कोरोना के कारण अन्य राज्यों ने पहचानी प्रवासी श्रमिकों की कीमत, बिहार सरकार करे सम्मानजनक स्थिति दिलाने की पहल: राकांपा

कर्नाटक, गोवा, पंजाब-हरियाणा, तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, केरल जैसे अनेक राज्य चिंतित हैं. आज प्रवासी मजदूरों के लिए खजाना खोल दिया गया है. उनको रोकने के लिए ट्रेन कैंसिल करवानी पड़ी. जिसे देखकर बिहार के चिंतित लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई. 


- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने प्रेस बयान जारी कर केंद्र तथा राज्य सरकार से की मांग
-  कहा, प्रवासी श्रमिकों को उनका हक दिलाने में करें मदद

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष बिनोधर ओझा, विश्वेश्वर पांडेय तथा मंजर आलम ने एक संयुक्त  प्रेस बयान जारी कर कहा कि, कोरोना संकट ने राज्यों को प्रवासी मजदूरों की कीमत पहचानने पर मजबूर कर दिया है. वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सहित उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के विकास के दावों की पोल भी खोल दी है. सरकार कहती है कि, आएंगे कैसे, पैसे नहीं है? क्या खाएंगे? क्या काम करेंगे? इसके अलावा कितने प्रवासी हैं इसमें भी सरकार झूठ बोल रही है. कोई सही  आंकड़ा सरकार के पास नहीं है. उन्होंने बताया कि, अन्य प्रदेश भी प्रवासी मजदूरों के गांव वापसी को लेकर त्राहिमाम कर रहे हैं. कल तक जो मजदूर गंदगी फैलाने वाले तथा अपने प्रदेशों से खदेड़े जाने वाले कहे जाते थे, आज वही दूसरे राज्यों के अर्थव्यवस्था की रीढ़ हो गए हैं. कर्नाटक, गोवा, पंजाब-हरियाणा, तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, केरल जैसे अनेक राज्य चिंतित हैं. आज प्रवासी मजदूरों के लिए खजाना खोल दिया गया है. उनको रोकने के लिए ट्रेन कैंसिल करवानी पड़ी. जिसे देखकर बिहार के चिंतित लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई. 

नेताओं ने केंद्र तथा बिहार सरकार से मांग करते हुए कहा कि अन्य प्रदेशों पर दबाव बनाया जाए ताकि प्रवासी मजदूरों का खून चूसने के बजाय उन्हें सम्मानजनक मजदूरी, ईपीएफ, स्वास्थ्य से लेकर बच्चों को पढ़ाने तक की सुविधा दूसरे प्रदेश की सरकारें दे सके. साथ ही साथ ऐसी व्यवस्था भी उन्हें प्रदान की जाए ताकि वह किसी भी विकट परिस्थिति में सुरक्षित रहें.














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