ऐसी दुर्दशा देख रो रही होगी भगत सिंह की आत्मा : डॉ राजेश

इस कुव्यवस्था पर जनप्रतिनिधियों को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि आज जो जनता के वोट से जीत कर विधानसभा और लोक सभा में पहुंचे हैं उन्हें वास्तव में ना तो देश और ना ही देश की जनता से मतलब है. ऐसे में वह देश की आजादी और आजादी के प्रतीकों का महत्व क्या समझेंगे?






- भगत सिंह पार्क की बदहाली पर बिफरे चिकित्सक सह सामाजिक कार्यकर्ता
- जनता की तरफ से जनप्रतिनिधियों पर खड़े किए सवाल, क्या उम्मीदों पर खरे नहीं उतरेंगे जनप्रतिनिधि

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : आजादी के 76 वर्षों के बाद भी भगत सिंह को आजादी नहीं मिली है आजादी के जो दीवाने हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए थे उन्हें आज की स्थिति को देखकर रोना आ रहा होगा. यह कहना है प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ चिकित्सक एवं सामाजिक कार्यकर्ता राजेश मिश्रा का. उन्होंने कहा कि जिला मुख्यालय स्थापित भगत सिंह की प्रतिमा और उनके नाम पर बना एक मात्र पार्क अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है. यहां पार्क की बाउंड्री कई वर्षों से टूटी हुई है. भगत सिंह की प्रतिमा के समीप ही दिन में आवारा और बेसहारा पशु भ्रमण करते रहते हैं तो रात को असामाजिक तत्व यहां महफ़िल सजाते हैं इस बात को यहां फेंकी हुई शराब की खाली बोतलों और रैपरों से भी आसानी से समझा जा सकता है. इतना ही नहीं भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद कई दिनों तक माला नहीं हटाने से उसमें भी बदबू आने लग रही है.

डॉ राजेश ने इस कुव्यवस्था पर जनप्रतिनिधियों को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि आज जो जनता के वोट से जीत कर विधानसभा और लोक सभा में पहुंचे हैं उन्हें वास्तव में ना तो देश और ना ही देश की जनता से मतलब है. ऐसे में वह देश की आजादी और आजादी के प्रतीकों का महत्व क्या समझेंगे? डॉ राजेश ने कहा कि जनता को भी अपना चुनाव करने से पहले जनप्रतिनिधियों को आंकना चाहिए अन्यथा ऐसे ही जनप्रतिनिधि उनके वोट का मजाक बनाते रहेंगे. उन्होंने कहा कि जनता आज यह जानना चाहती है कि क्या जिस उम्मीद से उन्होंने नगर परिषद, विधानसभा और लोक सभा में जनप्रतिनिधियों के चुनाव किया था उनकी उसके प्रति कोई जवाबदेही नहीं है?






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