मध्याह्न भोजन योजना के प्रखंड साधन सेवी ने जिला अधिकारियों को सूचना दी कि एनजीओ "उज्ज्वल सवेरा समिति" द्वारा विद्यालय में उपलब्ध कराए गए भोजन में छिपकली पाई गई है. इसके बाद जिन बच्चों ने उस भोजन को खाया था, उन्हें एहतियातन अस्पताल भेजा गया.
![]() |
जांच करने पहुंची टीम के सदस्य |
- DM अंशुल अग्रवाल ने खुद लिया हालात का जायजा
- NGO संचालक ने प्रधानाध्यापक पर लगाया कमीशन मांगने का आरोप
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिले के मध्य विद्यालय हरिकिशुनपुर में मिड डे मील के खाने में छिपकली पाए जाने से शुक्रवार को अफरा-तफरी मच गई. घटना की जानकारी मिलते ही प्रशासन हरकत में आया और बच्चों को तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया. कुल 63 बच्चों को इलाज के लिए ले जाया गया, जिनमें से 34 को निजी अस्पताल शिवरात्रि हॉस्पिटल में और 29 को सदर अस्पताल बक्सर में भर्ती किया गया.
घटना शुक्रवार 30 मई 2025 को सुबह करीब 10 बजे सामने आई, जब प्रखंड बक्सर के मध्याह्न भोजन योजना के प्रखंड साधन सेवी ने जिला अधिकारियों को सूचना दी कि एनजीओ "उज्ज्वल सवेरा समिति" द्वारा विद्यालय में उपलब्ध कराए गए भोजन में छिपकली पाई गई है. इसके बाद जिन बच्चों ने उस भोजन को खाया था, उन्हें एहतियातन अस्पताल भेजा गया. डॉक्टरों के अनुसार सभी बच्चे अब पूर्णतः स्वस्थ हैं, हालांकि फूड पॉइजनिंग की संभावना से इनकार नहीं किया गया है.
जिला कार्यक्रम प्रबंधक, मध्याह्न भोजन योजना द्वारा विद्यालय का स्थल पर जाकर निरीक्षण किया गया. निरीक्षण में कई अनियमितताएं पाई गईं. भोजन चखने और उसकी फोटो भेजने जैसी आवश्यक प्रक्रियाओं को लेकर भी गंभीर लापरवाही सामने आई है. विभाग ने विद्यालय के प्रधानाध्यापक, प्रखंड साधन सेवी और संबंधित स्वयंसेवी संस्था से 24 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है. स्पष्टीकरण के आधार पर अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी.
इस मामले में स्वयंसेवी संस्था "उज्ज्वल सवेरा समिति" के किचन इंचार्ज मनोज कुमार ने आरोप लगाया है कि विद्यालय के प्रधानाध्यापक द्वारा उनसे कमीशन की मांग की गई थी. जब उन्होंने इनकार किया तो उनके खिलाफ साजिश रची गई. उन्होंने दावा किया कि जिस छिपकली की बात हो रही है, वह पकाए गए भोजन में हो ही नहीं सकती, क्योंकि पूरा खाना बंद बर्तनों में बनता और भेजा जाता है.
घटना की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी अंशुल अग्रवाल स्वयं सदर अस्पताल पहुंचे और बच्चों से बातचीत कर उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली. उन्होंने सिविल सर्जन को निर्देश दिया कि सभी बच्चों को केवल दोबारा जांच के बाद ही छुट्टी दी जाए और इस दौरान उन्हें जीविका दीदी की रसोई से गुणवत्ता वाला भोजन उपलब्ध कराया जाए. साथ ही बच्चों को ओआरएस भी देने का निर्देश दिया गया.
फिलहाल, शिक्षा विभाग की साख पर सवाल खड़े हो गए हैं और पूरे जिले में इस घटना की चर्चा जोरों पर है. विभाग पर कार्रवाई का दबाव बढ़ रहा है. अब देखना है कि प्रशासन इस मामले में कितनी पारदर्शिता और सख्ती के साथ कार्रवाई करता है.
वीडियो :
0 Comments