पंजाब नेशनल बैंक में विधि अधिकारी बने समीर कुमार चौबे, गांव में खुशी की लहर

उनके परिवार के साथ-साथ गांव के लोग भी बेहद खुश हैं. पिता किसान थे, इसलिए उन्होंने सीमित संसाधनों में भी अपनी मेहनत और लगन से यह मुकाम हासिल किया. गांव के बुजुर्गों ने उन्हें आशीर्वाद दिया और युवा वर्ग के लिए प्रेरणा बताया.









                                           



  • समीर की सफलता से गदगद परिवार, गांव वालों ने दी बधाई
  • दिल्ली विश्वविद्यालय में पीएचडी कर रहे समीर ने पहले भी हासिल की थी बड़ी उपलब्धि
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : राजपुर थाना क्षेत्र के गोसाईंपुर निवासी स्व. बिन्ध्याचल चौबे के पुत्र समीर कुमार चौबे का चयन पंजाब नेशनल बैंक में विधि अधिकारी के पद पर हुआ है. इस खबर के मिलते ही परिवार और गांव में खुशी की लहर दौड़ गई. सुबह से ही घर पर बधाई देने वालों का तांता लगा रहा. समीर की इस सफलता से न केवल परिवार बल्कि पूरे जिले में हर्ष का माहौल है.

समीर फिलहाल दिल्ली विश्वविद्यालय के विधि संकाय में पीएचडी कर रहे हैं. उनका चयन इसी वर्ष वहां हुआ था। इससे पहले उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा आयोजित जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) परीक्षा में सामान्य कोटे से सफलता प्राप्त कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया था.

परिश्रम से मिली सफलता

समीर कुमार चौबे का मानना है कि मेहनत और लगन से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई. उनके बड़े भाई, शिक्षक प्रमोद कुमार चौबे ने बताया कि समीर ने आठवीं तक की पढ़ाई गांव में ही की. इसके बाद हाई स्कूल और इंटर की शिक्षा बक्सर से प्राप्त की. इसके बाद उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) का रुख किया.

बीएचयू से उन्होंने बीए, एलएलबी और एलएलएम की पढ़ाई पूरी की. समीर की मेहनत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने वर्ष 2022 में आयोजित कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) में ऑल इंडिया स्तर पर दूसरा स्थान प्राप्त किया था.

हिंदी माध्यम से की पढ़ाई, चुनौतियों को बनाया ताकत

समीर ने अपनी स्कूली शिक्षा हिंदी माध्यम से की थी. उन्होंने बताया कि शुरुआत में उच्च शिक्षा के दौरान उन्हें भाषा संबंधी कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उनका कहना है कि सही मार्गदर्शन और निरंतर अभ्यास से हर मुश्किल आसान हो जाती है.

समीर की इस सफलता पर उनके परिवार के साथ-साथ गांव के लोग भी बेहद खुश हैं. पिता किसान थे, इसलिए उन्होंने सीमित संसाधनों में भी अपनी मेहनत और लगन से यह मुकाम हासिल किया. गांव के बुजुर्गों ने उन्हें आशीर्वाद दिया और युवा वर्ग के लिए प्रेरणा बताया.

उनकी इस उपलब्धि पर जिले के शिक्षाविदों और स्थानीय लोगों ने बधाई दी है. समीर का मानना है कि अगर कोई व्यक्ति अपने लक्ष्य को लेकर ईमानदार और मेहनती है, तो कोई भी बाधा उसे सफल होने से नहीं रोक सकती.










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