प्रवासी श्रमिकों के नाम पर मानव तस्करी की सामने आई बात, आयोग ने लिखा डीएम-एसपी को पत्र

इसके अतिरिक्त जो बच्चा अपने माता-पिता के साथ हो इसकी भी जांच कराई जाए साथ ही साथ यदि प्रारंभिक जांच में पाया जाता है कि, बच्चा अकेला है तो ऐसे बच्चों के आवासन की प्रक्रिया त्वरित रूप से करने के लिए किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 51 के तहत देखरेख तथा उनकी सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था की जाए.

- बाल अधिकार आयोग की अध्यक्षा ने कहा, श्रमिक स्पेशल ट्रेन से बाल मजदूरों के आने की मिल रही सूचना
- मामलों की पड़ताल तथा आवासन आदि की प्रक्रिया सुनिश्चित कराने की कही बात


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर:  बाहरी राज्यों से आ रहे  प्रवासी श्रमिकों के नाम पर मानव तस्करी की बात सामने आ रही है. इस संदर्भ में बाल अधिकार संरक्षण आयोग प्रदेश की अध्यक्ष प्रो. डॉ. प्रमिला कुमारी ने जिला पदाधिकारी तथा आरक्षी अधीक्षक को पत्र लिख बताया है कि, आयोग के संज्ञान में आया है कि, कोरोना संकट की स्थिति में विशेष ट्रेन से आ रहे प्रवासियों में बड़ी संख्या में बच्चे शामिल हैं जो राजस्थान तथा अन्य राज्यों में कार्य कर रहे थे. यह भी ज्ञात हुआ है कि, इनमें काफी संख्या में ऐसे बच्चे शामिल हैं जो जिनकी आयु कम है तथा उनकी 18 वर्ष से अधिक अधिक आयु दर्शाने वाले फर्जी आयु प्रमाण पत्र बनवा दिए गए हैं. उन्होंने आशंका जताई है कि ऐसे में मानव तस्करी की संभावना है. 

ऐसे में इन बच्चों की सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि, रेलवे स्टेशन पर विशेष निगरानी रखी जाए तथा ऐसे बच्चों का नाम पता आदि नोट कर बाल कल्याण समिति को भेजा जाए इसके अतिरिक्त जो बच्चा अपने माता-पिता के साथ हो इसकी भी जांच कराई जाए साथ ही साथ यदि प्रारंभिक जांच में पाया जाता है कि, बच्चा अकेला है तो ऐसे बच्चों के आवासन की प्रक्रिया त्वरित रूप से करने के लिए किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 51 के तहत देखरेख तथा उनकी सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था की जाए.

इस आशय की जानकारी देते हुए बाल कल्याण समिति के सदस्य डॉ शशांक शेखर ने बताया कि, बाल अधिकार संरक्षण आयोग बच्चों के अधिकार के लिए सदैव प्रयत्नशील है. बाल कल्याण समिति की जिला इकाई को जैसे ही इस तरह की कोई जानकारी मिलती है वह त्वरित कार्रवाई करते हुए बच्चों के अधिकारों के संरक्षण का कार्य करेगी.













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