चुनौतियों को देखते हुए समिति ने पूजन कार्यक्रम को संक्षिप्त करते हुए सुबह 4:00 बजे से 7:00 बजे के बीच ही पूजा करने का निर्णय लिया है. पहले यह कार्यक्रम पूरे दिन चलता था. अब दिनभर मंदिर का मुख्य द्वार दर्शनार्थ खुला रहेगा और परिसर में एलइडी स्क्रीन पर लाइव दर्शन की व्यवस्था की जा रही है.

- श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुबह 4 से 7 बजे तक होगा पूजन, शाम को महाआरती और छप्पन भोग
- रास्ता बंद, जमीन की घेराबंदी से परेशान समिति ने प्रशासन से मांगी सुरक्षा और व्यवस्था
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : नगर के बायपास रोड स्थित प्रसिद्ध बुढ़िया काली माई मंदिर में इस वर्ष की वार्षिक पंचित पूजा सोमवार को आयोजित की जा रही है. हर वर्ष की भांति इस बार भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की उम्मीद है, लेकिन पूजा समिति इस बार कई परेशानियों से जूझ रही है. मंदिर परिसर के आसपास भूमि विवाद और रास्ता बंद हो जाने के कारण पूजा स्थल पर जगह की भारी कमी हो गई है. इससे पूजन के साथ ही मेले के आयोजन में भी बाधा आने की आशंका है.
पूजा समिति के सदस्य अशोक सर्राफ और अनूप गुप्ता ने बताया कि मंदिर के पास एक व्यक्ति ने अपनी जमीन की घेराबंदी कर उसमें गेट लगा दिया है. वहीं, मंदिर से भैरव स्थान जाने वाले रास्ते पर दूसरे व्यक्ति द्वारा ईंटें रखवा कर रास्ता बंद कर दिया गया है. इन हालातों में श्रद्धालुओं के आने-जाने में दिक्कत होना तय है.
इन चुनौतियों को देखते हुए समिति ने पूजन कार्यक्रम को संक्षिप्त करते हुए सुबह 4:00 बजे से 7:00 बजे के बीच ही पूजा करने का निर्णय लिया है. पहले यह कार्यक्रम पूरे दिन चलता था. अब दिनभर मंदिर का मुख्य द्वार दर्शनार्थ खुला रहेगा और परिसर में एलइडी स्क्रीन पर लाइव दर्शन की व्यवस्था की जा रही है.
शाम 8:00 बजे महाआरती का आयोजन होगा. इसके बाद छप्पन भोग अर्पित कर प्रसाद का वितरण किया जाएगा. समिति का कहना है कि सुबह पूजा कर देने से व्रती महिलाओं को भी सहूलियत मिलेगी क्योंकि वे जल्द पारण कर सकेंगी.
समिति ने स्थानीय प्रशासन से अपील की है कि श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और सीमित स्थान को देखते हुए पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती की जाए. साथ ही ट्रैफिक की व्यवस्था बेहतर की जाए ताकि श्रद्धालुओं की आस्था पर कोई आंच न आए.
स्थानीय लोगों का कहना है कि बुढ़िया काली माई की पंचित पूजा नगरवासियों के लिए आस्था और विश्वास का प्रमुख केंद्र है. हजारों श्रद्धालु हर वर्ष यहां पहुंचते हैं, ऐसे में प्रशासन और समाज दोनों की यह जिम्मेदारी है कि यह परंपरा बिना विघ्न सम्पन्न हो.
वीडियो :
0 Comments