संस्कारों की राह पर विश्वामित्र सेना, गुरुकुल में कराएगी निःशुल्क यज्ञोपवीत संस्कार

कहा कि संध्या वंदन, गायत्री मंत्र का जप, वेदाध्ययन और कर्मकांडों में भागीदारी जैसे सभी धार्मिक कार्य यज्ञोपवीत के बिना अधूरे माने जाते हैं. वर्तमान समय में कई लोग या तो खर्च के कारण या प्रमादवश जनेऊ संस्कार नहीं करवा पाते, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है.








                                           



- विश्वामित्र सेना के बैनर तले श्रीधराचार्य वेद गुरुकुलम में किया जाएगा आयोजन

- गुरुकुल परिवार ने विप्र बालकों से पंजीयन कराकर समय से पहुंचने की अपील की

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : विश्वामित्र सेना के राष्ट्रीय संयोजक राजकुमार चौबे के नेतृत्त्व में बक्सर जिले के इटाढ़ी प्रखंड स्थित श्रीधराचार्य वेद गुरुकुलम, सिक्टोना में निःशुल्क यज्ञोपवीत (जनेऊ) संस्कार का आयोजन रविवार, 20 अप्रैल 2025 को किया जा रहा है. आयोजन पूर्णतः निःशुल्क होगा और इसमें शामिल होने के लिए विप्र बालकों के अभिभावकों को समय से गुरुकुल पहुंचकर पंजीयन कराना आवश्यक है. पंजीयन उपरांत रसीद प्राप्त कर बालक को संस्कार हेतु भेजा जा सकेगा.

गुरुकुल के आचार्य पंडित रंगनाथ द्विवेदी ने बताया कि यज्ञोपवीत संस्कार के बिना ब्राह्मण कुल में जन्म लेकर भी कोई सत्कर्म पूर्ण नहीं होता. उन्होंने कहा कि संध्या वंदन, गायत्री मंत्र का जप, वेदाध्ययन और कर्मकांडों में भागीदारी जैसे सभी धार्मिक कार्य यज्ञोपवीत के बिना अधूरे माने जाते हैं. वर्तमान समय में कई लोग या तो खर्च के कारण या प्रमादवश जनेऊ संस्कार नहीं करवा पाते, जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है.

उन्होंने बताया कि शास्त्रों के अनुसार ब्राह्मण बालक का यज्ञोपवीत संस्कार आठ वर्ष की उम्र से पूर्व, क्षत्रिय का ग्यारह वर्ष और वैश्य का पंद्रह वर्ष की उम्र से पहले करा देना चाहिए. इससे व्यक्ति देवताओं और पितरों के पूजन तथा तर्पण के योग्य बनता है. साथ ही यह आत्मबल व आध्यात्मिक सुरक्षा का प्रतीक भी है.

विश्वामित्र सेना एवं गुरुकुल परिवार ने समाज के प्रबुद्ध जनों से अपील की है कि इस पुण्य अवसर का लाभ उठाते हुए अधिक से अधिक बालकों का पंजीकरण कराएं और उन्हें संस्कार हेतु भेजें. आयोजन स्थल पर सभी व्यवस्थाएं गुरुकुलम की ओर से की जा रही हैं. प्रतिभागियों के लिए स्वास्थ्य, भोजन एवं सुरक्षा की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की गई है.

धार्मिक परंपरा को बढ़ावा देने और युवाओं को सनातन संस्कृति से जोड़ने के उद्देश्य से किया जा रहा यह आयोजन समाज में सकारात्मक संदेश देगा. विद्वानजनों एवं स्थानीय संत-समाज ने इस पहल की सराहना करते हुए इसे एक सराहनीय प्रयास बताया है.










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