27 वर्षों के प्रयास के बाद पूरा हुआ मुरली मनोहर श्रीवास्तव का सपना, डुमरांव में बनेगा बिस्मिल्लाह खां विश्वविद्यालय

डुमरांव में ‘बिस्मिल्लाह खां विश्वविद्यालय’ के निर्माण को सरकार की स्वीकृति मिल गई है. यह विश्वविद्यालय भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की स्मृति को संजोएगा और शहनाई वादक की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को नई पहचान देगा.

उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के साथ मुरली मनोहर श्रीवास्तव(फ़ाइल इमेज)










                                           


  • उस्ताद की विरासत को सहेजने का संकल्प हुआ साकार
  • मुरली मनोहर के अथक प्रयासों से सरकार ने दी स्वीकृति

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : लगातार 27 वर्षों तक अपने लक्ष्य के लिए संघर्ष करने वाले लेखक एवं पत्रकार मुरली मनोहर श्रीवास्तव का सपना आखिरकार साकार होने जा रहा है. डुमरांव में ‘बिस्मिल्लाह खां विश्वविद्यालय’ के निर्माण को सरकार की स्वीकृति मिल गई है. यह विश्वविद्यालय भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की स्मृति को संजोएगा और शहनाई वादक की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को नई पहचान देगा.

मुरली मनोहर श्रीवास्तव वर्ष 1990 से उस्ताद बिस्मिल्लाह खां पर शोध कर रहे हैं. वर्ष 2013 में उन्होंने डुमरांव में इस विश्वविद्यालय की स्थापना का ऐलान किया था और तब से लेकर अब तक वे लगातार इसके लिए प्रयासरत थे. आखिरकार, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने इस सपने को हकीकत में बदलने की मंजूरी दे दी है.

27 वर्षों का संघर्ष, अब मिलेगा मुकाम

मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने अपने जीवन के 27 वर्ष उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की विरासत को संरक्षित करने में लगा दिए. वर्ष 1990 से 2006 तक वे उस्ताद के सानिध्य में रहे और उन्होंने शहनाई के इस जादूगर को करीब से जाना. उनकी जीवनी पर पुस्तक लिखने से लेकर डॉक्यूमेंट्री बनाने तक, श्रीवास्तव ने उस्ताद के योगदान को विश्व पटल पर पहुंचाने के लिए अथक प्रयास किए.

वर्ष 2009 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनकी लिखी पुस्तक ‘शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खां’ का लोकार्पण किया था. इसके बाद वर्ष 2013 में पटना में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने विश्वविद्यालय की स्थापना की घोषणा की थी.

सरकारी प्रयासों को किया प्रेरित

मुरली मनोहर के अथक प्रयासों के कारण डुमरांव में इस विश्वविद्यालय के लिए प्रशासनिक स्तर पर कई महत्वपूर्ण पहल हुईं. वर्ष 2015 में तत्कालीन विधायक स्व. दाउद अली ने भूमि आवंटन के लिए सरकार को पत्र लिखा. इसके बाद धीरे-धीरे इस परियोजना को गति मिलती गई.

इस संघर्ष में मुरली मनोहर ने कभी हार नहीं मानी. उन्होंने दूरदर्शन के लिए उस्ताद बिस्मिल्लाह खां पर डॉक्यूमेंट्री बनाई, साथ ही बिहार संगीत नाटक अकादमी के लिए ‘सफर-ए-बिस्मिल्लाह’ नामक डॉक्यूमेंट्री निर्देशित की. उनकी इस मेहनत को 2022 में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भी स्थान मिला.

उस्ताद पर लिखी पुस्तक के लोकार्पण के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ मुरली मनोहर श्रीवास्तव (फाइल इमेज)

बिस्मिल्लाह खां ट्रस्ट कर रहा सम्मानित

मुरली मनोहर श्रीवास्तव द्वारा स्थापित ‘बिस्मिल्लाह खां ट्रस्ट’ कला, संगीत और साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले लोगों को ‘बिस्मिल्लाह खां सम्मान’ से सम्मानित करता है. यह ट्रस्ट न केवल उस्ताद की विरासत को सहेजने का काम कर रहा है, बल्कि नई पीढ़ी को भी संगीत और संस्कृति के प्रति प्रेरित कर रहा है.

फिल्म और साहित्य के क्षेत्र में भी योगदान

मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के जीवन पर आधारित कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं. ‘बाजे शहनाई हमार अंगना’ फिल्म का निर्माण डुमरांव में हुआ था, जिसका शुभारंभ स्वयं बिस्मिल्लाह खां और महाराजा कमल सिंह ने किया था.

वर्ष 2017 में उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की 101वीं जयंती पर श्रीवास्तव ने ‘सफर-ए-बिस्मिल्लाह’ नामक डॉक्यूमेंट्री तैयार की, जिसे बिहार संगीत नाटक अकादमी द्वारा जारी किया गया था. इसके अलावा उन्होंने दूरदर्शन के लिए भी उस्ताद पर डॉक्यूमेंट्री बनाई, जिससे उनकी कला और व्यक्तित्व को नई पहचान मिली.

अब डुमरांव बनेगा संगीत शिक्षा का केंद्र

बिस्मिल्लाह खां विश्वविद्यालय के निर्माण के बाद डुमरांव संगीत और शहनाई वादन के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में विकसित होगा. यहां संगीत, कला और संस्कृति से जुड़े कोर्स संचालित किए जाएंगे, जिससे नई पीढ़ी को शहनाई और भारतीय शास्त्रीय संगीत की समृद्ध परंपरा से जोड़ा जा सकेगा.

समाज के लिए प्रेरणा बने मुरली मनोहर श्रीवास्तव

मुरली मनोहर श्रीवास्तव की यह यात्रा समाज के लिए प्रेरणादायक है. उन्होंने जाति-धर्म की सीमाओं से ऊपर उठकर संगीत और संस्कृति को अपनी पहचान बनाई. उनके प्रयासों से अब डुमरांव में संगीत की एक नई धारा बहेगी, जो उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की अमर विरासत को सहेजने का काम करेगी.











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