नाबालिग का अपहरण व सामूहिक दुष्कर्म मामले में पांच दोषियों को आजीवन कठोर कारावास की सजा ..

पुलिस द्वारा एकत्र किए गए साक्ष्यों में मेडिकल रिपोर्ट, गवाहों के बयान और अन्य परिस्थितिजन्य प्रमाण शामिल थे, जिनसे अभियोजन के आरोपों की पुष्टि हुई. लंबी सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने सभी साक्ष्यों को मजबूती के साथ अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया.




                                         




  • विशेष पॉक्सो अदालत का बड़ा फैसला, सभी दोषियों की सजाएं साथ-साथ चलेंगी
  • पीड़िता को 15 लाख रुपये मुआवजा, विशेष लोक अभियोजक सुरेश कुमार सिंह ने बताया कड़ा संदेश

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : विशेष पॉक्सो अदालत ने नाबालिग लड़की के अपहरण, अवैध हिरासत और सामूहिक दुष्कर्म के गंभीर मामले में पांच दोषियों को आजीवन कठोर कारावास की सजा सुनाई है. यह फैसला जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश-VI-सह-विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) अमित कुमार शर्मा की अदालत ने पॉक्सो वाद संख्या 43/2024 में सुनाया. अदालत ने अपने निर्णय में स्पष्ट कहा कि नाबालिगों के विरुद्ध इस तरह के जघन्य अपराध समाज के लिए अत्यंत घातक हैं और ऐसे मामलों में कठोरतम सजा देना आवश्यक है.

यह मामला इटाढ़ी थाना कांड संख्या 280/2023 से संबंधित है. अभियोजन पक्ष के अनुसार 19 दिसंबर 2023 को लगभग 15 वर्ष की नाबालिग लड़की अपने घर से अचानक लापता हो गई थी. पीड़िता की माता ने इटाढ़ी थाना में आवेदन देकर आशंका जताई थी कि उसकी बेटी को बहला-फुसलाकर अपहरण कर लिया गया है. शिकायत दर्ज होते ही पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू की.

जांच के दौरान यह सामने आया कि नाबालिग का अपहरण कर उसे अवैध रूप से एक स्थान पर बंदी बनाकर रखा गया और इस दौरान उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया. पुलिस द्वारा एकत्र किए गए साक्ष्यों में मेडिकल रिपोर्ट, गवाहों के बयान और अन्य परिस्थितिजन्य प्रमाण शामिल थे, जिनसे अभियोजन के आरोपों की पुष्टि हुई. लंबी सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने सभी साक्ष्यों को मजबूती के साथ अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया.

सभी पक्षों की दलीलें सुनने और साक्ष्यों का मूल्यांकन करने के बाद अदालत ने शिव बिलास राम उर्फ टेलर मास्टर, राहुल कुमार, विनय कुमार उर्फ बिल्लई, गोविंद सिंह उर्फ शंकर जी और रौशन कुमार सिंह को दोषी करार दिया. अदालत ने दोषियों को पॉक्सो अधिनियम की धारा 6 के तहत आजीवन कठोर कारावास की सजा सुनाई. इसके साथ ही भारतीय दंड संहिता की धारा 366(ए), 342 और 120(बी) के तहत भी सजा दी गई. अदालत ने आदेश दिया कि सभी सजाएं समवर्ती रूप से चलेंगी और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 428 के तहत हिरासत में बिताई गई अवधि का लाभ दोषियों को दिया जाएगा.

पीड़िता की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए अदालत ने बिहार पीड़ित मुआवजा योजना, 2019 के अंतर्गत 15 लाख रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया. अदालत ने कहा कि इस तरह के मामलों में केवल दोषियों को सजा देना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि पीड़िता के पुनर्वास और भविष्य की सुरक्षा भी न्याय प्रक्रिया का अहम हिस्सा है. मुआवजे की राशि तीन वर्षों के लिए सावधि जमा में रखी जाएगी, जिससे पीड़िता मासिक ब्याज निकाल सकेगी.

अदालत ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बक्सर को निर्देश दिया कि 30 दिनों के भीतर मुआवजा भुगतान की प्रक्रिया पूरी कराई जाए. इसके साथ ही अदालत ने यह भी आदेश दिया कि फैसले की प्रति सभी दोषियों को निःशुल्क उपलब्ध कराई जाए तथा अनुपालन के लिए डीएलएसए को भेजी जाए.

मामले में विशेष लोक अभियोजक, पॉक्सो कोर्ट, बक्सर, सुरेश कुमार सिंह ने बताया कि यह फैसला नाबालिगों के खिलाफ होने वाले अपराधों पर रोक लगाने की दिशा में एक सख्त संदेश है. उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ने साक्ष्यों को मजबूती से प्रस्तुत किया, जिसके परिणामस्वरूप दोषियों को आजीवन कठोर कारावास की सजा मिली. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस निर्णय से समाज में कानून का भय और पीड़ितों का न्याय प्रणाली पर भरोसा और मजबूत होगा.










Post a Comment

0 Comments