अभियान का उद्देश्य बिहार के उन उपेक्षित धार्मिक स्थलों को पुनर्जीवित करना है, जिनकी पहचान समय के साथ खोती जा रही थी. बक्सर पहुंचते ही रथ का भव्य स्वागत हुआ. युवाओं, महिलाओं और बुजुर्गों ने पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ स्वागत करते हुए "हर हर महादेव" और "जय श्रीराम" के नारों से वातावरण को भक्तिमय बना दिया.
- विश्वामित्र ऋषि की धरती से शुरू हुआ सनातन संस्कृति का पुनर्जागरण
- गांव-गांव जाकर भुलाए गए धार्मिक स्थलों को फिर दिलाएगा पहचान
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : भगवान श्रीराम और ऋषि विश्वामित्र की तपोभूमि बक्सर शनिवार को एक बार फिर धर्म, संस्कृति और परंपरा की ध्वनि से गूंज उठी, जब "सनातन जागरण रथ" यहां पहुंचा. विश्वामित्र सेना के राष्ट्रीय संयोजक राजकुमार चौबे के नेतृत्व में यह रथयात्रा पटना से रवाना होकर बक्सर के गांव-गांव में सनातन संस्कृति का संदेश लेकर पहुंच रही है.
इस अभियान का उद्देश्य बिहार के उन उपेक्षित धार्मिक स्थलों को पुनर्जीवित करना है, जिनकी पहचान समय के साथ खोती जा रही थी. बक्सर पहुंचते ही रथ का भव्य स्वागत हुआ. युवाओं, महिलाओं और बुजुर्गों ने पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ स्वागत करते हुए "हर हर महादेव" और "जय श्रीराम" के नारों से वातावरण को भक्तिमय बना दिया.
राजकुमार चौबे ने कहा कि यह रथ कोई साधारण यात्रा नहीं है, बल्कि यह हमारी परंपरा, हमारी जड़ों और हमारी सांस्कृतिक चेतना को पुनर्स्थापित करने का संकल्प है. उन्होंने कहा कि विश्वामित्र सेना का यह अभियान हर उस स्थान तक पहुंचेगा जहां सनातन धर्म की उपेक्षा हुई है, और वहां धार्मिक चेतना की लौ फिर से प्रज्वलित की जाएगी.
रथयात्रा के माध्यम से जगह-जगह पर धार्मिक आयोजन, कथावाचन, मंत्रोच्चार और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां की जा रही हैं. लोगों में इस अभियान को लेकर गजब का उत्साह है. बच्चे, युवा और महिलाएं बड़ी संख्या में जुड़कर इस आंदोलन का हिस्सा बन रहे हैं.
विश्वामित्र सेना द्वारा संचालित यह सनातन जागरण रथ बक्सर के बाद अन्य जिलों का रुख करेगा. जहां-जहां यह रथ पहुंचेगा, वहां की सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. सनातन की यह गूंज अब पूरे बिहार में सुनाई देगी.
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