आयोजन में बच्चों ने छठी मइया के पूजन की पूरी प्रक्रिया को बेहद प्रभावी तरीके से दर्शाया. ठेकुआ, फल-फूल, और ईंख के साथ सजाए गए दौरे के साथ बच्चों ने छठ घाट का जीवंत दृश्य प्रस्तुत किया. उन्होंने अर्घ्य देने और दीप जलाने की प्रक्रिया को इतने जीवंत ढंग से दिखाया कि सब मंत्रमुग्ध हो गए.
- लोयोला और आई प्ले आई लर्न स्कूल में बच्चों ने रंगोली, मिट्टी के खिलौनों और राम-सीता वेशभूषा में सांस्कृतिक प्रदर्शन किया
- एसएस कान्वेंट स्कूल के बच्चों ने छठ पूजा के मंत्रमुग्ध कर देने वाले गीतों और परंपरागत दृश्यों से बांधा समां
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : दीपावली और छठ महापर्व के अवसर पर जिले के विभिन्न विद्यालयों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. बक्सर नगर के पांडेय पट्टी स्थित लोयोला स्कूल में प्राचार्य समीक्षा तिवारी के निर्देशन में बच्चों ने सुंदर रंगोलियां बनाईं और मिट्टी के दीप व खिलौनों के माध्यम से पर्यावरण से जुड़े रहने का संदेश दिया. राजपुर के आई प्ले आई लर्न स्कूल में बच्चों ने भगवान श्री राम और माता सीता की अयोध्या वापसी का दृश्य आकर्षक वेशभूषा में मंचित किया. इस अवसर पर प्राचार्य दीपक कुमार, शिक्षकगण और विद्यार्थी उपस्थित रहे.
उधर, कृतपुरा के एसएस कान्वेंट स्कूल में प्राचार्य त्रिलोचन कुमार के मार्गदर्शन में बच्चों ने छठ पर्व का मनोरम दृश्य प्रस्तुत किया. बच्चों ने छठ के पारंपरिक गीत गाए, जिनसे माहौल भक्तिमय हो गया. इस आयोजन में बच्चों ने छठी मइया के पूजन की पूरी प्रक्रिया को बेहद प्रभावी तरीके से दर्शाया. ठेकुआ, फल-फूल, और ईंख के साथ सजाए गए दौरे के साथ बच्चों ने छठ घाट का जीवंत दृश्य प्रस्तुत किया. उन्होंने अर्घ्य देने और दीप जलाने की प्रक्रिया को इतने जीवंत ढंग से दिखाया कि सब मंत्रमुग्ध हो गए.
लोक आस्था का महापर्व छठ चार दिन तक चलने वाला अनुष्ठान है, जिसमें विशेष नियमों का पालन किया जाता है। पहले दिन नहाय खाय के अवसर पर गंगा स्नान के बाद चावल, दाल, और कद्दू की सब्जी बनाई जाती है, जिसे छठी मइया को भोग लगाया जाता है. अगले दिन खरना के रूप में गुड़ और चावल की खीर के साथ रोटी बनाई जाती है. इस दिन से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है, जिसे स्कूली बच्चों ने बहुत ही उत्कृष्ट रूप में प्रस्तुत किया.
छात्रा रागिनी कुमारी ने कहा कि आजकल किशोर और युवा रील्स बनाने में रुचि रखते हैं, जिससे वे अपनी संस्कृति और संस्कारों से दूर होते जा रहे हैं. इस तरह के कार्यक्रमों से बच्चों में सांस्कृतिक विकास होता है और उनकी जड़ें अपनी परंपराओं से जुड़ी रहती हैं. वहीं, विद्यालय के प्राचार्य त्रिलोचन कुमार ने कहा कि छठ महापर्व बिहार की संस्कृति का अभिन्न अंग है. यह पर्व स्वच्छता, सादगी, और प्रकृति के साथ जुड़ाव का प्रतीक है, जिसका महत्व नई पीढ़ी को समझाना आवश्यक है.
इस कार्यक्रम का संचालन शिक्षिका जिज्ञासा कुमारी और शिक्षक संदीप वर्मा के मार्गदर्शन में किया गया. इस दौरान प्रीति, अलका, अंकिता, सोनाली, मुस्कान, रागिनी, आनंदी, स्वेतांकी, खुशी, सृष्टि, साक्षी, अंजली, मोनालिका, आरुषि, रिया, प्रिय, अमृता, पलक, प्रतिज्ञा, प्रिंस, सिद्धार्थ, पीयूष, आर्यन, अंकेश, सुमित, प्रियव्रत, संदीप सहित कई बच्चों ने अपनी प्रस्तुति से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया.
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