शौर्य जागरण यात्रा का हुआ समापन, बक्सर से शामिल विहिप सदस्यों ने भरी हुंकार ..

जो लोग सनातन विरोधी बातें करते थे. राम को काल्पनिक कहते थे, आज वहा राम मंदिर को जाकर देखें. राम का मंदिर बना है. वह भारत के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए दर्शनीय है. हमारे जितने भी संत-महात्मा और महापुरुष हुए उनमें रविदास, कबीर दास, सेना नाई, धन्ना, मलूक दास, गुरु नानक सबने राम का गुणगान किया है. 





- 28 सितंबर से चलकर 8 अक्टूबर तक आयोजित थी शौर्य जागरण यात्रा
- बक्सर से बस से रवाना हुए थे विश्व हिंदू परिषद के सदस्य

बक्सर टॉप न्यूज़,  बक्सर : बजरंग दल (विश्व हिंदू परिषद) के दक्षिण बिहार प्रान्त के द्वारा 28 सितंबर से चलकर 8 अक्टूबर को पटना स्थित सांस्कृतिक विद्यापीठ मैदान में समाप्त होने वाली शौर्य जागरण यात्रा के लिए बक्सर से विश्व हिंदू परिषद के सदस्यों ने जिलाध्यक्ष की अध्यक्षता में बस द्वारा प्रस्थान किया. यात्रा को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जिला प्रचार प्रसार प्रमुख राघव जी तथा नगर संघचालक ओमप्रकाश वर्मा ने भगवा गमछा दिखाकर प्रस्थान किया. इस अवसर पर राघव जी ने कहा कि आज  बजरंग दल की यात्रा पटना के लिए प्रस्थान कराया जा रहा है. इसका उद्देश्य यह है कि वर्षों की गुलामी के पश्चात आजाद देश में भी राम लला की भूमि पर मस्जिद बनी हुई थी, वहां आज मंदिर का निर्माण हो रहा है. 

यह मंदिर 14 जनवरी 2024 में बनकर तैयार हो जाएगा. इस बात को लोगों के बीच बताने और समझाने के लिए कि मंदिर बनाने में कितने लोगों ने बलिदान दिया और अपने प्राणों की आहुति  दी. बहुत तपस्या के बाद यह मंदिर बनकर तैयार हो रहा है. ऐसे में सभी सनातनी बंधुओं से निवेदन है कि अयोध्या में मंदिर का दर्शन करें. 

वहीं समापन समारोह में पाटलिपुत्र में गुरु गोविंद सिंह की जन्मस्थली, चंद्रगुप्त मौर्य की राजधानी से इस बात का आह्वान किया गया कि जो लोग सनातन विरोधी बातें करते थे. राम को काल्पनिक कहते थे, आज वहा राम मंदिर को जाकर देखें. राम का मंदिर बना है. वह भारत के लिए ही नहीं बल्कि दुनिया के लिए दर्शनीय है. हमारे जितने भी संत-महात्मा और महापुरुष हुए उनमें रविदास, कबीर दास, सेना नाई, धन्ना, मलूक दास, गुरु नानक सबने राम का गुणगान किया है. गुरु नानक ने कहा है कि राम नाम के बिना धरती पर जन्म लेना बेकार है. हमेशा रविदास ने राम का गुणगान किया. कबीर दास ने उनका गुणगान किया. वाल्मीकि ने किया. महाकवि गोस्वामी तुलसीदास ने किया. महात्मा गांधी ने रामराज की कल्पना की. 

राम को काल्पनिक कहने वालों को दी चुनौती : 

वक्ताओं ने कहा कि श्री राम काल्पनिक कैसे हो गए? अगर राम काल्पनिक हैं. हमारे देवी-देवता काल्पनिक हैं, तो विज्ञान को आज मैं चुनौती देता हूं. जगन्नाथ पुरी का मंदिर की मूर्ति का दिल क्यों धड़कता है या मंदिर में लगी ध्वजा हवा की विपरीत क्यों फहरता है. धीरेंद्र शास्त्री (बागेश्वर धाम सरकार) राम की महिमा, बजरंगबली का गुणगान करते हैं. दुनिया के लोग देख रहे हैं. उनकी बात का अनुसरण कर रहे हैं. यह तो कलयुग की बात है तो फिर वाल्मीकि के राम काल्पनिक कैसे हो गए?






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