शिक्षा विभाग के विरुद्ध न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे निजी विद्यालय ..

शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत नामांकित बच्चों एवं उनकी पढ़ाई की राशि की प्रतिपूर्ति को लेकर गहन चर्चा हुई. विद्यालय प्रबंधकों ने शिक्षा विभाग पर लचर रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि शीघ्र प्रतिपूर्ति राशि का भुगतान नहीं हुआ तो एसोसिएशन न्यायालय का रुख करेगा.









                                           





- आरटीई के तहत नामांकित बच्चों की प्रतिपूर्ति राशि पर उठाए सवाल
- जल्द समाधान नहीं होने पर न्यायालय जाने की चेतावनी

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : प्राइवेट स्कूल्स एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन बक्सर के तत्वावधान में शनिवार को बक्सर बायपास रोड स्थित एमजी रेजिडेंसी होटल में विद्यालय प्रबंधकों एवं प्राचार्यों की एक अहम बैठक आयोजित हुई. बैठक में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत नामांकित बच्चों एवं उनकी पढ़ाई की राशि की प्रतिपूर्ति को लेकर गहन चर्चा हुई. विद्यालय प्रबंधकों ने शिक्षा विभाग पर लचर रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि शीघ्र प्रतिपूर्ति राशि का भुगतान नहीं हुआ तो एसोसिएशन न्यायालय का रुख करेगा.

बैठक में बताया गया कि विगत वर्ष शिक्षा सचिव एवं विभागीय अधिकारियों ने स्वयं यह घोषणा की थी कि फरवरी-मार्च माह तक आरटीई के तहत एडमिशन प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी, किंतु इस वर्ष अप्रैल के अंतिम सप्ताह तक भी रेण्डोमाइजेशन की प्रक्रिया चलती रही. वहीं विभाग ने आरटीई के तहत अध्ययनरत छात्रों की राशि शीघ्र भुगतान करने का वादा किया था, परंतु अब तक बक्सर के निजी विद्यालयों को प्रतिपूर्ति राशि नहीं मिली है.

विद्यालयों ने यह भी बताया कि जिला प्रशासन द्वारा 35 विद्यालयों के निरीक्षण का आदेश तो दिया गया था, लेकिन निरीक्षण प्रक्रिया कई माह से धीमी गति से चल रही है और कुछ ही विद्यालयों की रिपोर्ट सबमिट हो पाई है. प्रतिनिधियों ने शिक्षा विभाग के इस निष्क्रिय रवैये पर नाराजगी व्यक्त की.

बैठक में एक और गंभीर समस्या पर चर्चा हुई. विद्यालय प्रबंधकों ने कहा कि विभाग केवल उम्र के आधार पर बच्चों का चयन कर रहा है, जिसके चलते नर्सरी स्तर के बच्चों को सीधे कक्षा एक में दाखिला दिया जा रहा है. इससे बच्चों के मानसिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. कई मामलों में देखा गया है कि तकनीकी समझ रखने वाले आर्थिक रूप से सक्षम लोग भी कम आय का प्रमाण पत्र बनवाकर आरटीई के तहत दाखिला करवा रहे हैं. प्रतिनिधियों ने सुझाव दिया कि हर वर्ष आय का एफिडेविट अनिवार्य किया जाए ताकि सही लाभार्थियों को ही इस योजना का लाभ मिल सके.

एसोसिएशन ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि सरकार ने शीघ्र कार्रवाई नहीं की तो विद्यालय आरटीई के तहत नामांकन व पढ़ाई में रुचि कम कर सकते हैं या फिर न्यायालय का सहारा ले सकते हैं. एसोसिएशन ने यह भी कहा कि अन्य जिलों में जहां प्रतिपूर्ति राशि का वितरण हो चुका है, वहीं बक्सर में अब तक भुगतान न होना सवाल खड़ा करता है. सरकार व जिला प्रशासन से अनुरोध किया गया कि बच्चों एवं विद्यालयों के हित में शीघ्र कार्रवाई कर बकाया राशि का भुगतान सुनिश्चित करें, अन्यथा कानूनी रास्ता अपनाया जाएगा.











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