बड़ी खबर : एटीएम में एक साथ दो लोगों की मौजूदगी बनी बैंक की भारी भूल, ग्राहक को मिलेंगे 8.86 लाख रुपये ..

एटीएम में एक से अधिक व्यक्ति का एक साथ मौजूद होना सुरक्षा मानकों का उल्लंघन है. इस लापरवाही का खामियाजा अब बैंक को भुगतना पड़ेगा. आयोग ने बक्सर स्थित स्टेट बैंक शाखा एवं आईसीआईसीआई बैंक को परिवादी को कुल 8.86 लाख रुपये मुआवजे के रूप में भुगतान करने का आदेश दिया है.





                                         



  • जिला उपभोक्ता आयोग का बड़ा फैसला, सेवा में त्रुटि मानते हुए स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक को ठहराया जिम्मेदार
  • 2016 के मामले में मिली राहत, कोर्ट ने 6% ब्याज सहित 60 दिनों के भीतर भुगतान का दिया आदेश

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिला उपभोक्ता आयोग ने एक अहम फैसला सुनाते हुए बैंकों की लापरवाही को गंभीर सेवा त्रुटि करार दिया है. आयोग ने कहा कि एटीएम में एक से अधिक व्यक्ति का एक साथ मौजूद होना सुरक्षा मानकों का उल्लंघन है. इस लापरवाही का खामियाजा अब बैंक को भुगतना पड़ेगा. आयोग ने बक्सर स्थित स्टेट बैंक शाखा एवं आईसीआईसीआई बैंक को परिवादी को कुल 8.86 लाख रुपये मुआवजे के रूप में भुगतान करने का आदेश दिया है.

मामला मुफस्सिल थाना क्षेत्र के नदांव गांव निवासी शालिग्राम दुबे से जुड़ा है. 2 फरवरी 2016 को उन्होंने पीपी रोड स्थित साहू कॉम्प्लेक्स में लगे एटीएम से 10 हजार रुपये निकालने का प्रयास किया था. तभी उनके पीछे खड़ा एक व्यक्ति, तकनीकी समस्या का बहाना बनाकर, उनका एटीएम कार्ड बदल दिया. कुछ ही देर में उसी कार्ड का इस्तेमाल करते हुए लाखों रुपये की निकासी और ऑनलाइन खरीदारी कर ली गई.

शालिग्राम दुबे ने तुरंत इसकी सूचना बैंक को दी, लेकिन स्टेट बैंक ने खाते से निकासी पर रोक नहीं लगाई. इस दौरान आरोपी ने लगातार लेन-देन जारी रखा और कुल 5,14,990 रुपये निकाल लिए. परिवादी का खाता स्टेट बैंक में था जबकि कार्ड आईसीआईसीआई बैंक का जारी किया गया था.

घटना के बाद परिवादी ने जिला उपभोक्ता आयोग में परिवाद दायर किया. दोनों पक्षों की विस्तृत सुनवाई के बाद आयोग ने माना कि बैंकों की लापरवाही से ग्राहक को आर्थिक नुकसान हुआ. न्यायाधीश सह अध्यक्ष वेद प्रकाश सिंह एवं सदस्य राजीव कुमार सिंह की खंडपीठ ने आदेश दिया कि स्टेट बैंक और आईसीआईसीआई बैंक संयुक्त रूप से 5,15,800 रुपये की राशि, 50 हजार रुपये क्षतिपूर्ति, 10 हजार रुपये वाद व्यय और वर्ष 2016 से 6% ब्याज सहित परिवादी को भुगतान करें.

कोर्ट ने कहा कि यदि 60 दिनों के भीतर भुगतान नहीं किया जाता है, तो ब्याज की दर बढ़कर 8% हो जाएगी. इस आदेश के बाद उपभोक्ताओं में न्यायिक व्यवस्था के प्रति विश्वास और मजबूत हुआ है. अधिवक्ता विष्णुदत्त द्विवेदी ने कहा कि यह फैसला बैंकिंग सुरक्षा में नई मिसाल साबित होगा और ग्राहकों के अधिकारों की रक्षा की दिशा में मील का पत्थर है.











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