कुमार नयन की स्मृति में कवि सम्मेलन का आयोजन

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने की, जबकि मंच संचालन का दायित्व डॉ बी. एल. प्रवीण ने निभाया. इस समारोह का संयोजन अनुराग कुमार द्वारा किया गया था.









                                           



  • 'जहां कोई कबीर जिंदा है' पुस्तक का लोकार्पण
  • प्रगतिशील लेखक संघ ने दी साहित्यकार को भावभीनी श्रद्धांजलि

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : स्थानीय ज्योतिप्रकाश लाइब्रेरी में शुक्रवार को प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस) बक्सर के तत्वावधान में प्रदेश के प्रख्यात शायर एवं समाजसेवी कुमार नयन की चौथी पुण्यतिथि के अवसर पर भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने की, जबकि मंच संचालन का दायित्व डॉ बी. एल. प्रवीण ने निभाया. इस समारोह का संयोजन अनुराग कुमार द्वारा किया गया था.

कार्यक्रम की शुरुआत कुमार नयन के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई. इसके उपरांत प्रख्यात कवि अरुण शीतांश के संपादन में प्रकाशित पुस्तक 'जहां कोई कबीर जिंदा है' का लोकार्पण किया गया. इस अवसर पर हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुई आतंकवादी घटना में मारे गए लोगों के प्रति श्रद्धांजलि स्वरूप दो मिनट का मौन भी रखा गया.

स्मृति समारोह में कई वक्ताओं ने कुमार नयन के व्यक्तित्व और कृतित्व पर अपने अनुभव साझा किए. अरुण शीतांश ने कहा कि कुमार नयन संवेदना के पुरूष थे, जिनकी रचनाओं में समाज के प्रति गहरी चिंता दिखाई देती है. आलोश्या प्रकाश ने कहा कि आज साहित्यिक माहौल सिमटता जा रहा है, ऐसे समय में नयन जी जैसे साहित्यकारों की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है. उन्होंने साहित्य और राजनीति दोनों पर समान अधिकार रखते हुए समाज को नई दिशा दी.

डॉ शशांक शेखर ने कहा कि भले ही कुमार नयन के पास भौतिक संपत्ति नहीं थी, परंतु उनके पास समाज और साहित्य के लिए अपार योगदान देने की भावना थी. रामेश्वर प्रसाद वर्मा ने भावुक होकर कहा कि जब भी कुमार नयन की पुस्तकों को पढ़ते हैं, तो ऐसा महसूस होता है जैसे वे आज भी हमारे बीच उपस्थित हैं.

शिवबहादुर कुमार पांडेय ने कहा कि कुमार नयन साहित्यिक गोष्ठियों के माध्यम से रचनात्मक संवाद को जीवित रखते थे. आज ऐसे प्रयासों की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस हो रही है. सुरेश संघम ने उन्हें एक उम्दा ग़ज़लकार बताते हुए कहा कि ग़ज़ल एक संपूर्ण साहित्यिक विधा है और नई पीढ़ी को इसमें आगे आना चाहिए.

कार्यक्रम में ममीरा सिंह मीरा ने अपनी भावपूर्ण कविता से सभी को अभिभूत कर दिया. उनकी रचना 'आज उजाला रोया है, अंधियारे ने खोया है, जाने किसकी साजिश है, सूरज छिप कर रोया है' ने श्रोताओं के दिलों को छू लिया. इसी क्रम में नर्वदेश्वर उपाध्याय ने भी अपनी कविताओं से उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया.

समारोह में सुरेंद्र चंद्रवंशी, शिवजी सिंह, ई. रामाधार सिंह, कल्याण सिंह, राम मुरारी सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे. कार्यक्रम ने कुमार नयन के अविस्मरणीय योगदान को याद करते हुए साहित्यिक चेतना को पुनः जीवंत करने का संदेश दिया.










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