शातिर तत्व GPS आधारित इन तस्वीरों को भी एडिट कर रहे हैं. जांच अधिकारी के मौके पर पहुंचने से लेकर जमीन की वास्तविक प्रकृति तक को बदला जा रहा है. इसका सीधा असर निबंधन शुल्क और स्टांप ड्यूटी पर पड़ रहा है, जिससे सरकार को राजस्व की भारी क्षति हो रही है.
- GPS फोटो अनिवार्य होने के बाद भी नहीं रुकी हेराफेरी, निबंधन कार्यालय के आसपास चल रहा खेल
- एडिटेड तस्वीरों से बदल दी जा रही जमीन की प्रकृति, अवर निबंधक ने दी कड़ी कार्रवाई की चेतावनी
बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर : जिले में भूमि निबंधन के दौरान जमीन की सही प्रकृति छिपाकर सरकार को राजस्व की क्षति पहुंचाने का गंभीर मामला सामने आया है. जांच को पारदर्शी बनाने के लिए लागू की गई GPS आधारित फोटो व्यवस्था को भी शातिरों ने निशाने पर ले लिया है. निबंधन से पहले ली जाने वाली तस्वीरों को एडिट कर जमीन की प्रकृति से लेकर जांच अधिकारी की मौजूदगी तक को फर्जी तरीके से दर्शाया जा रहा है, जिससे न सिर्फ नियमों की धज्जियां उड़ रही हैं बल्कि सरकार को भारी आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है.
भूमि निबंधन में होने वाली गड़बड़ियों को रोकने के उद्देश्य से सरकार ने यह व्यवस्था की थी कि निबंधन से पहले भूमि की भौतिक जांच की जाए. इसके तहत निबंधन कार्यालय के कर्मियों को भूस्वामी के साथ मौके पर जाकर भूमि पर खड़े होकर तस्वीर खींचनी होती है. यह तस्वीर मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से ली जाती है, जिसमें भूमि का अक्षांश और देशांतर भी स्पष्ट रूप से दर्ज रहता है, ताकि तस्वीर एडिट न की जा सके.
लेकिन अब इस व्यवस्था में भी सेंध लग चुकी है. शातिर तत्व GPS आधारित इन तस्वीरों को भी एडिट कर रहे हैं. जांच अधिकारी के मौके पर पहुंचने से लेकर जमीन की वास्तविक प्रकृति तक को बदला जा रहा है. इसका सीधा असर निबंधन शुल्क और स्टांप ड्यूटी पर पड़ रहा है, जिससे सरकार को राजस्व की भारी क्षति हो रही है.
चौंकाने वाली बात यह है कि यह पूरा खेल जिला अवर निबंधन कार्यालय के आसपास ही संचालित हो रहा है. कार्यालय के पास मौजूद कई दुकानों में कथित तौर पर तस्वीर एडिट करने और फर्जी दस्तावेज तैयार करने का काम धड़ल्ले से किया जा रहा है. इसके बावजूद अब तक इन दुकानों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है और इन्हीं फर्जी तस्वीरों के आधार पर निबंधन की प्रक्रिया भी पूरी हो जा रही है.
इस पूरे मामले पर अवर निबंधक असित कुमार ने कहा कि नियमानुसार भूमि की जांच के आधार पर ही निबंधन किया जाना अनिवार्य है. यदि जांच में अनियमितता पाई जाती है और उससे सरकार को राजस्व की क्षति होती है तो संबंधित लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि गंभीर मामलों में निबंधन को रद्द करने की अनुशंसा तक की जा सकती है.
फिलहाल यह मामला प्रशासनिक लापरवाही और संगठित फर्जीवाड़े की ओर इशारा कर रहा है, जिस पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो सरकार के राजस्व को होने वाला नुकसान और भी बढ़ सकता है.






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