गोसेवा से पूर्ण होते हैं सभी मनोरथ : आचार्य भारतभूषण

कहा कि यह जीवन-यज्ञ की सफलता और वंश परंपरा की समृद्धि का आधार है. उन्होंने कन्यादान को शास्त्रीय दृष्टि से महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि माता-पिता के बिना विधिपूर्वक दान किए कोई कन्या का स्पर्श तक नहीं कर सकता.









                                           


- श्रीमद्भागवत कथा में धर्म, संस्कार और गोवंश रक्षा पर जोर
- श्रद्धालुओं ने भजन संध्या का उठाया आनंद

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिले के डुमरांव अनुमंडल के सुरौंधा गांव स्थित तिलकब्रह्म बाबा स्थान पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के पांचवें दिन प्रख्यात भागवताचार्य आचार्य (डॉ.) भारतभूषण जी महाराज ने प्रवचन करते हुए कहा कि गोवंश का रक्त गिरना समाज पर कलंक है. उन्होंने कहा कि जहां गोवंश का रक्त गिरता है, वहां धर्म और अनुष्ठान कभी फलित नहीं होते. गोसेवा से सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं और यही कारण है कि भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं गोपाल और गोविंद के रूप में गोसेवा की.

आचार्य ने श्रीकृष्ण की गोवर्धन पर्वत धारण की कथा सुनाते हुए बताया कि कैसे देवराज इन्द्र ने व्रजमंडल में प्रलयंकर वर्षा कर भय उत्पन्न किया. भगवान श्रीकृष्ण ने सात दिनों तक गोवर्धन पर्वत धारण कर व्रजवासियों और गोवंश की रक्षा की. इसके बाद इन्द्र और देवताओं ने उन्हें 'गोविंद' पद पर अभिषेक किया.

उन्होंने कहा कि गाय पृथ्वी का स्वरूप है और इसके संरक्षण से समाज के कल्याण की राह प्रशस्त होती है. उन्होंने यह भी बताया कि श्रीकृष्ण के प्राकट्य पर वैदिक परंपराओं और सोलह संस्कारों का विधिपूर्वक पालन किया गया. नंद बाबा ने वेदज्ञ विप्रों द्वारा स्वस्तिवाचन और जातकर्म संस्कार का आयोजन कराया.

विवाह और संस्कारों की महत्ता पर बल :

रुक्मिणी मंगल की कथा के दौरान आचार्य ने विवाह को पवित्र संस्कार बताते हुए कहा कि यह जीवन-यज्ञ की सफलता और वंश परंपरा की समृद्धि का आधार है. उन्होंने कन्यादान को शास्त्रीय दृष्टि से महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि माता-पिता के बिना विधिपूर्वक दान किए कोई कन्या का स्पर्श तक नहीं कर सकता.

आचार्य ने दांपत्य जीवन में शास्त्रीय मर्यादा के पालन और पारंपरिक संस्कारों को अपनाने पर बल दिया. उन्होंने विवाह में आई विकृतियों पर चिंता व्यक्त की और पुरानी परंपराओं को पुनर्जीवित करने की अपील की.

श्रद्धालुओं ने लिया आध्यात्मिक लाभ :

इस अवसर पर प्रयागराज से पं. संजय द्विवेदी, बक्सर से पं. अनिल पांडेय, पं. गणेश ओझा और चित्रकूट से सिद्धार्थ शंकर शास्त्री ने रुद्राभिषेक और भागवत पाठ का आयोजन किया. यजमान प्रो. दिनेश तिवारी, मनोज ओझा, विष्णुधर तिवारी, लक्ष्मण पांडेय, ज्ञान प्रकाश, शिवशंकर तिवारी, विनोद तिवारी, घूरबिगन यादव और मुन्ना यादव समेत तमाम श्रद्धालुओं ने कथा में भाग लिया.

कार्यक्रम में वृंदावन से आए कलाकारों ने भजन संध्या का आयोजन किया, जिसमें श्रद्धालु भावविभोर हो गए. भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं और गोकुल की घटनाओं का वर्णन करते हुए कलाकारों ने माहौल को भक्तिमय बना दिया.

आचार्य ने कथा के अंत में पूतना मोक्ष, कालिय दमन, गोचारण, रासलीला और कंस वध सहित श्रीकृष्ण की विभिन्न लीलाओं का वर्णन किया. श्रद्धालुओं ने इन कहानियों से आध्यात्मिक लाभ उठाया और धर्म व संस्कार के महत्व को समझा.










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