बताया कि 6 दिसंबर 2025 को संघ की बैठक आभाषी रूप में संपन्न हुई. बैठक में राज्य पदाधिकारी, जिला अध्यक्ष और सचिवों ने एकमत होकर कहा कि पटना उच्च न्यायालय अधीनस्थ अदालतों के कर्मचारियों की प्रोन्नति, वेतन संवर्धन और अन्य मुद्दों पर कोई सकारात्मक कदम नहीं उठा रहा है.
- वेतनमान 01.04.2003 से लागू न होने पर कर्मचारियों में उबाल
- 26 दिसंबर को पटना में आम सभा, अगले कदम पर लिया जाएगा बड़ा फैसला
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : अधीनस्थ अदालतों के न्यायिक कर्मचारियों की प्रोन्नति और पुनरीक्षित वेतनमान को 01 अप्रैल 2003 से लागू किया जाना था, लेकिन विभागीय उपेक्षा के कारण मामला दो दशकों से लंबित है. इस कारण राज्यभर के न्यायिक कर्मचारियों में गहरा आक्रोश, निराशा और हताशा बढ़ता जा रहा है. कर्मचारियों का कहना है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और राज्य सरकार की वर्ष 2008 की अधिसूचना के बावजूद अब तक लाभ प्राप्त नहीं कराया गया है.
बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष राजेश्वर तिवारी ने बताया कि 6 दिसंबर 2025 को संघ की बैठक आभाषी रूप में संपन्न हुई. बैठक में राज्य पदाधिकारी, जिला अध्यक्ष और सचिवों ने एकमत होकर कहा कि पटना उच्च न्यायालय अधीनस्थ अदालतों के कर्मचारियों की प्रोन्नति, वेतन संवर्धन और अन्य मुद्दों पर कोई सकारात्मक कदम नहीं उठा रहा है. जनवरी 2025 में हड़ताल के दौरान एक माह के भीतर प्रोन्नति और अन्य मांगों पर विचार करने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन एक वर्ष बाद भी वह पूरा नहीं हो सका है.
बैठक में कहा गया कि राज्य सरकार के अन्य विभागों के कर्मियों को प्रोन्नति प्रदान कर दी गई है, जबकि न्यायिक कर्मचारी आज भी मूल कोटि के पद पर सेवा करते हुए सेवानिवृत्त हो रहे हैं और पेंशन पर जीवन यापन करने को विवश हैं. पदाधिकारियों ने दुख जताया कि जब अन्य विभागों द्वारा न्यायालय के आदेशों का पालन नहीं किया जाता है तो संबंधित अधिकारियों को दंडित किया जाता है, वहीं अधीनस्थ न्यायालय के कर्मचारियों के मामले में 20 वर्षों से अंधकार की स्थिति बनी हुई है.
कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य सरकार और पटना उच्च न्यायालय एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर कर्मचारियों को बीच में पिसने पर मजबूर कर रहे हैं. कुछ पदाधिकारियों ने कड़ा रुख अपनाने की वकालत करते हुए कहा कि अगर मांगों पर विचार नहीं किया गया तो अवकाश के दिनों में रिमांड कार्य बाधित करने जैसे कदम पर भी विचार किया जा सकता है, जिसका सीधा असर सरकार के लॉ एंड ऑर्डर पर पड़ेगा. वहीं कुछ पदाधिकारियों ने सुझाव दिया कि ऐसा निर्णय भौतिक बैठक में लिया जाए.
अंत में यह सहमति बनी कि 26 दिसंबर 2025 को बिहार राज्य व्यवहार न्यायालय कर्मचारी संघ की आमसभा पटना में आयोजित की जाएगी, जिसमें आगे की रणनीति पर विस्तृत चर्चा की जाएगी. साथ ही यह भी सुनिश्चित किया गया कि दोषी पदाधिकारियों के खिलाफ माननीय सर्वोच्च न्यायालय में वर्ष 2009 से लगातार आदेश की अवमानना पर संज्ञान लेकर कार्रवाई की मांग की जाएगी.






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