पूरे वातावरण में लिट्टी और चोखे की सुगंध फैली हुई थी. इस अवसर पर अनुमंडल पदाधिकारी अविनाश कुमार, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी गौरव पांडेय, रेड क्रॉस सचिव डॉ. श्रवण कुमार तिवारी सहित अन्य गणमान्य लोगों ने भी गंगा घाट और किला मैदान पहुंचकर दर्शन किए और श्रद्धालुओं का उत्साहवर्धन किया.
गंगा स्नान और पूजन के साथ हुआ समापन
नगर में छाई रही पकवानों की सुगंध और उत्सव का माहौल
बक्सर: विश्व प्रसिद्ध पंचकोशी यात्रा का समापन सोमवार को बक्सर स्थित विश्वामित्र आश्रम में भव्य रूप से हुआ. यात्रा के अंतिम दिन श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान और पूजन कर धार्मिक अनुष्ठान पूरे किए. इसके बाद नगर के विभिन्न इलाकों में लिट्टी-चोखा महोत्सव का आयोजन किया गया, जिसमें हर घर में लिट्टी-चोखा बनाया गया और श्रद्धालुओं ने इसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया.
देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु बक्सर पहुंचे थे. कई श्रद्धालु शनिवार से ही बक्सर आ गए थे, जबकि अन्य रविवार को ट्रेन और सड़क मार्ग से पहुंचे. किला मैदान और चरित्रवन का इलाका श्रद्धा, भक्ति और उत्साह से सराबोर था. पूरे वातावरण में लिट्टी और चोखे की सुगंध फैली हुई थी. इस अवसर पर अनुमंडल पदाधिकारी अविनाश कुमार, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी गौरव पांडेय, रेड क्रॉस सचिव डॉ. श्रवण कुमार तिवारी सहित अन्य गणमान्य लोगों ने भी गंगा घाट और किला मैदान पहुंचकर दर्शन किए और श्रद्धालुओं का उत्साहवर्धन किया.
मतगणना से पूर्व सदर विधायक संजय कुमार तिवारी उर्फ मुन्ना तिवारी और एनडीए प्रत्याशी Ex-Ips आनंद मिश्रा द्वारा भी लिट्टी-चोखा भोज कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक और श्रद्धालु शामिल हुए.
त्रेता युग से चली आ रही परंपरा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने महर्षि विश्वामित्र के यज्ञ को सफल बनाने के बाद पांच ऋषियों के आश्रमों की परिक्रमा की थी और आशीर्वाद लिया था. पहले दिन अहिरौली गांव में उन्होंने माता अहिल्या के हाथों बने पकवानों का आनंद लिया. दूसरे दिन नदांव में देवर्षि नारद के आश्रम पर सत्तू और मूली का प्रसाद ग्रहण किया. तीसरे दिन भभुअर में महर्षि भार्गव ऋषि ने उन्हें चूड़ा-दही खिलाया. चौथे दिन उद्यालक ऋषि के आश्रम में खिचड़ी का प्रसाद मिला. अंतिम दिन महर्षि विश्वामित्र के आश्रम में लौटने पर भगवान श्रीराम ने लिट्टी-चोखा का प्रसाद ग्रहण किया था. तब से यह परंपरा निरंतर निभाई जा रही है.
सामाजिक संगठनों की भागीदारी
महोत्सव में कई सामाजिक संगठनों ने भी मैत्री भोज का आयोजन किया. नगर के गली-मोहल्लों में हर ओर उत्सव जैसा माहौल देखने को मिला, जहां लोग एक-दूसरे को प्रसाद के रूप में लिट्टी-चोखा परोस रहे थे. यह आयोजन न केवल बक्सर की धार्मिक पहचान को सुदृढ़ करता है, बल्कि यहां की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा और सामुदायिक सौहार्द का प्रतीक भी है.







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