पिछले दस वर्षों से बच्चों को भारतीय शास्त्रीय संगीत की बारीकियों से परिचित करा रही हैं. अब तक उनके निर्देशन में 500 से अधिक बच्चों ने संगीत की शिक्षा प्राप्त की है, जिनमें से कई बच्चे मंचीय प्रस्तुति तक पहुंच चुके हैं. वर्तमान में उनके सरस्वती संगीतालय में 60 से 70 बच्चे नियमित रूप से रियाज कर रहे हैं.
- बनारस और बक्सर में ली संगीत की उच्च शिक्षा, गोल्ड मेडलिस्ट को मिला राज्यपाल व जाकिर हुसैन के हाथों सम्मान
- सरस्वती संगीतालय में 60 से अधिक बच्चे कर रहे नियमित रियाज, नई पीढ़ी को भारतीय सांस्कृतिक विरासत से जोड़ रही सुकृति मिश्रा
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : आधुनिक दौर में जहां पाश्चात्य संगीत की ओर रुझान बढ़ रहा है, वहीं बक्सर की बेटी सुकृति मिश्रा शास्त्रीय संगीत की पताका थामे समाज में नई रोशनी जगा रही हैं. वे पिछले दस वर्षों से बच्चों को भारतीय शास्त्रीय संगीत की बारीकियों से परिचित करा रही हैं. अब तक उनके निर्देशन में 500 से अधिक बच्चों ने संगीत की शिक्षा प्राप्त की है, जिनमें से कई बच्चे मंचीय प्रस्तुति तक पहुंच चुके हैं. वर्तमान में उनके सरस्वती संगीतालय में 60 से 70 बच्चे नियमित रूप से रियाज कर रहे हैं.
संगीत के प्रति सुकृति की लगन बचपन से रही. मात्र पांच वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने पहले गुरु ओम प्रकाश राय से संगीत की शिक्षा शुरू की. दो वर्षों के प्रशिक्षण के बाद गुरुजी दिल्ली चले गए. इसके बाद उन्होंने बनारस में पंडित देवाशीष डे के निर्देशन में वर्ष 2008 से 2014 तक संगीत साधना की. इसी दौरान उन्होंने इंदिरा कला विश्वविद्यालय, खैरागढ़ से नवसाधना कला केंद्र वाराणसी के माध्यम से स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की. वर्ष 2017-19 सत्र में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए उन्हें गोल्ड मेडल से सम्मानित किया गया.
गौरतलब है कि यह सम्मान उन्हें छत्तीसगढ़ के तत्कालीन राज्यपाल और विश्वप्रसिद्ध तबला वादक दिवंगत उस्ताद जाकिर हुसैन ने प्रदान किया था. इसके अतिरिक्त गणतंत्र दिवस के मौके पर जिला प्रशासन द्वारा भी उन्हें विशेष रूप से सम्मानित किया गया.
सुकृति मिश्रा का सपना है कि बक्सर की पवित्र धरती से एक बार फिर शास्त्रीय संगीत की गूंज देशभर में सुनाई दे. वे चाहती हैं कि नई पीढ़ी अपने सांस्कृतिक मूल्यों को समझे और संगीत को केवल शौक नहीं, बल्कि साधना के रूप में अपनाए.
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