कहा कि बूढ़ा व्यास विभिन्न विधाओं के गीतों में निपुण हैं, जिनमें निर्गुण, चैता, भोजपुरी चेता गवई और धार्मिक लोक गीत शामिल हैं. उनकी आवाज में भोजपुरी संस्कृति की गहरी पकड़ है और वे मान-मर्यादा के अनुरूप गायन करने वाले कलाकारों में से एक हैं.

चैता गायकी में विशिष्ट योगदान के लिए मिला सम्मान
बक्सर को पर्यटन स्थल घोषित करने की मांग
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : बिहार दिवस के अवसर पर मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संगठन ने प्रसिद्ध चैता गायक बूढ़ा व्यास को सम्मानित किया. उन्हें यह सम्मान उनकी गायकी और रचनात्मक योगदान के लिए दिया गया. इस दौरान बिहार प्रांत के सचिव डॉक्टर दिलशाद आलम ने उनकी प्रशंसा करते हुए कहा कि बूढ़ा व्यास विभिन्न विधाओं के गीतों में निपुण हैं, जिनमें निर्गुण, चैता, भोजपुरी चेता गवई और धार्मिक लोक गीत शामिल हैं. उनकी आवाज में भोजपुरी संस्कृति की गहरी पकड़ है और वे मान-मर्यादा के अनुरूप गायन करने वाले कलाकारों में से एक हैं.
बूढ़ा व्यास का चैता गायन न केवल चौसा बल्कि बिहार और उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में प्रसिद्ध है. उनकी गायकी की विशेषता यह है कि जब वे ढोलक और नाल की पारंपरिक धुनों पर लोकगीत प्रस्तुत करते हैं, तो पूरा माहौल मंत्रमुग्ध हो जाता है. इस अवसर पर मौजूद सभी सदस्यों ने उनके योगदान की सराहना की और लोकसंस्कृति को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों की प्रशंसा की।).
सम्मान मिलने पर बूढ़ा व्यास ने खुशी जाहिर की और आयोजकों का आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि बिहार दिवस पर सम्मानित किया जाना उनके लिए गर्व की बात है और यह बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए एक प्रेरणा का कार्य करेगा. उन्होंने मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संगठन को इस पहल के लिए धन्यवाद दिया.
डॉ. दिलशाद आलम ने इस दौरान बक्सर को पर्यटन स्थल घोषित करने की भी मांग की. उन्होंने कहा कि बक्सर का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व काफी अधिक है और सरकार को इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए.
इस अवसर पर संगठन के अन्य सदस्य भी उपस्थित रहे, जिनमें इम्तियाज अंसारी, शशि भूषण, सुनील कुमार, रुखसाना साबित और रोहतासवी शामिल थे. सभी ने एक सुर में लोकसंस्कृति के संरक्षण और प्रचार-प्रसार पर बल दिया.
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