बताया कि प्रेम विवाह अपराध नहीं है. शर्त केवल यह है कि दोनों बालिग हों और सहमति दें. पुलिस का दायित्व है कि वह ऐसे जोड़ों को कानूनी संरक्षण दे. इस पहल से संदेश गया है कि प्रेम पर पाबंदी लगाने से बेहतर है आपसी संवाद और समझौता.
- पिछले 18 महीनों से परवान चढ़ रहा था पिंटू साह और शिल्पी कुमारी का प्रेम
- परिजनों के सख्त विरोध के बाद प्रेमी युगल ने महिला थाना से मांगी मदद.
- थानाध्यक्ष कनिष्का तिवारी ने मंदिर में शादी करवाई और खुद बनी गवाह.
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : प्रेम में डूबे दो दिल आखिरकार हमेशा के लिए एक हो गए. सिकरौल थाना क्षेत्र के रेंका गांव निवासी पिंटू साह तथा मुरार थाना क्षेत्र के अमसारी गांव की शिल्पी कुमारी की मुलाकात पिछले वर्ष रेंका में एक शादी समारोह के दौरान हुई थी. पहली नजर में ही दोनों के मन में एक–दूसरे के लिए जगह बन गई. दोस्ती जल्द ही गहरे प्रेम में बदल गई. समय के साथ मुलाकातें बढ़ीं और दोनों ने साथ जीवन बिताने का संकल्प कर लिया.
लेकिन खुशियों को मंजिल तक पहुंचने से पहले बड़ी दीवार खड़ी थी. जैसे ही परिजनों को प्रेम संबंध का पता चला. कड़ा विरोध शुरू हो गया. मिलने जुलने पर पाबंदियां लगा दी गईं. बात विवाह पर आई तो दोनों परिवारों ने साफ इनकार कर दिया. सामाजिक दबाव और परिवार की नाराजगी के बीच भी पिंटू और शिल्पी का हौसला नहीं डगमगाया.
अपनी मोहब्बत को वैध मान्यता देने के लिए दोनों सीधे बक्सर महिला थाना पहुंचे. थानाध्यक्ष कनिष्का तिवारी ने दोनों को सुना. दस्तावेजों से यह स्पष्ट हुआ कि युवक युवती बालिग हैं और अपनी इच्छा से विवाह करना चाहते हैं. थानाध्यक्ष ने दोनों पक्षों को बुलाकर समझाने की कोशिश की. बावजूद इसके परिजन नहीं माने और नाराज होकर लौट गए.
स्थिति को देखते हुए कनिष्का तिवारी ने वरिष्ठ अधिकारियों से अनुमति ली. फिर थाना परिसर में स्थित छोटे से मंदिर को साक्षी मानकर वैदिक रीति से विवाह की व्यवस्था की. महिला थाना की पूरी टीम ने वर–वधू के पक्ष में गवाह की भूमिका निभाई. विवाह संपन्न होने के बाद मिठाई बांटी गई. पुलिसकर्मियों ने नवदंपती को आशीर्वाद दिया और सुरक्षित भविष्य की शुभकामनाएं दीं.
शादी के बाद पिंटू साह ने कहा. “हमारा प्रेम सच्चा था. कानून का भरोसा था. पुलिस ने जो सहयोग दिया. वह कभी नहीं भूलेंगे.” शिल्पी कुमारी की आंखों में खुशी के आंसू थे. उन्होंने कहा. “अगर महिला थाना सहारा न बनता तो हमारा साथ अधूरा रह जाता.”
थानाध्यक्ष कनिष्का तिवारी ने बताया कि प्रेम विवाह अपराध नहीं है. शर्त केवल यह है कि दोनों बालिग हों और सहमति दें. पुलिस का दायित्व है कि वह ऐसे जोड़ों को कानूनी संरक्षण दे. इस पहल से संदेश गया है कि प्रेम पर पाबंदी लगाने से बेहतर है आपसी संवाद और समझौता. मौके पर सामाजिक कार्यकर्ता मिक्की पांडेय व अन्य लोगों ने भी नवदम्पति को आशीर्वाद दिया.
बक्सर की यह घटना दर्शाती है कि जब प्रेम सच्चा हो और कानून का साथ मिले तो समाजिक बंधन भी टूट जाते हैं. पुलिस की मानवीय पहल न केवल इस जोड़े के लिए बल्कि उन तमाम प्रेमी युगलों के लिए उम्मीद की किरण है जो पारिवारिक दबाव में अपने रिश्ते को नाम नहीं दे पाते.
बहरहाल, पुलिस की सकारात्मक भूमिका और प्रेम की दृढ़ता ने साबित कर दिया कि बदलाव संभव है. यह कहानी आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देती है कि अधिकारों की जानकारी और साहस मिलकर नामुमकिन को मुमकिन बना सकते हैं.
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