डुमरांव के पश्चिमी रेल फाटक पर 57.44 करोड़ से आरओबी निर्माण शुरु, 10 साल पुरानी मांग को मिली मंजूरी ..

जाम के कारण ट्रेनों के परिचालन पर भी असर पड़ता है और कई बार अमृत भारत एक्सप्रेस जैसी महत्वपूर्ण ट्रेनों तक को आउटर पर रोका गया है. स्लाइडिंग बूम क्षतिग्रस्त होने पर एक साथ तीन से चार ट्रेनों को पार कराना भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है. आरओबी बनने के बाद इन सभी समस्याओं का स्थायी समाधान होने की उम्मीद है.





                                         





  • आरओबी नहीं होने से जाम और आपात सेवाओं की बाधा बनी बड़ी समस्या
  • एनएच 120 और एनएच 922 को जोड़ेगा ब्रिज, 2027 तक पूरा होने की उम्मीद

बक्सर टॉप न्यूज, बक्सर : लंबे इंतजार के बाद आखिरकार डुमरांव पश्चिमी रेल फाटक संख्या 67ए पर रोड ओवर ब्रिज (आरओबी) निर्माण की शुरुआत हो गई है. 57.44 करोड़ की लागत से बन रहे इस आरओबी के लिए भूमि जांच, तकनीकी परीक्षण और अनुमोदन की सभी प्रक्रिया पूरी होने के बाद मशीनरी की स्थापना व कर्मियों के रहने की व्यवस्था प्रारंभिक चरण में की जा रही है. अत्यंत व्यस्त इस रेल फाटक पर रोजाना भीषण जाम की स्थिति बनती है, जिससे एंबुलेंस, ऑफिस कर्मियों, छात्रों और आम लोगों को लंबे समय से परेशानी का सामना करना पड़ रहा था. लगभग 10 वर्षों से स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों द्वारा ओवरब्रिज की लगातार मांग की जा रही थी. अनुमोदन के बाद 34.19 करोड़ रुपये राज्यांश के रूप में स्वीकृत हुए हैं, जबकि शेष राशि केंद्र और राज्य की कॉस्ट-शेयरिंग प्रणाली के तहत वहन की जानी है. लोगों में अब इस समस्या से निजात मिलने की उम्मीद बढ़ गई है.

मई 2024 में रेलवे फाटक के दोनों ओर मिट्टी की जांच और रिपोर्ट एनआईटी दिल्ली को भेजने के बाद माना जा रहा था कि आरओबी के निर्माण में तेजी आएगी, लेकिन तय समय से लगभग एक वर्ष बाद अब जाकर परियोजना का शुभारंभ हुआ है. कार्य अब लगातार जारी रहा तो इस परियोजना को पूर्ण होने में लगभग दो वर्ष लगेंगे और 2027 तक आरओबी का निर्माण पूरा होने की संभावना जताई गई है. डुमरांव के सबसे बड़ी यातायात समस्या के समाधान की दिशा में यह कार्य महत्वपूर्ण माना जा रहा है और स्थानीय लोगों में खुशी का माहौल है.

बता दें कि 15 जुलाई 2024 को तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री ने सदन में स्पष्ट किया था कि रेलवे और राज्य सरकार के एमओयू के तहत आरओबी का निर्माण बीएसआरडीसी द्वारा कराया जाएगा लेकिन, सामान्य प्रशासन विभाग से अनुमोदन और पुनरक्षित डीपीआर की मंजूरी के बाद भी निर्माण का कार्य आगे नहीं बढ़ पा रहा था. हालांकि अब उम्मीद है कि निर्माण कार्य तेजी से आगे बढ़ेगा.

यह रेल फाटक न केवल स्थानीय आवागमन का केंद्र है बल्कि एनएच 120 (डुमरांव–बिक्रमगंज मार्ग) को एनएच 922 (पटना–बक्सर फोरलेन) से जोड़ने वाला रणनीतिक बिंदु भी है. इसी मार्ग से भोजपुर होते हुए यूपी और दिल्ली की ओर भारी संख्या में वाहनों का आवागमन होता है. फाटक बंद होने पर दोनों ओर आधा–आधा किलोमीटर तक लंबी कतार लगना आम बात है. बारिश और कोहरे के मौसम में स्थिति और भयावह हो जाती है. जाम के कारण ट्रेनों के परिचालन पर भी असर पड़ता है और कई बार अमृत भारत एक्सप्रेस जैसी महत्वपूर्ण ट्रेनों तक को आउटर पर रोका गया है. स्लाइडिंग बूम क्षतिग्रस्त होने पर एक साथ तीन से चार ट्रेनों को पार कराना भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है. आरओबी बनने के बाद इन सभी समस्याओं का स्थायी समाधान होने की उम्मीद है.

स्थानीय नागरिकों का मानना है कि यह निर्माण न केवल जाम से राहत देगा बल्कि डुमरांव के विकास और निवेश के नए अवसर भी लेकर आएगा. लोगों को उम्मीद है कि कार्य समय पर और निर्बाध गति से आगे बढ़ेगा ताकि वर्षों से चली आ रही इस समस्या का अंत हो सके.










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