दावा किया कि इशरत बानो के प्रतिनिधि ने 2025 के विधानसभा चुनाव में अपनी छवि बनाने को लेकर इस्तीफा दिया है. उन्होंने बताया कि उप मुख्य पार्षद तीन बार नगर परिषद की बैठकों से अनुपस्थित रही हैं, जिसके चलते उनकी सदस्यता स्वतः रद्द होने वाली थी.
- उप मुख्य पार्षद इशरत बानो ने कार्यपालक पदाधिकारी को त्याग पत्र किया प्रेषित
- गैर-न्यायिक है इस्तीफा प्रशासन पर दबाव बनाने की कोशिश
- सड़क निर्माण में किया है व्यापक भ्रष्टाचार
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : नगर परिषद की उप मुख्य पार्षद इशरत बानो ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन वह नियमों के अनुसार नहीं है. इशरत बानो ने कार्यपालक पदाधिकारी के नाम इस्तीफा भेजा, जबकि नगर पालिका अधिनियम के अनुसार, उप मुख्य पार्षद को मुख्य पार्षद को संबोधित करते हुए सदन में इस्तीफा प्रस्तुत करना होता है. यह कहना है नगर परिषद के वार्ड पार्षद चक्रवर्ती चौधरी का उन्होंने इसे प्रशासन पर दबाव बनाने की साजिश करार दिया है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि उनकी सदस्यता स्वत: ही जाने वाली थी.
चक्रवर्ती चौधरी ने दावा किया कि इशरत बानो के प्रतिनिधि ने 2025 के विधानसभा चुनाव में अपनी छवि बनाने को लेकर इस्तीफा दिया है. उन्होंने बताया कि उप मुख्य पार्षद तीन बार नगर परिषद की बैठकों से अनुपस्थित रही हैं, जिसके चलते उनकी सदस्यता स्वतः रद्द होने वाली थी. उनका आरोप है कि इस स्थिति से बचने और जनता की सहानुभूति पाने के लिए बानो ने अचानक इस्तीफा दे दिया.
चौधरी ने यह भी कहा कि बानो, जो अल्पसंख्यक समुदाय से आती हैं, सामंती शक्तियों के दबाव में काम कर रही हैं, और उनके इस्तीफे से जनता के वोट का अपमान हुआ है.
कभी नहीं उठाई जनता की आवाज :
वार्ड पार्षदों ने आरोप लगाया कि इशरत बानो ने अपने कार्यकाल के दौरान जनता की समस्याओं पर कोई आवाज नहीं उठाई. नगर परिषद में भ्रष्टाचार के आरोप लगे तो उन्हें सदन में मामला रखने का सुझाव दिया गया, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. चौधरी ने आरोप लगाया कि बानो और उनके प्रतिनिधि सिर्फ सोशल मीडिया पर बयानबाजी कर रहे हैं, जबकि वास्तविक मुद्दों पर उन्होंने सदन में कोई कदम नहीं उठाया.
उप मुख्य पार्षद के प्रतिनिधि ने कराया अधिकांश सड़कों का निर्माण :
चक्रवर्ती चौधरी ने बताया कि जिन सड़कों के टूटने का आरोप इशरत बानो के प्रतिनिधि सिंह ने लगाया है, वे अधिकांश सड़के उन्हीं के द्वारा बनाई गई थीं. बक्सर नगर के 20 वार्डों में बनी कई सड़कों की स्थिति खराब हो चुकी है. अहिरौली की सड़क का उदाहरण देते हुए चौधरी ने कहा कि यह सड़क उप मुख्य पार्षद प्रतिनिधि के कार्यकाल में बनाई गई थी और अब टूट चुकी है.
कार्यपालक पदाधिकारी के ट्रांसफर के चलते जल्दीबाजी में बनाई गईं सड़कें :
वार्ड पार्षद ने बताया कि कार्यपालक पदाधिकारी प्रेम स्वरूपम के कार्यकाल के अंतिम समय में जल्दबाजी में सड़कें बनवाई गईं. उन्होंने बताया कि कार्यपालक पदाधिकारी ने अपना ट्रांसफर निश्चित होने के कारण सभी वार्ड पार्षदों को चार दिनों में सड़कें बनवाने का निर्देश दिया था. इसी वजह से निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर ध्यान नहीं दिया गया, और अधिकांश सड़कें कुछ ही महीनों में खराब हो गईं.
अल्पसंख्यक महिला पर सामंती लगा रहे अनर्गल आरोप :
चौधरी ने कहा कि उन्हें 2002 से वार्ड पार्षद का अनुभव है और वे कई मुख्य पार्षदों के साथ काम कर चुके हैं. उनका मानना है कि जब सामंतियों का प्रभाव होता है, तो किसी भी अधिकारी को भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने नहीं दिया जाता. चौधरी ने कहा कि अब जब एक अल्पसंख्यक समुदाय की महिला को नगर परिषद के नेतृत्व का मौका मिला है, तो उन पर अनर्गल आरोप लगाकर नगर के विकास में बाधा डाली जा रही है.
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