वीडियो : बक्सर के विश्वामित्र की मदद से एक साल में तीन दर्जन युवा बने अधिकारी, क्रम लगातार जारी ..

प्रशासन के द्वारा की गई इस व्यवस्था का लाभ बच्चे बखूबी उठा रहे हैं. इस व्यवस्था के माध्यम से लाभान्वित होकर वह तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर सरकारी नौकरियां पा रहे हैं. वित्तीय वर्ष 2023-24 की ही बात करें तो इस एक वर्ष में 36 बच्चों ने विभिन्न सरकारी नौकरियों को प्राप्त किया है. 











  • - प्रतियोगी बच्चों के लिए वरदान बन रहा अभियान विश्वामित्र
  • - हर साल प्रतियोगी परीक्षा में अपना परचम लहरा रहे युवा
  • - जिला मुख्यालय के एमपी उच्च विद्यालय में बनाई गई है ई-लाइब्रेरी
  • - दर्जनों विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं में प्राप्त कर चुके हैं सफलता

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : 5 सितंबर 2019 से जिला प्रशासन के द्वारा शुरु किया गया अभियान विश्वामित्र प्रतियोगी बच्चों के लिए वरदान बन रहा है. इस अभियान की सहायता से बिना किसी शुल्क के बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल होकर अपने जीवन में आगे बढ़ रहे हैं. या यूं कहें कि यह अभियान सफलता की फैक्ट्री बन गया है जिसके माध्यम से दर्जनों की संख्या में छात्र सरकारी नौकरियों में जा चुके हैं और अब भी यह क्रम जारी है.

जिला मुख्यालय के एमपी उच्च विद्यालय में अवस्थित शारदा कारखाने में एक तरफ जहां प्रतियोगी बच्चों को पढ़ाने के लिए जिला स्तरीय सरकारी पदाधिकारी स्वयं पहुंचते हैं. वहीं दूसरी तरफ इसी परिसर में 14 सितंबर 2021 को उद्घाटित की गई ई-लाइब्रेरी में बच्चे सेल्फ स्टडी के माध्यम से विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं. बच्चे प्रतिदिन सुबह 7:00 से रात 9:00 बजे तक पहुंचते हैं और यहां अपने अन्य साथियों के साथ बैठकर परीक्षाओं की तैयारी करते हैं. 

ई-लाइब्रेरी में बच्चों के लिए बीएसएनएल और एयरटेल का ब्रॉडबैंड भी लगाया गया है जिसकी सहायता से उन्हें अध्ययन करने में सहूलियत होती है. खास बात यह है कि ये सभी सुविधाएं पूर्णत: निशुल्क हैं.

प्रशासन के द्वारा की गई इस व्यवस्था का लाभ बच्चे बखूबी उठा रहे हैं. इस व्यवस्था के माध्यम से लाभान्वित होकर वह तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्राप्त कर सरकारी नौकरियां पा रहे हैं. वित्तीय वर्ष 2023-24 की ही बात करें तो इस एक वर्ष में 36 बच्चों ने विभिन्न सरकारी नौकरियों को प्राप्त किया है. आज 398 बच्चे ई-पुस्तकालय में नामांकित हैं, जिनमें 200 से ज्यादा बच्चे प्रतिदिन पुस्तकालय में आकर अध्ययन करते हैं.

अलग-अलग प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अलग-अलग ग्रुप :

पुस्तकालय में अलग-अलग प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले बच्चों ने अपना अलग-अलग ग्रुप बनाया है. ये बच्चे एक साथ बैठते हैं और न सिर्फ परीक्षा की तैयारी करते हैं बल्कि ग्रुप-डिस्कशन के माध्यम से अपने ज्ञान को और भी बढ़ाते हैं. जो बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल हो जाते हैं वह अन्य बच्चों को मार्गदर्शन देते रहते हैं.

महर्षि विश्वामित्र के अभियान से मिली प्रेरणा :

एमपी उच्च विद्यालय के प्राचार्य विजय मिश्र बताते हैं कि भगवान श्रीराम-लक्ष्मण को शिक्षा देने के दौरान महर्षि विश्वामित्र का यह अभियान था कि, "निशचर हीन करो मही" यानि धरती को राक्षसों से मुक्त करो. इस भाव को ध्यान में रखते हुए इस अभियान का भी नाम अभियान विश्वामित्र रखा गया है. महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि पर चलाए जा रहे इस अभियान में स्थापना काल से लेकर अब तक उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है. यह केवल संख्यात्मक नहीं बल्कि गुणात्मक वृद्धि है. इसकी उपलब्धि आप इसी से समझ सकते हैं कि कई दर्जन विद्यार्थी सरकारी नौकरियों में स्थान प्राप्त कर चुके हैं. कोई मलेरिया निरीक्षक, कोई उत्पाद निरीक्षक कोई दारोगा, कोई एफसीआई में मैनेजर तो कोई अध्यापक बना है.

देश स्तर पर इसी कांसेप्ट को लागू किए जाने की चर्चा :

प्राचार्य ने बताया कि यहां तन्मय होकर विद्यार्थी अनुशासन के साथ अध्ययन करते हैं. यह अध्ययन उपलब्धियां देने वाला होता है. शिक्षा विभाग से जुड़े तमाम अधिकारी यहां पहुंचे हैं और इस कांसेप्ट को देखने के बाद इसे देश स्तर पर इसे अपनाने की बात कही है. इस वर्ष 15 अगस्त से वैसे छात्रों को सम्मानित भी किया गया जिन्होंने यहां अध्ययन करते हुए प्रतियोगी परीक्षा में सफलता प्राप्त की है ताकि अन्य विद्यार्थी प्रेरणा ले सकें. सफल विद्यार्थियों के द्वारा अध्यनरत अन्य छात्रों को अपनी सफलता का मंत्र भी बताया गया.

बच्चों में स्वाभिमान का भाव जागृत रखने की कोशिश :

श्री मिश्र ने कहा कि बच्चों में स्वाभिमान का भाव बना रहे इसलिए जो भी दान दाता हैं उनसे यह कहा जाता है कि वह यदि वह यहां पढ़ने वाले बच्चों को कुर्सी-टेबल से लेकर कुछ भी दान देना चाहते हैं तो उस पर बिना अपना नाम लिखें दें ताकि बच्चों में स्वाभिमान का भाव बना रहे. ऐसा नहीं करने पर कोई भी दान स्वीकार्य नहीं होगा. इस ई-पुस्तकालय के विकास के लिए प्रशासन और समाजसेवियों के द्वारा भी लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. हाल ही में पुस्तकालय के सौंदर्यीकरण और सुविधाओं में इजाफा करने के लिए जिला प्रशासन की तरफ 15 लाख रुपयों फंड दिए जाने की बात भी हो रही है.

विद्यार्थियों ने कहा - प्रकृति के सानिध्य में अध्ययन का बेहतर माहौल :

यहां अध्ययन करने के लिए पहुंचने वाले विद्यार्थियों से बात करने पर उन्होंने बताया कि यहां खुला वातावरण और प्रकृति का सानिध्य है जिसके कारण यह लाइब्रेरी किसी प्राइवेट लाइब्रेरी से अलग है. यह एक टेबल पर चार बच्चे बैठते हैं अगर किसी एक बच्चे को नींद भी आने लगे तो वह सामने बैठे बच्चे को देखकर प्रेरणा लेता है और फिर आलस्य को छोड़कर पढ़ाई में लग जाता है. उन्होंने कहा कि वह सुबह से ही यहां पहुंच जाते हैं. दिन में एक बार भोजन आदि के लिए घर जाते हैं और फिर वापस आकर अध्ययन में लग जाते हैं. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के साथ-साथ यहां 12वीं की तैयारी कर रहे हैं बच्चे भी पहुंचे हुए थे. जिन्होंने बताया कि यहां अध्ययन का एक बेहतर माहौल मिलता है और खास बात यह है कि यह सब कुछ नि:शुल्क है. ऐसे में यह पहुंचकर वह काफी सुकून से अपनी पढ़ाई कर पाते हैं.

जिला पदाधिकारी से लेकर तमाम अधिकारी निभा रहे सक्रिय भूमिका :

प्राचार्य विजय मिश्र बताते हैं कि वर्ष 2021 में तत्कालीन जिला पदाधिकारी राघवेंद्र सिंह, अनुमंडल पदाधिकारी कृष्ण कुमार उपाध्याय एवं उप निर्वाचन पदाधिकारी आशुतोष राय जैसे अधिकारियों के मार्गदर्शन से यह अभियान शुरू किया गया था. वर्ष 2021 में तत्कालीन जिला पदाधिकारी अमन समीर के द्वारा यहां लाइब्रेरी की स्थापना कराई गई. वर्तमान में जिला पदाधिकारी अंशुल अग्रवाल, उप विकास आयुक्त डॉ महेंद्र पाल एवं उत्पाद निरीक्षक आलोक रंजन जैसे अधिकारी थी यहां पहुंचते हैं और विद्यार्थियों को मार्गदर्शन देते हैं.

कुछ सफल छात्रों की सूची : 

बृजनंदन - मलेरिया निरीक्षक 

शिल्पी कुमारी - एनटीपीसी 

अनमोल कुमार - विद्यालय अध्यापक

अमित कुमार - विद्यालय अध्यापक 

राहुल कुमार - विद्यालय अध्यापक

रामरतन - विद्यालय अध्यापक

प्रियंका कुमारी - विद्यालय अध्यापक

गोपाल जी उपाध्याय - विद्यालय अध्यापक 

पवन कुमार - विद्यालय अध्यापक 

विशाल कुमार - बिहार दारोगा 

अंकुश कुमार - बिहार दारोगा 

 राजा बाबू - बिहार दारोगा

शिवम दूबे - बिहार दारोगा 

विभा कुमारी - बिहार दारोगा

अभिषेक कुमार - बिहार दारोगा 

रियाज - बिहार पुलिस 

अंकित कुमार - इंडियन रेलवे 

राहुल कुमार - इंडियन रेलवे 

सुधांशु कुमार - इंडियन रेलवे 

विक्की कुमार - इंडियन रेलवे 

अविनाश कुमार - इंडियन रेलवे

आनंद गिरी - इंडियन रेलवे 

प्रदीप कुमार मौर्य - बीएसएफ 

विक्की कुमार - एसएससी सीजीएल 

समीर अशर्फी - एफसीआई क्लर्क 

शशिकांत - सीजीएल एएसओ

गुलशन कुमार - एसएससी सीजीएल ईआई


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