तत्कालीन एसपी उपेंद्र शर्मा और रिटायर्ड दारोगा पर बक्सर न्यायालय से जारी हुआ जमानतीय वारंट

घटनाक्रम ने पुलिस महकमे में भी हलचल मचा दी है. हालांकि वरिष्ठ अधिकारी अभी तक इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन अंदरखाने चर्चाओं का दौर तेज है. पुलिस विभाग के कर्मियों के बीच भी इस मामले को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं.


 









                                           



- बक्सर व्यवहार न्यायालय ने जारी किया बेलबल वारंट
- समय पर पेश नहीं हुए तो उठ सकते हैं और सख्त कदम

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : व्यवहार न्यायालय के एसीजेएम-3 ने शुक्रवार को बिहार कैडर के आइपीएस अधिकारी उपेंद्र शर्मा और सेवानिवृत्त पुलिस अवर निरीक्षक रामशरण दास के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए बेलबल वारंट जारी कर दिया. मामला नया भोजपुर के निवासी जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव द्वारा वर्ष 2020 में दायर परिवाद पत्र पर आधारित है, जो लंबे समय से न्यायालय में लंबित था.

जानकारी के अनुसार, परिवादी जितेंद्र कुमार ने वर्ष 2017 में तत्कालीन बक्सर एसपी उपेंद्र शर्मा और पुलिस अवर निरीक्षक रामशरण दास पर दुर्व्यवहार, धमकी देने और अनुचित कार्यवाही करने का आरोप लगाया था. उन्होंने मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (सीजेएम) के समक्ष शिकायत दर्ज कराते हुए बताया था कि पुलिस अधिकारियों ने उनके साथ न केवल अभद्र व्यवहार किया बल्कि उन्हें बेवजह डराया-धमकाया भी गया.

सूचना पर भी न्यायालय में नहीं उपस्थित हुए आरोपी अधिकारी

परिवादी की शिकायत पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता की धारा 166 (लोक सेवक द्वारा कानून का उल्लंघन), 211 (झूठे आरोप लगाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत संज्ञान लिया. आरोप गंभीर थे, लिहाजा न्यायालय ने दोनों आरोपितों को समुचित सूचना भिजवाकर उपस्थिति का अवसर प्रदान किया. हालांकि, न्यायालय द्वारा भेजे गए सम्मन के बावजूद न तो आइपीएस उपेंद्र शर्मा और न ही रिटायर्ड दरोगा रामशरण दास अदालत में पेश हुए.

कोर्ट ने माना न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन, जारी किया वारंट 

परिवादी जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने न्यायालय के समक्ष सम्मन प्राप्ति से जुड़ी पोस्टल रसीद और ट्रैकिंग रिपोर्ट पेश कर यह प्रमाणित किया कि दोनों अधिकारियों को विधिवत सूचना दी गई थी. इसके बावजूद उनकी अनुपस्थिति को न्यायालय ने न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन मानते हुए दोनों के खिलाफ बेलबल वारंट जारी करने का आदेश दिया.

पुलिस को ही मिली उसके अधिकारी को न्यायालय में प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी

अब अदालत के इस आदेश के बाद पुलिस विभाग पर यह जिम्मेदारी आ गई है कि वह दोनों आरोपितों को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करे. सूत्रों का कहना है कि अगर आगामी तिथि पर भी आरोपी अदालत में पेश नहीं होते हैं तो उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया जा सकता है और उन्हें बलपूर्वक अदालत लाया जा सकता है.

न्यायालय के फैसले पर परिवादी ने जताया हर्ष

परिवादी जितेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने न्यायालय के इस फैसले पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि अब उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद जागी है. उन्होंने कहा कि कानून सबके लिए समान है और किसी बड़े पद पर बैठे अधिकारी को भी उसके गलत कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.

मामले को लेकर चर्चाओं का बाजार हुआ गर्म, अधिकारियों ने साधी चुप्पी 

वहीं, इस घटनाक्रम ने पुलिस महकमे में भी हलचल मचा दी है. हालांकि वरिष्ठ अधिकारी अभी तक इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं, लेकिन अंदरखाने चर्चाओं का दौर तेज है. पुलिस विभाग के कर्मियों के बीच भी इस मामले को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं.

न्यायालय में नहीं हुए उपस्थित तो और कस सकता है कानून का शिकंजा 

अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि आइपीएस उपेंद्र शर्मा और रामशरण दास आगामी सुनवाई में अदालत के समक्ष उपस्थित होते हैं या नहीं. अगर अनुपस्थिति बनी रही तो कानूनी शिकंजा और कस सकता है.











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