अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के बाद पहली बार निकली इस बारात ने लोगों के उत्साह को कई गुना बढ़ा दिया है. बक्सर में ठहराव के दौरान भगवान श्रीराम के बारातियों का पारंपरिक ढंग से सत्कार किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
- भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता अमित पांडेय के नेतृत्व में हुआ स्वागत
- विश्व हिंदू परिषद के सदस्यों के साथ श्रद्धालु भी रहे मौजूद
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण के बाद पहली बार श्रीराम की बारात जनकपुर के लिए निकली, जो बुधवार की रात महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि बक्सर पहुंची. पारंपरिक और धार्मिक महत्व से जुड़ी इस यात्रा का यहां श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों ने पूरे भक्ति-भाव से स्वागत किया.
सुबह श्रीराम-जानकी मंदिर परिसर में आयोजित स्वागत समारोह में भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता अमित पांडेय ने बारातियों का अभिनंदन किया. महंत राजाराम शरण दास महाराज जी के सानिध्य में हुए इस आयोजन में श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीराम के आदर्शों को स्मरण किया.
कार्यक्रम में विश्व हिंदू परिषद के प्रदेश संयोजक कन्हैया पाठक, बक्सर जिला अध्यक्ष सिद्धनाथ मिश्रा, भाजपा नगर अध्यक्ष अजय वर्मा, राजीव नयन चौबे, सौरभ चौबे, विनय पांडे, अंकित पांडेय और अनिल राणा समेत कई स्थानीय गणमान्य लोग उपस्थित रहे.
राम मंदिर निर्माण से बढ़ा उत्साह :
अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के बाद पहली बार निकली इस बारात ने लोगों के उत्साह को कई गुना बढ़ा दिया है. बक्सर में ठहराव के दौरान भगवान श्रीराम के बारातियों का पारंपरिक ढंग से सत्कार किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया.
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व :
श्रीराम बारात की यह यात्रा जनकपुर में माता सीता के विवाह महोत्सव के लिए निकली है. यह परंपरा हर साल निभाई जाती है, लेकिन अयोध्या में मंदिर निर्माण के बाद इस बार इसे विशेष माना जा रहा है. इस धार्मिक आयोजन ने न केवल श्रद्धालुओं को आस्था से जोड़ा, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर को भी सहेजने का काम किया.
आयोजन को सफल बनाने में स्थानीय प्रतिनिधियों और आयोजकों की बड़ी भूमिका रही. उन्होंने बताया कि बक्सर का यह पड़ाव ऐतिहासिक परंपरा का अहम हिस्सा है, जहां भगवान श्रीराम की यात्रा से जुड़े अनगिनत श्रद्धालु हर साल आस्था से उमड़ते हैं.
बक्सर में हुए इस स्वागत-सत्कार ने न केवल धार्मिक आस्था को प्रबल किया, बल्कि भगवान श्रीराम के आदर्शों को जीवन में अपनाने का संदेश भी दिया.
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