वीडियो : रेडक्रॉस टीम ने की ब्लड बैंक की जांच, एचआइवी पॉजिटिव बताए जाने के आरोप को बताया निराधार

कहा कि ब्लड लेने और संक्रमण की पुष्टि होने के बीच लगभग पांच से छह महीने का अंतर है. ऐसे में यह दावा करना उचित नहीं कि संक्रमण का कारण ब्लड बैंक का रक्त है. उन्होंने कहा कि ब्लड बैंक में हर रक्त यूनिट की जांच की जाती है और सभी सुरक्षा मानकों का पालन किया जाता है.











                                           



- कहा - एचआइवी संक्रमित नहीं सिफलिस संक्रमण का है मामला
- हेपेटाइटिस संक्रमण मामले में भी सफाई

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : रेडक्रॉस द्वारा रक्तदाता को एचआइवी पॉजिटिव बताए जाने के मामले में जांच की गई. रेडक्रॉस के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ आर के गुप्ता के नेतृत्व में टीम ने ब्लड बैंक पहुंचकर पूरे मामले की तहकीकात की. इस दौरान ब्लड बैंक प्रभारी सचिन राय ने स्पष्ट किया कि रक्तदाता को एचआईवी पॉजिटिव नहीं बल्कि सिफलिस पॉजिटिव बताया गया था, जो एक ठीक होने वाली बीमारी है.

रेडक्रॉस ब्लड बैंक प्रभारी सचिन राय ने बताया कि ब्लड डोनर के द्वारा लगाया गया आरोप पूरी तरह निराधार है. उन्होंने कहा कि रक्तदाता को एचआइवी नहीं, बल्कि सिफलिस पॉजिटिव बताया गया था. सिफलिस एक ऐसी बीमारी है जो इलाज से पूरी तरह ठीक हो सकती है, जबकि एचआईवी में ऐसा नहीं होता. उन्होंने कहा कि इस संक्रमण का उपचार संभव है और काउंसलिंग के माध्यम से उचित दवा देकर इसे ठीक किया जा सकता है.

गर्भवती महिला को संक्रमित रक्त देने का मामला :

एक गर्भवती महिला को हेपेटाइटिस संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने के मामले में सफाई देते हुए ब्लड बैंक प्रभारी ने बताया कि 30 जुलाई को ब्लड बैंक से रक्त लिया गया था, जबकि संक्रमण की रिपोर्ट दिसंबर में आई. उन्होंने कहा कि ब्लड लेने और संक्रमण की पुष्टि होने के बीच लगभग पांच से छह महीने का अंतर है. ऐसे में यह दावा करना उचित नहीं कि संक्रमण का कारण ब्लड बैंक का रक्त है. उन्होंने कहा कि ब्लड बैंक में हर रक्त यूनिट की जांच की जाती है और सभी सुरक्षा मानकों का पालन किया जाता है.

रक्तदान शिविर में देरी का आरोप भी गलत :

रक्तदान शिविर में असहयोग के आरोपों पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि शिविर सुबह 10 बजे शुरु होना था और पहले रक्तदाता का रक्त 11:10 बजे लिया गया. हालांकि, किसी कारणवश विलंब हुआ, लेकिन यह अधिक नहीं था. उन्होंने कहा कि रेडक्रॉस सदैव समय पर कैंप आयोजित करता है, और यदि किसी दिन थोड़ी देर हो गई, तो इसे बड़ी गलती नहीं माना जाना चाहिए.

ब्लड बैंक को रक्तदान न करने की धमकी :

ब्लड बैंक प्रभारी ने बताया कि प्रियेश नामक रक्तदाता ने कहा है कि वह और उनकी टीम रेड क्रॉस को रक्तदान नहीं करेगी. इसे धमकी भरा बयान बताते हुए उन्होंने कहा कि रक्तदान समाजसेवा है और इसे किसी दबाव में नहीं रोका जाना चाहिए.

रेडक्रॉस अध्यक्ष की सफाई :

रेडक्रॉस के अध्यक्ष ने बताया कि बाहरी लैब में की गई जांच रैपिड मेथड से हुई थी, जबकि रेडक्रॉस में एलाइजा मेथड से जांच होती है, जो अधिक सटीक होती है. उन्होंने कहा कि रक्तदाता को एचआइवी नहीं, बल्कि सिफलिस है, जो चार से सात हफ्तों में पूरी तरह ठीक हो जाता है. उन्होंने बताया कि मरीज को इस संबंध में पूरी जानकारी दी गई है और नियमित इंजेक्शन से यह संक्रमण समाप्त हो जाएगा.

रेडक्रॉस पर आरोप लगाने का कोई आधार नहीं :

रेडक्रॉस के अध्यक्ष ने कहा कि लगाए गए सभी आरोप बेबुनियाद हैं. उन्होंने कहा कि ब्लड बैंक सभी मानकों का पालन करता है और बिना जांच के रक्त नहीं दिया जाता. उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि बिना पुख्ता प्रमाण के रेड क्रॉस पर आरोप क्यों लगाए जा रहे हैं.

रक्तदाता प्रियेश ने कहा - जल्द करेंगे और खुलासे :

बता दें कि नियमित रक्तदाता प्रियेश ने बताया था कि उनके एक रक्तदाता को एचआइवी पॉजिटिव बता दिया गया, जिससे कि वह अत्यधिक मानसिक तनाव में है. जबकि निजी लैब ने रिपोर्ट को गलत बताया. साथ ही एक अन्य रक्तदाता को आवश्यकता पड़ने पर संक्रमित रक्त दिया गया. साथ ही रक्तदान शिविर का आयोजन करने पर उसमें असहयोग किया गया. इस सफाई के बाद भी उन्होंने संतुष्टि नहीं जताई है और कहा है कि वह जल्द ही अन्य खुलासे करेंगे.

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