कहा, "साइबर ठग अलग-अलग तरीकों से लोगों को ठगने की कोशिश करते हैं. अगर किसी के साथ ठगी हो जाए, तो तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें और साइबर थाने में आकर शिकायत दर्ज कराएं." उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि साइबर पुलिस पीड़ितों की सहायता के लिए हमेशा तत्पर है.
- साइबर थाने की पुलिस की मदद से मिली राहत
- पुलिस की लोगों से सतर्कता बरतने की अपील
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : व्यवहार न्यायालय के एक कर्मी से साइबर अपराधी द्वारा ठगे गए 50 हज़ार रुपये वापस दिलाए गए हैं. साइबर थानाध्यक्ष रजिया सुल्तान ने गुरुवार को पीड़ित व्यक्ति को 50 हज़ार रुपये का चेक प्रदान किया. पीड़ित कर्मी अखौरी राकेश कुमार सिन्हा ने साइबर थाने के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उन्हें अपने पैसे वापस मिलने की उम्मीद नहीं थी.
कैसे हुई ठगी?
न्यायिक कर्मी राकेश कुमार ने बताया कि दिसंबर 2023 में उन्हें एक फोन कॉल आया. कॉल करने वाले व्यक्ति ने खुद को बैंक अधिकारी बताते हुए उनके स्टेट बैंक के योनो एप्लीकेशन की केवाइसी अपडेट करने की बात कही. इस प्रक्रिया में उनसे दो बार ओटीपी पूछा गया. राकेश ने दोनों बार ओटीपी साझा कर दिया.
कुछ समय बाद उनके मोबाइल पर खाते से 50 हज़ार रुपये कटने का मैसेज आया. यह देख वे स्तब्ध रह गए. उन्होंने तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल किया. वहां से मिली त्वरित सहायता के चलते उनके खाते से जिस खाते में राशि ट्रांसफर हुई थी, उसकी निकासी पर रोक लगा दी गई. इसके बाद उन्होंने साइबर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई.
फिनो पेमेंट बैंक ने किया टालमटोल :
राकेश ने बताया कि ठगी की राशि धनबाद स्थित फिनो पेमेंट बैंक के खाते में ट्रांसफर हुई थी. न्यायालय ने फिनो पेमेंट बैंक को आदेश दिया कि वह ठगी की रकम वापस करे. बावजूद इसके, बैंक ने छह महीने तक टालमटोल किया. इस दौरान साइबर थाना अध्यक्ष ने लगातार बैंक प्रबंधक से संपर्क किया. अंततः बैंक ने राशि लौटाई.
ठगी रोकने में साइबर थाने की भूमिका :
साइबर थानाध्यक्ष रजिया सुल्ताना ने पीड़ित को चेक सौंपते हुए बताया कि साइबर ठगी के मामलों में तुरंत कार्रवाई बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि 1930 हेल्पलाइन और साइबर थाने की तत्परता के कारण यह मामला सफलतापूर्वक हल हुआ. उन्होंने यह भी बताया कि पुलिस की प्राथमिकता ठगी के शिकार लोगों को उनकी राशि लौटाना और अपराधियों पर कार्रवाई करना है.
जनता से अपील :
साइबर थानाध्यक्ष ने नागरिकों से अपील की कि वे फोन पर अपनी निजी जानकारी, ओटीपी या बैंक से जुड़ी अन्य सूचनाएं किसी के साथ साझा न करें. उन्होंने कहा, "साइबर ठग अलग-अलग तरीकों से लोगों को ठगने की कोशिश करते हैं. अगर किसी के साथ ठगी हो जाए, तो तुरंत हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें और साइबर थाने में आकर शिकायत दर्ज कराएं." उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि साइबर पुलिस पीड़ितों की सहायता के लिए हमेशा तत्पर है.
ठगी से बचने के सुझाव :
1. किसी अनजान फोन कॉल पर निजी जानकारी साझा न करें.
2. बैंक अधिकारी या अन्य अधिकारी बनकर आए कॉल्स पर सतर्क रहें.
3. किसी भी संदेहजनक गतिविधि पर तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन को सूचित करें.
4. अपने बैंकिंग ऐप और खाते से जुड़ी गोपनीयता का ध्यान रखें.
इस मामले में साइबर पुलिस की सक्रियता और न्यायालय के हस्तक्षेप से एक न्यायिक कर्मी को उनकी ठगी गई राशि वापस मिल पाई. इस घटना ने साबित किया कि सतर्कता और समय पर की गई शिकायत से साइबर अपराधों का समाधान संभव है. साइबर थानाध्यक्ष के प्रयासों ने जनता के बीच विश्वास को और मजबूत किया है.
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