कहा कि छात्र नेता के द्वारा लगाए गए आरोप निराधार है. क्योंकि प्रतिमा स्थापना से लेकर रंग-रोगन अथवा किसी भी योजना को महाविद्यालय की विकास समिति अथवा भवन निर्माण समिति के द्वारा पास करने के बाद ही शुरु किया जाता है.
एमवी कॉलेज |
- छात्र नेता ने राज्यपाल को पत्र लिखकर की मामले की जांच करने की मांग
- राज्यपाल को पत्र लिखकर की भ्रष्टाचार की जांच करने की मांग
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : नगर के एकमात्र अंगीभूत महाविद्यालय में शैक्षणिक अव्यवस्था और भ्रष्टाचार को लेकर छात्र नेता और प्रभारी प्राचार्य आमने-सामने आ गए हैं. अव्यवस्था और भ्रष्टाचार की शिकायत करते हुए विद्यार्थी परिषद के पूर्व राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य विवेक सिंह ने कुलाधिपति सह राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग की है. उन्होंने पत्र लिखकर महाविद्यालय की शैक्षणिक और प्रशासनिक गड़बड़ियों पर जांच कमेटी गठित करने का आग्रह किया है. जबकि प्रभारी प्राचार्य ने आरोपों को बेबुनियाद बताया है.
विवेक सिंह ने अपने पत्र में आरोप लगाया है कि प्रभारी प्रधानाचार्य द्वारा विकास कार्यों के नाम पर भारी वित्तीय अनियमितताएं की जा रही हैं. इनमें निर्माणाधीन इनडोर स्टेडियम, महाविद्यालय की रंगाई-पुताई, पुस्तकालय विकास कार्य और विश्वामित्र मुनि की प्रतिमा स्थापना जैसे कार्य शामिल हैं. आरोप है कि इन सभी कार्यों में कमीशनखोरी की जा रही है.
शिक्षकों में फूट डालने का आरोप :
पत्र में यह भी कहा गया है कि नवनियुक्त शिक्षकों में फूट डालने और 'फूट डालो और राज करो' की नीति अपनाई जा रही है. उदाहरण के तौर पर, गणित विभाग के विभागाध्यक्ष की नियुक्ति और हिंदी विभाग की पूर्व विभागाध्यक्षा को हटाकर नई नियुक्ति के मामले को उठाया गया है. विवेक सिंह ने आरोप लगाया है कि इन सभी मामलों में प्रभारी प्रधानाचार्य का भ्रष्टाचार प्रमुख कारण है. विवेक सिंह ने कुलाधिपति सह राज्यपाल से इन मामलों की निष्पक्ष जांच कराने और एक जांच कमेटी गठित करने की मांग की है.
उधर, मामले को लेकर महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य प्रोफेसर डॉ सुभाष चंद्र पाठक ने कहा कि छात्र नेता के द्वारा लगाए गए आरोप निराधार है. क्योंकि प्रतिमा स्थापना से लेकर रंग-रोगन अथवा किसी भी योजना को महाविद्यालय की विकास समिति अथवा भवन निर्माण समिति के द्वारा पास करने के बाद ही शुरु किया जाता है. ततपश्चात इंजीनियर के द्वारा दिए गए एस्टीमेट के अनुसार ही काम कराया जाता है. ऐसे में कोई भी खर्च गलत तरीके से होने का सवाल ही नहीं है.
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