कहा कि अजीत सिंह का असमय निधन परिवार और समाज के लिए अपूरणीय क्षति है. उनकी उदारता, सादगी और सहयोग भावना सभी को प्रभावित करती थी.
- स्वजनों व मित्रों ने अर्पित किए श्रद्धा-सुमन
- साहस, संघर्ष और सामाजिक सरोकार थे उनके व्यक्तित्व की पहचान
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिले के प्रतिष्ठित व्यवसायी रहे स्वर्गीय अजीत सिंह की छठी पुण्यतिथि बुधवार को शहर के सिंडिकेट स्थित कैलाश भवन में श्रद्धा और संवेदना के साथ मनाई गई. सुबह से ही परिजनों और मित्रों का आगमन शुरू हो गया था और पूरे वातावरण में भावुकता और स्मृतियों का आलम छाया रहा. स्वजनों, परिजनों और मित्रों ने नम आंखों से उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित किए और उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को याद किया.

कार्यक्रम की शुरुआत अजीत सिंह के चित्र पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि से हुई. श्रद्धांजलि सभा में वक्ताओं ने कहा कि बहुत कम उम्र में उन्होंने व्यवसाय जगत में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी. मेहनत, लगन और दूरदर्शिता उनके जीवन की विशेषता थी, जिसके बल पर उन्होंने सफलता की बुलंदियां हासिल कीं. उनकी सोच और संघर्ष की राह आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा है.
अजीत सिंह के बड़े भाई अमित सिंह ने भावुक शब्दों में उन्हें याद करते हुए कहा कि अजीत न केवल परिवार के आधारस्तंभ थे बल्कि अपने परिचितों के बीच भी अत्यंत लोकप्रिय थे. वे हमेशा जरूरतमंदों की मदद के लिए तत्पर रहते थे और हर सुख-दुख में लोगों के साथ खड़े रहते थे. उन्होंने कहा कि भले ही अजीत आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी स्मृतियाँ हर पल मार्गदर्शन देती रहेंगी.
सभा में उपस्थित स्वजनों और मित्रों ने भी कहा कि अजीत सिंह का असमय निधन परिवार और समाज के लिए अपूरणीय क्षति है. उनकी उदारता, सादगी और सहयोग भावना सभी को प्रभावित करती थी. वे हमेशा युवाओं को सकारात्मक सोच रखने और संघर्ष के बल पर आगे बढ़ने की सीख देते थे. उनकी यही सीख आज भी सभी के जीवन में प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है.
इस मौके पर स्वर्गीय अजीत सिंह के छोटे भाई सुजीत सिंह, विनोद सिंह, अरविंद सिंह, अप्पू, रतन, मिठ्ठू, यादव जी, अभिषेक पांडेय, राकेश, मनीष, कामलेश समेत बड़ी संख्या में परिजन, मित्रगण और शुभचिंतक उपस्थित रहे. सभी ने नम आंखों से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और यह संकल्प लिया कि उनके आदर्शों और जीवन मूल्यों को आगे बढ़ाया जाएगा. श्रद्धांजलि सभा के दौरान भावुक माहौल में हर किसी ने यह अनुभव किया कि भले ही अजीत सिंह शारीरिक रूप से अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी यादें और उनके कर्म हमेशा समाज को रोशन करते रहेंगे.




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