बताया कि इस त्योहार की परंपरा हजरत इब्राहिम अलैय सलाम की उस कुर्बानी से जुड़ी है, जब उन्होंने अल्लाह के कहने पर अपने पुत्र इस्माइल की बलि देने को तत्पर हो गए थे. लेकिन अल्लाह ने परीक्षा लेते हुए इस्माइल की जगह भेड़ की कुर्बानी करवा दी. तभी से यह परंपरा कायम है.
- प्रसिद्ध शायर ने कहा- भारत धर्म नहीं, इंसानियत का देश है, सभी मजहबों में कुर्बानी और तपस्या की परंपरा रही है
- जिले में शांतिपूर्ण माहौल में अदा की गई ईद-उल-अजहा की नमाज, सुरक्षा को लेकर प्रशासन रहा मुस्तैद
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिले में शनिवार को ईद-उल-अजहा (बकरीद) का पर्व उत्साह व सौहार्द के साथ मनाया गया. इस अवसर पर स्टेशन रोड स्थित मस्जिद में नमाज अता करने पहुंचे प्रसिद्ध शायर व समाजसेवी साबित रोहतासवी ने मानवता का संदेश देते हुए कहा, "हिंदुस्तान एक ऐसा देश है, जहां धर्म नहीं, इंसानियत की बात होती है." नमाज के बाद हिंदू और मुस्लिम समुदाय के लोगों ने उन्हें गले लगाकर बधाई दी, जो सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल बनी.
साबित रोहतासवी ने कहा कि बकरीद कुर्बानी और तपस्या का त्योहार है. यह त्याग की भावना को समर्पित है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान का समर्थन किया कि "भारत एक परिवार है". उन्होंने यह भी बताया कि श्रवण कुमार जैसे उदाहरण भारत में तपस्या और बलिदान के आदर्श प्रस्तुत करते हैं.
बक्सर सांसद सुधाकर सिंह और सदर विधायक संजय कुमार तिवारी ‘मुन्ना तिवारी’ ने भी लोगों को बकरीद की शुभकामनाएं दी. इस अवसर पर साबित खिदमत फाउंडेशन के निदेशक डॉ दिलशाद आलम ने इसे प्रेम और भाईचारे का पर्व बताया और कहा कि यह अल्लाह की राह में कुर्बानी देने का पर्व है.
प्रशासन ने बकरीद को लेकर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए थे. सदर एसडीओ अविनाश कुमार, एसडीपीओ धीरज कुमार, बीडीओ साधु शरण पांडेय, सीओ प्रशांत शांडिल्य और नगर थानाध्यक्ष मनोज कुमार सिन्हा के निर्देशन में पुलिस बल मस्जिदों और चौराहों पर तैनात रहे. रेडक्रॉस सचिव डॉ श्रवण कुमार तिवारी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ मनोज कुमार पांडेय हामिद रजा और मुर्शीद रजा भी प्रशासन के साथ मौजूद थे.
जामा मस्जिद के सचिव मो. एजाज और मदरसा दारुल उलूम अशरफिया के सचिव डॉ निसार अहमद ने बताया कि सुबह 6:30 बजे से ही नमाजी जुटने लगे थे.
डॉ दिलशाद आलम ने बताया कि इस त्योहार की परंपरा हजरत इब्राहिम अलैय सलाम की उस कुर्बानी से जुड़ी है, जब उन्होंने अल्लाह के कहने पर अपने पुत्र इस्माइल की बलि देने को तत्पर हो गए थे. लेकिन अल्लाह ने परीक्षा लेते हुए इस्माइल की जगह भेड़ की कुर्बानी करवा दी. तभी से यह परंपरा कायम है.
बक्सर जिले में बकरीद का पर्व इस वर्ष भी शांति, भाईचारे और इंसानियत के संदेश के साथ मनाया गया, जो भारत की विविधता में एकता को दर्शाता है.
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