भी यह प्रमुख मुद्दा है. 







- कांग्रेस विधायक ने कहा - बक्सर लोकसभा में मजबूत हैं हम
- माले विधायक ने कहा - लोकसभा सीट पर हमारी तैयारी और दावेदारी दोनों 

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां तैयारियां शुरु कर चुकी हैं. भाजपा की कार्यसमिति बैठक के बाद सम्मेलन के बाद अब कांग्रेस ने कार्यकर्ता सम्मान समारोह आयोजित किया तो कांग्रेस के बाद अब नगर भवन में 14 जून को भाकपा माले के द्वारा कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है. बक्सर लोकसभा सीट से राजद के अतिरिक्त इन दो पार्टियों की दावेदारी भी प्रमुख रूप से सामने आ रही है. कांग्रेस विधायक ने अप्रत्यक्ष रूप से जबकि भाकपा माले ने प्रत्यक्ष रूप से इस सीट पर अपनी दावेदारी कर दी.



दरअसल, जिले के चार विधानसभा सीटों में से दो पर कांग्रेस का कब्जा है, जबकि एक पर भाकपा माले और एक राजद के कब्जे में है. इस बात को लेकर यह कयास लगाया जा रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बक्सर संसदीय क्षेत्र से सीट का प्रबल दावेदार कांग्रेस पार्टी है. बक्सर सदर सीट से कांग्रेस के विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी से जब यह पूछा गया कि कहीं कांग्रेस, कार्यकर्ता सम्मान समारोह के बहाने शक्ति प्रदर्शन तो नहीं कर रही? तो उन्होंने स्पष्ट किया कि जिस जिले में चार में से दो सीटों पर कांग्रेस के विधायकों का कब्जा है वहां शक्ति प्रदर्शन करने की क्या जरुरत? इस प्रकार विधायक ने यह साफ कर दिया कि लोकसभा सीट पर उनकी प्रबल दावेदारी है. दूसरी तरफ डुमरांव से भाकपा माले के विधायक अजीत कुमार सिंह ने कहा है कि 14 जून को राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य आ रहे हैं जो पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन में शामिल होंगे. इस पर उनसे जब यह पूछा गया कि बक्सर लोकसभा सीट पर उनकी कितनी दावेदारी है तो उन्होंने कहा कि बक्सर लोकसभा सीट पर हमारी तैयारी और दावेदारी दोनों है. 23 जून को होने वाली महागठबंधन की बैठक का भी यह प्रमुख मुद्दा है. 

यहां बता दें कि महागठबंधन की दो प्रमुख पार्टियां राजद और जदयू के नेता पूरी तरह से खामोश हैं. क्योंकि यह माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की निगाहें प्रधानमंत्री की कुर्सी पर तो लालू प्रसाद यादव की निगाहें अपने बेटे के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर टिकी हुई है. ऐसे में अन्य सहयोगी दल भली-भांति समझ रहे हैं कि चुनाव की घोषणा से पहले अपनी सीटों की दावेदारी पक्की कर लेना जरूरी है.






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