चौसा थर्मल पावर प्लांट : मार्च 2025 तक शुरु होगी पहली यूनिट

इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत पहली यूनिट को वित्तीय वर्ष 2024-25 के मार्च माह तक शुरू करने की योजना है. यह पावर प्लांट बिहार की बिजली आवश्यकताओं को पूरा करने में अहम योगदान देगा और राज्य के औद्योगिक विकास को नई गति प्रदान करेगा.
निर्माणाधीन थर्मल पॉवर प्लांट (फोटो साभार : सूर्यप्रकाश)









                                           



- बिहार की बिजली आपूर्ति को मिलेगी मजबूती
- 1320 मेगावाट की परियोजना से रोजगार और औद्योगिक विकास को मिलेगा बढ़ावा

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : जिले के चौसा में निर्माणाधीन 1320 मेगावाट के थर्मल पावर प्लांट की पहली यूनिट का कार्य तेजी से प्रगति पर है. इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत पहली यूनिट को वित्तीय वर्ष 2024-25 के मार्च माह तक शुरू करने की योजना है. यह पावर प्लांट बिहार की बिजली आवश्यकताओं को पूरा करने में अहम योगदान देगा और राज्य के औद्योगिक विकास को नई गति प्रदान करेगा.

एटीसपीएल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विकास शर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि इस परियोजना की सफलता में स्थानीय किसानों का सहयोग और परियोजना से जुड़े अधिकारियों व कर्मचारियों की मेहनत अहम भूमिका निभा रही है. शर्मा ने कहा कि सभी के समर्पण और कठिन परिश्रम का परिणाम जल्द ही दिखेगा.

बिजली आपूर्ति को मिलेगी मजबूती :

चौसा थर्मल पावर प्लांट के शुरु होने से बिहार में बिजली आपूर्ति की स्थिति में सुधार होगा. वर्तमान में राज्य को दूसरे राज्यों से बिजली आयात करनी पड़ती है, लेकिन इस पावर प्लांट के संचालन से बिहार में बिजली की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी. परियोजना के तहत 1320 मेगावाट क्षमता की दो यूनिटें स्थापित की जा रही हैं, जिनमें से प्रत्येक यूनिट 660 मेगावाट बिजली का उत्पादन करेगी. पहली यूनिट के मार्च 2025 में शुरू होने की संभावना है, जबकि दूसरी यूनिट का कार्य भी तेजी से आगे बढ़ रहा है.

स्थानीय रोजगार और विकास को बढ़ावा :

परियोजना के निर्माण के दौरान स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं और प्लांट के शुरू होने के बाद भी बड़ी संख्या में लोगों को स्थायी रोजगार मिलने की उम्मीद है. इस पावर प्लांट के कारण चौसा और आसपास के इलाकों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी, जिससे स्थानीय व्यापार और उद्योग को भी प्रोत्साहन मिलेगा.

विकास शर्मा ने कहा कि प्लांट का कार्य निर्धारित समय पर पूरा करने के लिए सभी अधिकारी और कर्मचारी दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. स्थानीय किसानों और निवासियों के सहयोग से यह परियोजना तेजी से आगे बढ़ रही है, और उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में यह बिहार के विकास में मील का पत्थर साबित होगी.









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