मदरसा दारूलउलूम अशर्फिया ने इबदतगारों को बताया, कब और कैसे अता करें नमाज़ ..

कहा कि, मदरसा दारुल उलूम अशरफिया मुख्तारुल उलूम सभी से यह अर्ज करता है कि, सभी की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि ईद उल फितर एक खुशी के पर्व को बहुत सादगी के साथ ही मनाने के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें ताकि सरकार के कायदे कानून का भी पालन हो सके. तथा कोरोना के कहर से इंसानियत को बचाया जा सके.

- सेक्रेटरी डॉ निसार अहमद ने जारी किया वक्तव्य
- बताया, देश के कायदे कानून को बनाए रखने के लिए लॉक डाउन के नियमों का पालन जरूरी

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: मदरसा दारुल उलूम अशरफिया के सचिव डॉ. निसार अहमद ने बताया है कि, ,लॉक डाउन 4 के दौरान जुम्मे उलूम विदा और नमाजे ईद उल फित्र कहां और कैसे पढ़ी जाए. उन्होंने कहा कि देश के कानून कानून तथा उलेमाओं खानकाहो और एदराए और सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड, पटना के निर्देशों के आलोक में कुछ बातों का अनुपालन करते हुए नमाज अता करनी होगी. 

उन्होंने बताया कि, जिस तरह जुम्मे की नमाज के स्थान पर जोहर की नमाज सभी अपने घरों में अता करते हैं, उसी तरह जुम्मेतुल-विदा की नमाज भी घर में ही अता करें. उन्होंने बताया कि हस्बे मालूम ईद उल फित्र की नमाज की जगह चास्त की 4 रकात नवाफिल नमाज सभी अपने घरों में अता करें. ईदगाह और मस्जिदों की तरफ ना जाए. 

डॉ. निसार ने कहा कि, मदरसा दारुल उलूम अशरफिया मुख्तारुल उलूम सभी से यह अर्ज करता है कि, सभी की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि ईद उल फितर एक खुशी के पर्व को बहुत सादगी के साथ ही मनाने के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें ताकि सरकार के कायदे कानून का भी पालन हो सके. तथा कोरोना के कहर से इंसानियत को बचाया जा सके.

सुन्नी वक्फ बोर्ड के जिलाध्यक्ष तौफीक खान ने भी सभी लोगों से अपील की है कि, कोरोना महामारी के चलते लोग डाउन की अवधि 31 मई 2020 तक बढ़ाई गई है. जिसके चलते सभी धर्मों की इबादत गाहों को पूर्व की तरह बंद रखने एवं किसी प्रकार का धार्मिक जमावड़ा नहीं करने का आदेश दिया गया है. 22 मई को जुमा तुल विदा और 24 या 25 मई को होने वाली ईद उल फित्र की नमाज के दौरान इस बात का ध्यान रखते हुए अपने घरों से ही अल्लाह की इबादत करें.














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