‘भव रोग’ से मुक्ति का मार्ग, औषधि है भागवत : आचार्य रणधीर ओझा

खास बात यह है कि यह औषधि कड़वी नहीं बल्कि मीठी होती है. राजा परीक्षित का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने केवल सात दिनों में इस औषधि का सेवन कर भव रोग से मुक्ति पाई थी. यह कथा मन को आनंद देती है और आत्मा को शुद्ध करती है.

 











                                           



- काली मंदिर शिवपुरी में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा
- आचार्य रणधीर ओझा बोले—यह कथा मीठी औषधि है. जिसे कानों से पिया जाता है

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : नगर के शिवपुरी स्थित काली मंदिर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन मामा जी के कृपा पात्र आचार्य रणधीर ओझा ने श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत केवल एक ग्रंथ नहीं बल्कि भव रोग की अमोघ औषधि है. यह औषधि प्रत्येक जीव के लिए जरूरी है क्योंकि हर कोई किसी न किसी रूप में इस संसारिक रोग से ग्रसित है.

आचार्य ओझा ने कहा कि भागवत कथा एक ऐसी दिव्य औषधि है जिसे मुंह से नहीं बल्कि कानों के माध्यम से ग्रहण किया जाता है. इसकी खास बात यह है कि यह औषधि कड़वी नहीं बल्कि मीठी होती है. राजा परीक्षित का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने केवल सात दिनों में इस औषधि का सेवन कर भव रोग से मुक्ति पाई थी. यह कथा मन को आनंद देती है और आत्मा को शुद्ध करती है.

उन्होंने कहा कि इस औषधि को देने वाला वैद्य अर्थात वक्ता अगर निष्कलंक और निष्काम हो तो यह और प्रभावी होती है. सुखदेव जी महाराज जैसे संतों द्वारा दी गई यह औषधि विशेष रूप से प्रभावशाली होती है. यदि कोई व्यक्ति वास्तव में भव रोग से छुटकारा पाना चाहता है तो उसे इसका नियमित और सही पद्धति से सेवन करना चाहिए.

आचार्य ओझा ने कहा कि श्रीमद्भागवत में वर्णित विषय आत्मा को स्थायी सुख की ओर ले जाते हैं. यह ग्रंथ धर्म, भक्ति और ज्ञान का संगम है. उन्होंने कहा कि भागवत कथा न केवल धार्मिक अनुष्ठान है बल्कि यह जीव के कल्याण का मार्ग है.

आयोजनकर्ताओं ने बताया कि कथा में हर दिन सैकड़ों की संख्या में श्रोता भाग ले रहे हैं. दूर-दराज से भी लोग इस दिव्य आयोजन में शामिल होने के लिए पहुंच रहे हैं. कथा स्थल पर भक्तों की उपस्थिति और भक्ति भाव से वातावरण पूरी तरह भक्तिमय हो गया है.

उन्होंने बताया कि कथा के तीसरे दिन धर्म, भक्ति और वैराग्य की महत्ता पर विस्तार से चर्चा होगी. आयोजन को सफल बनाने में स्थानीय श्रद्धालु एवं सेवाभावी युवाओं का भी महत्वपूर्ण सहयोग मिल रहा है. भागवत कथा के इस पावन अवसर पर क्षेत्र में आध्यात्मिक जागरूकता का माहौल बना हुआ है.










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