डर के साए में जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं अग्निशमन कर्मी ..

दशकों पूर्व बने इस भवन के मरम्मत एवं अनुरक्षण के लिए विभाग के द्वारा कोई विशेष प्रयास नहीं किया गया है. अनुरक्षण के नाम पर केवल रंग-रोगन कर भवन को जस का तस छोड़ दिया गया है. उधर क्षमता के अनुरूप कमरे नहीं होने के कारण एक कमरे में एक साथ-चार से पांच कर्मी सोने को मजबूर हैं.
कभी भी धाराशायी हो सकता है भवन

- कभी भी ध्वस्त हो सकता है जर्जर भवन, तीन कमरों में 16 कर्मी करते हैं निवास
- पीने के पानी से शौचालय तक की व्यवस्था गड़बड़

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: 14 अप्रैल 1944 को मुंबई में हुए एक हादसे में अपने 66 वीर कर्मियों के शहादत पर एक तरफ जहां पूरे देश में आज अग्निशमन दिवस मनाया जा रहा है वहीं, दूसरी तरफ बक्सर में अग्निशमन विभाग के कर्मी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को मजबूर हैं.
छोटे से कमरे में सोने व खाना बनाने का किया है सामंजन 

बाजार समिति के प्रांगण में अग्निशमन विभाग के भवन में प्रतिदिन कर्मी डर के साए में जीवन व्यतीत करने को मजबूर हैं. दशकों पूर्व बने इस भवन के मरम्मत एवं अनुरक्षण के लिए विभाग के द्वारा कोई विशेष प्रयास नहीं किया गया है. अनुरक्षण के नाम पर केवल रंग-रोगन कर भवन को जस का तस छोड़ दिया गया है. उधर क्षमता के अनुरूप कमरे नहीं होने के कारण एक कमरे में एक साथ-चार से पांच कर्मी सोने को मजबूर हैं.
इसी शौचालय का इस्तेमाल करते हैं कर्मी

कमरों में जगह नहीं, पीने के लिए पानी नहीं, शौचालय का भी बुरा हाल: 

अग्निशमन विभाग के कर्मी बताते हैं कि यहां केवल दो छोटे कमरों में 16 अग्निशमन कर्मी एक साथ रहते हैं. ऐसे में वह अपना जीवन बेहद ही नारकीय स्थिति में व्यतीत करते हैं. इसके साथ ही परिसर में लगा एकमात्र चापानल जो पानी की जरूरत पूरी करता है. उस चापानल में से भी गंदा पानी निकलता है. जो ना तो पीने लायक होता है और ना ही कोई और इस्तेमाल करने लायक. इसके अतिरिक्त परिसर में पक्का शौचालय भी नहीं है. वैकल्पिक तौर पर प्लास्टिक से घेरकर एक शौचालय बना दिया गया है. जिसका इस्तेमाल अग्निशमन कर्मी कभी करते हैं और कभी नहीं करते हैं.
एकमात्र चापानल है पानी का स्रोत

अग्निशमन वाहनों में है लीकेज, आग लगने पर भरना पड़ता है पानी: 

बताया जाता है कि, अग्निशमन विभाग को डुमराँव तथा बक्सर मिलाकर 10 छोटी गाड़ियां तथा 4 बड़ी गाड़ियां प्रदान की गई है. बड़ी गाड़ियों की क्षमता 45 सौ लीटर पानी के स्टोरेज की है तो छोटी गाड़ियों में केवल 300 लीटर पानी आता है. ऐसे में यह कहना मुनासिब होगा कि, केवल 2 गाड़ियां हर एक अनुमंडल के लिए हैं. हालांकि, बड़े वाहनों के टैंक में भी लीकेज की समस्या है. ऐसे में जब कहीं से कोई आपातकालीन सूचना प्राप्त होती है तो उस समय टैंक में पानी भरना पड़ता है.
टैंकर से हो रही लीकेज

कहते हैं अधिकारी:

तकरीबन 30 दिन पूर्व मैंने यहां योगदान दिया है. भवन की स्थिति वाकई बुरी है. इस संदर्भ में जिला पदाधिकारी महोदय से वार्ता भी हुई है. लॉक डाउन अवधि की समाप्ति पर भवन निर्माण को लेकर कुछ बेहतर परिणाम आने की संभावना है.

सत्यदेव सिंह
प्रभारी पदाधिकारी, अग्निशमन













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