ब्लड बैंक में भी रक्त की उपलब्धता अब कम हो गई है. ऐसे में स्वैच्छिक रक्तदाताओं के भरोसे ही रक्त की जरूरत पूरी हो पा रही है लेकिन, बक्सर में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए सदैव रक्त का महादान करने को तत्पर रहते हैं.
- चार दर्जन बार दे चुके हैं खून, प्रेरणा से साथियों ने भी किया महादान.
- विशेष रक्त समूह "ओ" पॉजिटिव ग्रुप के रक्तदाता हैं प्रियेश
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: लॉक डाउन के इस घड़ी में भोजन आदि से लेकर जीवन-यापन तक में और एक तरह की समस्याएं लोगों के सामने आ रही हैं. पूरा स्वास्थ्य महकमा जहां कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ाई लड़ने में जुटा हुआ है. वहीं, दूसरी तरफ ब्लड बैंक में भी रक्त की उपलब्धता अब कम हो गई है. ऐसे में स्वैच्छिक रक्तदाताओं के भरोसे ही रक्त की जरूरत पूरी हो पा रही है लेकिन, बक्सर में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए सदैव रक्त का महादान करने को तत्पर रहते हैं.
ऐसे ही एक मामले में थैलेसीमिया से पीड़ित 6 माह की बच्ची के लिए विशेष रक्त समूह "ओ पॉजिटिव" रक्त की आवश्यकता थी. ऐसे में बच्ची के माता-पिता कई लोगों से रक्त उपलब्धता कराने के लिए गुहार लगा चुके थे लेकिन, कहीं से भी उन्हें रक्त उपलब्ध नहीं हो सका. इसी बीच जिलाधिकारी अमन समीर के निर्देश पर भी रेडक्रॉस के चेयरमैन डॉ. आशुतोष कुमार सिंह के प्रयास से "ओ" पॉजिटिव ग्रुप के रक्तदाता प्रियेश से संपर्क किया गया. दरअसल, प्रियेश नियमित रूप से रक्तदान का कार्य करते हैं. उन्होंने अब तक 47 बार रक्तदान किया था. जैसे ही उन्होंने रक्त की कमी से जूझ रहे बच्ची के बारे में सुना वह तुरंत ही 48वीं बार रक्तदान करने के लिए तैयार हो गए. लॉक डाउन की विषम परिस्थितियों में भी वह घर से बाहर निकले और उन्होंने रक्तदान करते हुए मासूम की जान बचा ली.
प्रियेश के साथ-साथ उन्हीं की प्रेरणा से उनके दो अन्य मित्रों ने भी रक्तदान किया जिसमें रवि शंकर शर्मा ने पहली बार तथा अखिलेंद्र चौबे ने तीसरी बार रक्त दान किया. रेडक्रॉस के सचिव डॉ. श्रवण कुमार तिवारी समेत कई सामाजिक लोगों ने प्रियेश के द्वारा किए गए इस कार्य की प्रशंशा की है.
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