कहना है कि रेलवे द्वारा रसीदें जारी की जा रही हैं, लेकिन अभी तक रेट लिस्ट नहीं लगाई गई है. हाल के धरने में भी यह मुद्दा उठाया गया था, जिसके बाद आश्वासन दिया गया था कि उनसे अधिक वसूली नहीं की जाएगी. हालांकि, अब वसूली तो नियमानुसार हो रही है, लेकिन रेट लिस्ट के अभाव में चालकों को असुविधा हो रही है.
- रेलवे और नगर परिषद के टोल नियमों में पारदर्शिता की कमी
- जीएसटी और रसीद विवाद पर चालक असमंजस में
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : शिक्षित बेरोजगार ऑटो चालक संघ ने ऑटो स्टैंड में निर्धारित टोल रेट का बोर्ड प्रदर्शित करने की मांग की है. चालकों का कहना है कि रेलवे द्वारा रसीदें जारी की जा रही हैं, लेकिन अभी तक रेट लिस्ट नहीं लगाई गई है. हाल के धरने में भी यह मुद्दा उठाया गया था, जिसके बाद आश्वासन दिया गया था कि उनसे अधिक वसूली नहीं की जाएगी. हालांकि, अब वसूली तो नियमानुसार हो रही है, लेकिन रेट लिस्ट के अभाव में चालकों को असुविधा हो रही है.
रेलवे द्वारा दी जा रही रसीद में 2 से 6 घंटे के लिए 30 रुपये, 6 से 12 घंटे के लिए 40 रुपये, और 12 से 24 घंटे के लिए 50 रुपये का भुगतान निर्धारित किया गया है. यह रसीद ठेकेदार आर के सिंह के नाम से जारी हो रही है.
जीएसटी ने बढ़ाई असुविधा :
रसीद पर 18% जीएसटी अतिरिक्त देने का प्रावधान लिखा गया है. लेकिन चालकों का कहना है कि यदि जीएसटी चुकाना अनिवार्य है, तो उन्हें पक्की रसीद मिलनी चाहिए. यह नियम चालकों के लिए अव्यवहारिक साबित हो रहा है, जीएसटी के बारे में भी पूरी जानकारी मिलनी चाहिए.
नगर परिषद की रसीद पर विवरण का अभाव :
नगर परिषद द्वारा ऑटो और ई-रिक्शा चालकों से 10 रुपये टोल लिया जा रहा है, लेकिन दी जा रही रसीदों पर टोल राशि का विवरण नहीं है. ठेकेदार प्रकाश राय ने बताया कि प्रिंटिंग प्रेस की गड़बड़ी के कारण ढाई लाख ऐसी रसीदें छप गई हैं, जिनमें शुल्क का विवरण नहीं दिया गया. उन्होंने आश्वासन दिया कि जल्द ही सही रसीदें चालकों को उपलब्ध कराई जाएंगी.
ऑटो चालक संघ का कहना है कि रेलवे और नगर परिषद की ओर से पारदर्शिता जरूरी है। उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही रेट लिस्ट चस्पा की जाएगी और चालकों को राहत प्रदान की जाएगी. रेलवे और नगर परिषद को इस मामले में तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि चालकों की समस्याएं हल हो सकें.
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