वीडियो : फर्जी डिग्री धारी हैं उत्पाद अधीक्षक के अधिवक्ता, होनी चाहिए कार्रवाई : अशोक सिंह

उन्होंने कहा कि सरकार ने जिस अधिवक्ता को सरकार का पक्ष रखने के लिए रखा है, वह शराब तस्करों की मदद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अधिवक्ता फर्जी डिग्री धारी हैं. ऐसे में वह अधिवक्ता के विरुद्ध सरकार को पत्र लिखेंगे और कार्रवाई की मांग करेंगे. 








- जदयू जिलाध्यक्ष ने उत्पाद विभाग के अधिवक्ता पर लगाएं गंभीर आरोप
- कहा - शराब तस्करों से मिलीभगत और उन्हें बचाने के लिए करते हैं दलाली

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : हाल ही में उत्पाद अधीक्षक दिलीप कुमार पाठक को शराब तस्करी मामले में जमानत मिलने के बाद उनके अधिवक्ता उमेश सिंह के द्वारा दिए गए बयान पर जदयू जिलाध्यक्ष अशोक सिंह ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि सरकार ने जिस अधिवक्ता को सरकार का पक्ष रखने के लिए रखा है, वह शराब तस्करों की मदद कर रहे हैं. उन्होंने अधिवक्ता का नाम लिए बगैर कहा कि अधिवक्ता फर्जी डिग्री धारी हैं. ऐसे में वह अधिवक्ता के विरुद्ध सरकार को पत्र लिखेंगे और कार्रवाई की मांग करेंगे. 

जदयू जिलाध्यक्ष ने कहा कि जब से उनकी गाड़ियां उत्पाद विभाग में चल रही है उस समय अधिवक्ता का न्यायालय में पदार्पण भी नहीं हुआ होगा. लेकिन अधिवक्ता सीधे जब उन पर आरोप लगा रहे हैं कि उनकी गाड़ियां हटाए जाने पर वह उत्पाद अधीक्षक के विरुद्ध मोर्चा खोल रहे हैं तो यह गलत है, जबकि उत्पाद अधीक्षक के विरुद्ध जून में औद्योगिक थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है और उनकी गाड़ी फरवरी 2024 में ही विभाग से हटा दी गई थी.

एसपी और डीएसपी नहीं होते तो बिक जाते अन्य अधिकारी :

जदयू जिलाध्यक्ष ने कहा कि जब उत्पाद अधीक्षक के विरुद्ध शराब तस्करों से मिलीभगत का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी तो एसपी ने मामले की जांच के बाद आरोपों को सत्य पाया, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उत्पाद अधीक्षक का चेक पोस्ट पर पदस्थापित होमगार्ड के जवान से बात कतई उचित नहीं था. इसी बात से यह साबित हो रहा है कि उत्पाद अधीक्षक किस प्रकार से तस्कर उसे मिले हुए थे. हालांकि एसपी और डीएसपी जैसे ही इमानदार अधिकारी नहीं होते तो जांच अधिकारी बिक जाते.

गाड़ियां लेने के बाद गतिविधियों को देखना विभाग का काम :

उन्होंने कहा कि अधिवक्ता के द्वारा चालक पर शराब तस्करों से मिले होने का आरोप लगाना भी गलत है. जब गाड़ियां विभाग को दे दी जाती है तो उसके संचालन तथा देखरेख की सारी जिम्मेदारी विभाग की होती है. गाड़ी भी विभाग की ही होती है और चालक भी विभाग का ही होता है. गाड़ियों को घर पर लाने की अनुमति तक नहीं होती. फिर चालक के साथ मिलाकर शराब तस्करी करने का आरोप कहाँ तक सही है?

यहां बता दें कि उत्पाद अधीक्षक दिलीप कुमार पाठक के विरुद्ध शराब तस्करी का आरोप लगा था जिसके बाद उनको विभाग से निलंबित कर दिया गया है.

वीडियो : 

अधिवक्ता का यह था बयान : 













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