विकास कार्य में पारदर्शिता की कमी ने संदेह के बादल खड़े कर दिए हैं. कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया गया कि ये कार्य किस योजना के अंतर्गत हो रहे हैं और इन पर कितनी राशि खर्च की जा रही है. इस वजह से स्थानीय लोग और सामाजिक कार्यकर्ता इसमें भ्रष्टाचार की संभावना जता रहे हैं.
- बक्सर नगर परिषद में निर्माण कार्यों की रफ्तार तेज, लेकिन पारदर्शिता पर उठ रहे सवाल
- विनोधर ओझा बोले- विकास कार्यों में नियमों की अनदेखी, कहीं न कहीं हो रहा भ्रष्टाचार
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : नगर परिषद क्षेत्र में इन दिनों विकास कार्यों की गति काफी तेज हो गई है. गलियों और नालियों के निर्माण के साथ-साथ फीवर ब्लॉक लगाने का काम भी जोरों पर है. स्थानीय नागरिकों का कहना है कि उन्होंने पहले कभी विकास कार्यों में इतनी तेजी नहीं देखी थी. हालांकि, इस विकास कार्य में पारदर्शिता की कमी ने संदेह के बादल खड़े कर दिए हैं. कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया गया कि ये कार्य किस योजना के अंतर्गत हो रहे हैं और इन पर कितनी राशि खर्च की जा रही है. इस वजह से स्थानीय लोग और सामाजिक कार्यकर्ता इसमें भ्रष्टाचार की संभावना जता रहे हैं.
नगर परिषद पर नियमों की अवहेलना के आरोप
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता विनोधर ओझा ने नगर परिषद पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि विकास कार्यों में नियमों की अनदेखी की जा रही है. उन्होंने बताया कि किसी भी निर्माण कार्य से पहले उसकी योजना, लागत और अन्य आवश्यक जानकारी सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित की जानी चाहिए, लेकिन बक्सर नगर परिषद में ऐसा कुछ नहीं हो रहा. उन्होंने आरोप लगाया कि निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर भी सवाल उठ रहे हैं और पारदर्शिता पूरी तरह से गायब है.
मुख्यमंत्री को भेजा जाएगा पत्र
विनोधर ओझा ने कहा कि वे इस मामले को नगर विकास एवं आवास विभाग के मंत्री नितिन नवीन और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष रखने जा रहे हैं. उन्होंने कहा, "नगर परिषद में खुलेआम भ्रष्टाचार हो रहा है और इसे रोकने वाला कोई नहीं है. यदि जल्द ही स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो इसे लेकर बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा."
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी का जवाब
जब इस मामले को लेकर नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी से सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे की जांच कराएंगे. हालांकि, यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि यह मामला उनके संज्ञान में अब तक क्यों नहीं आया? स्थानीय लोगों का मानना है कि जब तक पारदर्शिता नहीं लाई जाएगी, तब तक विकास कार्यों की सच्चाई पर सवाल उठते रहेंगे.
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