प्रभात रंजन की कामयाबी : किसान का बेटा वायुसेना में पायलट

यूपीएससी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) की परीक्षा में उन्होंने बिहार में पहला और देशभर में 80वां स्थान प्राप्त किया है. इस सफलता के साथ ही उन्होंने जिले और राज्य का नाम गौरवान्वित किया है.

माता-पिता के साथ प्रभात








                                           



  • बक्सर के किसान परिवार के बेटे ने बिना कोचिंग के हासिल की एनडीए परीक्षा में सफलता
  • बिहार में पहला और देशभर में 80वां स्थान, परिवार और गांव में जश्न का माहौल

बक्सर टॉप न्यूूूज़, बक्सर : के चौसा प्रखंड स्थित तिवाय गांव के प्रभात रंजन ने भारतीय वायुसेना में पायलट बनने की दिशा में बड़ी उपलब्धि हासिल की है. यूपीएससी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) की परीक्षा में उन्होंने बिहार में पहला और देशभर में 80वां स्थान प्राप्त किया है. इस सफलता के साथ ही उन्होंने जिले और राज्य का नाम गौरवान्वित किया है.

"कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं होता, अगर इरादे मजबूत हों तो कामयाबी ज़रूर मिलती है." यही साबित कर दिखाया है तिवाय गांव के किसान परिवार से आने वाले प्रभात रंजन ने. उन्होंने बिना कोचिंग और सीमित संसाधनों के बीच एनडीए की कठिन परीक्षा में सफलता हासिल कर भारतीय वायुसेना में पायलट बनने का रास्ता तय किया है.

प्रभात ने अपनी शुरुआती पढ़ाई देहरादून पब्लिक स्कूल, बक्सर से की. वह बचपन से ही तेज छात्र रहे. छठी कक्षा में उन्होंने सैनिक स्कूल की परीक्षा पास की और केरल के कज़ाकोटम सैनिक स्कूल में दाखिला लिया. वहीं से उन्होंने बारहवीं तक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद वह एनडीए की तैयारी के लिए घर लौटे.

पहले प्रयास में असफल होने के बावजूद प्रभात ने हार नहीं मानी. उन्होंने कोचिंग के बिना ही दूसरी बार प्रयास किया और इस बार सफलता उनके कदम चूमी. एनडीए परीक्षा में बिहार में टॉप और देशभर में 80वीं रैंक हासिल कर उन्होंने साबित कर दिया कि आत्मविश्वास और मेहनत से कोई भी मंजिल दूर नहीं.

प्रभात रंजन के पिता जयप्रकाश यादव बहुजन समाज पार्टी के पूर्व प्रदेश महासचिव रह चुके हैं और रामपुर के पूर्व बीडीसी सदस्य भी. वर्तमान में वे बच्चों की पढ़ाई के लिए बक्सर शहर में रहते हैं जबकि खेती गांव में करते हैं. प्रभात की मां एक गृहिणी हैं. परिवार में इस सफलता को लेकर बेहद उत्साह है. जयप्रकाश यादव ने बताया कि प्रभात ने यह उपलब्धि अपने दूसरे ही प्रयास में घर से ही पढ़ाई करके हासिल की है.

प्रभात का छोटा भाई भी सैनिक स्कूल में दाखिले की तैयारी कर रहा है. हालांकि, उसका रिजल्ट अभी नहीं आया है. गांव में प्रभात की इस सफलता पर खुशी की लहर है. लोगों ने मिठाइयां बांटीं और एक-दूसरे को बधाई दी.

प्रभात की यह सफलता इस बात का उदाहरण है कि सीमित संसाधनों के बीच भी अगर मेहनत, समर्पण और आत्मविश्वास हो तो कोई भी सपना साकार किया जा सकता है. उनका सफर उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है जो संघर्ष के बावजूद अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ते.










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