उस्ताद बिस्मिल्लाह खां महोत्सव का भव्य आयोजन, जीवनी लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव हुए सम्मानित

बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में अपनी प्रगति यात्रा (15 फरवरी 2025) के दौरान डुमरांव में बिस्मिल्लाह खां संगीत महाविद्यालय की स्थापना की घोषणा की थी, जिसे रिकॉर्ड समय में स्वीकृति मिल गई.












                                           

- डुमरांव में संगीत महाविद्यालय खोलने के लिए राशि आवंटित
- विभिन्न कलाकारों ने दी शानदार प्रस्तुतियां

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : कला, संस्कृति एवं युवा विभाग बिहार सरकार तथा जिला प्रशासन बक्सर के संयुक्त तत्वाधान में शुक्रवार को राज +2 उच्च विद्यालय, डुमरांव में उस्ताद बिस्मिल्लाह खां महोत्सव 2025 का भव्य आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन प्रभारी जिलाधिकारी अनुपमा सिंह, लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव, जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी प्रतिमा कुमारी समेत अन्य अधिकारियों ने दीप प्रज्वलित कर किया. महोत्सव में कलाकारों ने शानदार प्रस्तुतियां दीं, वहीं उस्ताद के जीवन पर आधारित नाटक का मंचन भी हुआ. इस अवसर पर जीवनी लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव को विशेष रूप से सम्मानित किया गया.

डुमरांव में संगीत महाविद्यालय की स्थापना, उस्ताद को सच्ची श्रद्धांजलि

लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार ने डुमरांव में बिस्मिल्लाह खां संगीत महाविद्यालय खोलकर उस्ताद के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की है. उन्होंने बताया कि वे वर्ष 2013 से इसके लिए प्रयासरत थे, जिसका परिणाम अब सामने आया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने डुमरांव में बिहार के पहले बिस्मिल्लाह खां संगीत महाविद्यालय के लिए 1452.15 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की है. इससे बिहार सहित अन्य राज्यों के युवाओं को संगीत के क्षेत्र में आगे बढ़ने का सुनहरा अवसर मिलेगा.

गंगा-जमुनी तहजीब का संदेश, रोजा रखते हैं मुरली श्रीवास्तव

मुरली मनोहर श्रीवास्तव ने उस्ताद के जीवन से जुड़े कई अनसुने प्रसंग साझा किए. उन्होंने बताया कि बिस्मिल्लाह खां पांच वक्त के नमाजी होने के बावजूद मंदिरों में शहनाई बजाते थे. इस परंपरा को जीवित रखते हुए वे स्वयं छठ, नवरात्रि के साथ-साथ रमजान के दौरान रोजा रखते हैं. उन्होंने कहा कि उस्ताद हमेशा कहते थे— "संगीत सीखो, सब एक हो जाओगे."

महोत्सव में लेखक मुरली श्रीवास्तव हुए सम्मानित

इस भव्य आयोजन में लेखक मुरली मनोहर श्रीवास्तव को विशेष रूप से सम्मानित किया गया. एडीएम कुमारी अनुपमा सिंह, एसडीएम राकेश कुमार एवं एसडीपीओ आफाक अख्तर अंसारी ने उन्हें पुष्पगुच्छ एवं स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया. एडीएम अनुपमा सिंह ने कहा कि यह डुमरांव के लिए गर्व की बात है कि उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की जीवनी लिखने वाले लेखक भी इसी मिट्टी से जुड़े हैं. एसडीएम राकेश कुमार ने कहा कि श्रीवास्तव का लेखन कार्य आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगा.

उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के योगदान को किया गया याद

प्रभारी जिलाधिकारी अनुपमा सिंह ने कहा कि उस्ताद बिस्मिल्लाह खां का जन्म डुमरांव में हुआ था और उन्होंने बनारस घराने की शैली में शहनाई वादन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया. वे भारतीय संस्कृति के प्रतीक थे, जिन्हें पद्म विभूषण, पद्म भूषण, पद्मश्री और भारत रत्न से सम्मानित किया गया. जिलाधिकारी ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में अपनी प्रगति यात्रा (15 फरवरी 2025) के दौरान डुमरांव में बिस्मिल्लाह खां संगीत महाविद्यालय की स्थापना की घोषणा की थी, जिसे रिकॉर्ड समय में स्वीकृति मिल गई.

शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुतियां

महोत्सव के दौरान विभिन्न कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया—

  • स्वागत गीत: सुमन कुमारी एवं समूह
  • ग़ज़ल गायन: ओमकार दूबे, श्यामा शैलजा झा
  • आ गायन: कुमारी ज्योति, सुमन कुमारी, शौर्य कुमार, विनय मिश्रा, शिवपूर्णा मिश्रा, ऐश्वर्या मिश्रा, ब्रजेश कुमार चौबे, रंजीत कुमार, अमित कुमार
  • डांस प्रस्तुति: रितम, रूपम दूबे (डुएट डांस), कुसुम कुमारी, नैना कुमारी (एकल नृत्य)
  • समूह नृत्य: प्रकाश एवं उनके साथी कलाकार
  • शहनाई वादन: उस्ताद बिस्मिल्लाह खां घराना
  • कव्वाली एवं सूफी संगीत: भागलपुर सूफियाना ग्रुप
  • संतूर वादन: कुमार चंद्रशेखर
  • लोकगीत: राकेश राज शानू एवं सतेंद्र संगीत

बिहार दिवस पर होगा भव्य आयोजन

प्रभारी जिलाधिकारी ने बताया कि 22 मार्च 2025 को बिहार दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंग.—

  • अनुमंडल स्तर पर क्विज प्रतियोगिता, खेल प्रतियोगिता, गंगा आरती
  • नगर भवन, बक्सर में सांस्कृतिक कार्यक्रम

डुमरांव की विरासत को मिलेगी नई पहचान

डुमरांव संगीत की विरासत का केंद्र रहा है, और अब संगीत महाविद्यालय की स्थापना से इसकी ख्याति पूरे देश में फैलेगी. उस्ताद बिस्मिल्लाह खां महोत्सव न केवल उनकी स्मृति को जीवंत रखने का प्रयास है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को उनकी कला और विरासत से जोड़ने का भी एक महत्वपूर्ण कदम है.











Post a Comment

0 Comments