बक्सर के लाल शाकिब शाह ने इंटरमीडिएट में रचा इतिहास, बने बिहार के सेकेंड टॉपर

उन्होंने बिहार बोर्ड इंटरमीडिएट आर्ट्स परीक्षा में शानदार प्रदर्शन करते हुए राज्य में सेकेंड टॉपर का स्थान हासिल किया है. उनकी इस उपलब्धि से उनके परिवार, विद्यालय और पूरे जिले में जश्न का माहौल है.

 












                                           


संकल्प और मेहनत से पाई बड़ी सफलता

छोटे शहर से निकला टैलेंट, पूरे राज्य में लहराया परचम

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : मेहनत और संकल्प का सही मिश्रण किसी भी छात्र को सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है, और इसका जीता-जागता उदाहरण बने हैं बक्सर जिले के बसगितिया गांव के होनहार छात्र शाकिब शाह. उन्होंने बिहार बोर्ड इंटरमीडिएट आर्ट्स परीक्षा में शानदार प्रदर्शन करते हुए राज्य में सेकेंड टॉपर का स्थान हासिल किया है. उनकी इस उपलब्धि से उनके परिवार, विद्यालय और पूरे जिले में जश्न का माहौल है.

मेहनत और संघर्ष की प्रेरणादायक कहानी

शाकिब शाह के पिता सरकारी विद्यालय में शिक्षक हैं और माता गृहिणी हैं. शिक्षा के माहौल में पले-बढ़े शाकिब ने हमेशा पढ़ाई को प्राथमिकता दी, लेकिन उनकी यह यात्रा आसान नहीं थी. उन्होंने बताया कि मैट्रिक परीक्षा में महज 5 अंकों की कमी के कारण वे टॉप-10 सूची में शामिल होने से चूक गए थे. इसी असफलता को उन्होंने अपनी प्रेरणा बना लिया और इंटरमीडिएट में टॉपर्स की सूची में जगह बनाने का संकल्प लिया.

इसके लिए उन्होंने एक कठोर अध्ययन योजना बनाई, नियमित रूप से पढ़ाई की और हर विषय को गहराई से समझने में जुट गए. उनकी मेहनत रंग लाई और उन्होंने न केवल जिले बल्कि पूरे बिहार का नाम रोशन कर दिया.

परिवार और शिक्षकों की भूमिका

शाकिब मानते हैं कि उनकी सफलता के पीछे उनके माता-पिता और शिक्षकों की अहम भूमिका रही है. उनके पिता सरकारी शिक्षक हैं, जिन्होंने उन्हें अनुशासन और ज्ञान की सही दिशा दी. वहीं, उनकी माता ने घर के माहौल को पढ़ाई के अनुकूल बनाए रखा.

शाकिब के चाचा बीपीएससी परीक्षा पास कर चुके हैं, जिससे प्रेरित होकर वह भी उच्च शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने का सपना देख रहे हैं. उनका कहना है कि शिक्षा ही सबसे बड़ा हथियार है, जिससे जीवन में हर मुश्किल को पार किया जा सकता है.

शिक्षा को बनाया जीवन का लक्ष्य

शाकिब शाह की सफलता से उनके छोटे भाई-बहन भी प्रेरित हैं. उनके छोटे भाई इस समय 11वीं कक्षा में हैं और बहन 10वीं कक्षा में पढ़ रही हैं. अब शाकिब खुद उनके लिए एक आदर्श बन गए हैं और उनकी सफलता ने पूरे परिवार का हौसला बढ़ा दिया है.

गांव से लेकर जिला तक जश्न का माहौल

शाकिब की इस उपलब्धि से सिर्फ उनके परिवार या स्कूल में ही नहीं, बल्कि पूरे बक्सर जिले में जश्न का माहौल है. विद्यालय प्रबंधन, शिक्षक और साथी छात्र उनकी इस उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहे हैं. उनके स्कूल के प्रधानाचार्य ने कहा कि "शाकिब की सफलता यह साबित करती है कि कड़ी मेहनत और सही मार्गदर्शन से कोई भी छात्र बड़े मुकाम हासिल कर सकता है."

छात्रों के लिए बनी प्रेरणा

शाकिब शाह का यह सफर उन सभी छात्रों के लिए प्रेरणा है जो कठिनाइयों से घबराते हैं. उनकी कहानी यह संदेश देती है कि अगर सच्ची लगन और मेहनत हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता.

आगे की योजना

अब शाकिब अपने अगले लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं. वह दिल्ली विश्वविद्यालय या जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में दाखिला लेकर उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं. इसके अलावा, वे सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी भी करने की योजना बना रहे हैं.

समाज को दिया संदेश

शाकिब का मानना है कि छोटे शहरों और गांवों के छात्रों को भी बड़े सपने देखने चाहिए और उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए. वह सभी विद्यार्थियों को यही संदेश देते हैं कि "सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता. मेहनत और लगन से ही हर मंजिल हासिल की जा सकती है."

उनकी यह उपलब्धि साबित करती है कि सपने देखने वालों की कोई सीमा नहीं होती, और मेहनत करने वालों के लिए कोई भी लक्ष्य दूर नहीं.











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