बक्सर में भीषण गर्मी से बेहाल बेजुबान, दाना-पानी मुहैया कराने आगे आए शहरवासी ..

गर्मी में जहां इंसान घर से निकलने में कतराते हैं, वहीं पशु-पक्षी पानी और छांव के अभाव में तड़प रहे हैं. बक्सर के कई प्रबुद्ध नागरिकों ने इस भीषण गर्मी में बेजुबानों की मदद के लिए एक मानवीय पहल शुरू की है. वे अपने घरों की छतों, बालकनियों और आसपास के खुले स्थानों पर पक्षियों के लिए दाना और पानी की व्यवस्था कर रहे हैं.
पक्षियों के लिए पानी और दान रखते अशोक सर्राफ और सुमन सेठ









                                           



  • मानवता की मिसाल पेश कर रहे डॉक्टर, व्यवसायी और समाजसेवी
  • बक्सर टॉप न्यूज की अपील - आप भी बनें इस पुनीत कार्य का हिस्सा

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : उत्तर भारत में भीषण गर्मी ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है. बक्सर जिले में तापमान 45 डिग्री के करीब पहुंच चुका है. ऐसी गर्मी में जहां इंसान घर से निकलने में कतराते हैं, वहीं पशु-पक्षी पानी और छांव के अभाव में तड़प रहे हैं. बक्सर के कई प्रबुद्ध नागरिकों ने इस भीषण गर्मी में बेजुबानों की मदद के लिए एक मानवीय पहल शुरू की है. वे अपने घरों की छतों, बालकनियों और आसपास के खुले स्थानों पर पक्षियों के लिए दाना और पानी की व्यवस्था कर रहे हैं.

बक्सर टॉप न्यूज इस अभियान में सहभागी बनते हुए सभी पाठकों से अपील करता है कि वे भी इस नेक कार्य में हिस्सा लें और बेजुबानों की सेवा कर सच्ची मानवता का प्रमाण दें.

नगर के प्रमुख स्वर्ण व्यवसायी अशोक सर्राफ का कहना है कि इस समय गर्मी से न केवल इंसान, बल्कि पशु और पक्षी भी बेहाल हैं. शहरीकरण के कारण पोखर और तालाब खत्म हो चुके हैं. ऐसे में जल स्रोतों की कमी से पक्षियों को पानी मिलना मुश्किल हो गया है. उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी सुमन सेठ के साथ वे हर दिन अपने घर के आंगन और छत पर मिट्टी के पात्रों में पानी और दाना रखते हैं. यह उनकी रोजाना की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है.

पक्षियों के दाने पानी का इंतजाम करती सुधा अग्रवाल

समाजसेवी हनुमान प्रसाद अग्रवाल और उनकी पत्नी सुधा अग्रवाल ने बताया कि वे पशु और पक्षियों दोनों के लिए नियमित रूप से पानी और दाने की व्यवस्था करते हैं. 

हनुमान प्रसाद अग्रवाल

साथ ही मारवाड़ी महिला मंच की अन्य महिलाओं को भी इस अभियान से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं. उनका मानना है कि हर व्यक्ति यदि थोड़ी सी जिम्मेदारी ले तो बड़ी संख्या में बेजुबानों की जान बचाई जा सकती है.

डॉ दिलशाद आलम

चिकित्सक डॉ. दिलशाद आलम ने कहा कि बेजुबानों के लिए पानी और दाना रखना न केवल नैतिक कर्तव्य है, बल्कि आत्मिक संतोष भी देता है. उन्होंने कहा कि यदि हर इंसान अपनी दिनचर्या में इस कार्य को शामिल करे तो न केवल जीवों की जान बचेगी, बल्कि समाज में संवेदनशीलता भी बढ़ेगी.

कंचन देवी

भाजपा महिला मोर्चा की नगर अध्यक्ष और वैश्य महासम्मेलन की महिला जिला अध्यक्ष कंचन देवी ने बताया कि उन्होंने अपने घर की छत पर पक्षियों के लिए पानी और दाने की व्यवस्था कर रखी है. उनके पति बबलू जायसवाल भी इस कार्य में सहयोग करते हैं. कंचन देवी का मानना है कि बेजुबानों की सेवा करने से ईश्वर प्रसन्न होते हैं और धार्मिक ग्रंथों में भी इसका उल्लेख है.

इस मानवीय पहल में बक्सर के आम नागरिकों की सहभागिता सराहनीय है. यह अभियान समाज में करुणा और दया की भावना को मजबूती देता है. यदि हर व्यक्ति इस गर्मी में बेजुबानों के लिए एक कटोरी पानी और थोड़ा दाना रख दे, तो हजारों जीवों की जान बचाई जा सकती है. यही सच्ची मानवता और धर्म है.










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