लाल झंडे लिपट कर दुनिया से विदा हुई कुमार नयन की जीवनसंगिनी सुहाग देवी ..

कहा कि कुमार नयन की जीवनसंगिनी के आकस्मिक एवं असमय निधन से कुमार नयन को ही नहीं हम सभी जीवन में बड़ी रिक्ति का सामना करना पड़ेगा. इन्होंने अपने जीवन के अंतिम समय तक संघर्ष एवं साधना के साथ अपने परिवार की तरह सब को समझने कि हमें प्रेरणा दे गई. 

- मंगलवार को हो गया था आकस्मिक निधन, आर्य समाज रीति से दी गई अंतिम विदाई
- अंतिम यात्रा में शामिल हुए नगर के तमाम गणमान्य तथा प्रबुद्ध जन


बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: विगत दिनों से शारीरिक अस्वस्थता के कारण बीमार चल रही चर्चित गजलगो कुमार नयन के जीवनसंगिनी सुहाग देवी का मंगलवार की संध्या 4:30 बजे इलाज के लिए जाते दौरान निधन हो गया. जल्द ही यह खबर शहर में आग की तरह फैल गई सूचना पाकर उनके आवास पर लोग पहुंचने लगे. 

साहित्यकार डॉ. दीपक राय ने कहा कि कुमार नयन की जीवनसंगिनी के आकस्मिक एवं असमय निधन से कुमार नयन को ही नहीं हम सभी जीवन में बड़ी रिक्ति का सामना करना पड़ेगा. इन्होंने अपने जीवन के अंतिम समय तक संघर्ष एवं साधना के साथ अपने परिवार की तरह सब को समझने कि हमें प्रेरणा दे गई. वहीं, कांग्रेस नेता डॉ. सत्येंद्र कुमार ओझा ने अपनी गहरी संवेदना एवं श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि मैं विगत एक महीने से चाची जी के साथ दुख सुख साझा करने का मौका प्राप्त कर सका. जब भी मैं राजेश जी के साथ वहाँ जाता था चाची जी नमकीन व अपने हाथ का बना हुआ ठेकुआ खिलाती थी. अति सरल स्वभाव की थी. ऐसी ममतामयी देवी हमें अकेला छोड़ कर चली गई इस  दुख को कभी भी नहीं पाटा जा सकता है.

बाकी रह गई देह दान करने की अंतिम इच्छा:

हाल ही के दिनों में सुहाग रानी एवं कुमार नयन दोनों ने दधीचि देहदान समिति आई.जी.एम.एस. को अपना शरीर मरणोपरांत दान कर दिया था. उनकी मृत्यु के पश्चात जिला स्तर पर इस देह  दान समिति के संयोजक नगर परिषद बक्सर की पूर्व चेयरमैन माननीय मीना सिंह जी को उनकी मृत्यु की खबर दी गई एवं अनुरोध किया गया कि सुहाग देवी की अंतिम इच्छा अनुसार उनके शरीर को दधीचि देहदान समिति के माध्यम से आई.जी.एम.एस. पटना दिलवा दिया जाए. इसके लिए हम सभी तैयार हैं परंतु मीना सिंह जी के अथक प्रयास के बावजूद वर्तमान में कोरोना वायरस महामारी का हवाला देते हुए इस समिति के उच्च पदाधिकारियों ने शरीर लेने से इंकार कर दिया. हालांकि, दुख की इस घड़ी में कुमार नयन ने समिति के इस निर्णय से नाराजगी और उदासी व्यक्त की थी क्योंकि, उनकी पत्नी की अंतिम इच्छा शरीर दान की अधूरी रह गई. पटना से समिति के पदाधिकारियों ने दुख एवं अफसोस जाहिर किया. 

कुमार नयन की गजलों के साथ दी गई अंतिम विदाई: 

शव यात्रा में सैकड़ों की संख्या मे लोग शामिल हुए और उनको मुखाग्नि के समय कॉमरेडों ने सुहाग देवी को लाल सलाम एवं सुहाग देवी अमर रहे का नारा देकर लाल झंडा ओढ़ा कर अंतिम श्रद्धांजलि दी. शिक्षाविद, वैदेही श्रीवास्तव जी ने गजल पढ़कर उन्हें श्रद्धांजलि दी. छात्र नेता राजेश कुमार शर्मा नयन दादा की गज़ल "मेरे घर में एक कहानी है अभी तक मेरे बच्चों की नानी है अभी तक घड़ा मिट्टी का पत्तों की चटाई बुजुर्गों की निशानी है अभी तक, दर्द से पहले इन लफ्जों को पहचानो के बरसो बाद ..  "राम कसम मेरी ग़ज़लों को तुम गाओगे बरसो बाद .." "सोने चांदी की नगरी में तुमसे मिलने जाता कौन? मुझको पता था इस बस्ती में खुद आओगे बरसो बाद .."  "चाहे जो इल्जाम लगा लो, दे लो सजाएं आज, मगर नाम मेरा रखकर दीवाना चिल्लाओगे बरसो बाद ..." "राम कसम मेरी गजलों को तुम गाओगे बरसो बाद .."

शादी के वक्त भी बेहद शालीन तरीके से हुई थी रस्म अदायगी:

परिजनों ने बताया कि कुमार नयन की शादी 30 अप्रैल 1977 में झारखंड के गढ़वा जिला में संपन्न हुई थी. उस समय सजी-धजी बारात के लिए बारात एवं दूल्हे की कार को नयन जी ने मना कर दिया और महज 20 लोगों जिनमें परिवार एवं अपने नजदीकियों के साथ पैदल बारात लेकर गए थे. ऐसा करके उन्होंने अपने साधारण जीवन का महज परिचय नहीं दिया था बल्कि, उन्होंने अपनी इस ग़ज़ल को सार्थक भी किया था. जो गजल उन्होंने उस समय में नहीं रची थी. शादी के कई दिनों बाद रची थी "मुझसे बेहतर लगो इसी खातिर करके खुद को खराब रखता हूं .." 

दाह संस्कार आर्य समाज विधि द्वारा संपन्न कराया गया. पंडित नागेंद्र आर्य जी ने उक्त संस्कार कार्य को संपादित किया. मौके पर साहित्यकार गणेश उपाध्याय, डॉ. आशुतोष कुमार सिंह, डॉ. तनवीर फ़रीदी, डॉ रमेश कुमार सिंह, डॉ. सत्येंद्र कुमार ओझा, जनमित्र के पत्रकार विमल कुमार सिंह, पूर्व चेयरमैन  मीना सिंह, कामेश्वर पांडेय, राजू सिंह, विजेंद्र केसरी, छात्र नेता रामाशंकर सिंह,  छात्र नेता प्रतीक आनंद, अंकित सिंह, दीपेंद्र वर्मा, दीपक कुमार, दिनेश कुमार रमेश कुमार राम, कन्हैया केसरी, टी के सर, रवि रंजन सिंह, निर्मल सिंह, डॉ महेंद्र प्रसाद, साहित्यकार पवन नंदन केसरी, छात्र नेता सौरभ तिवारी, भाजपा पूर्व विधानसभा नेता प्रदीप दूबे, बसपा नेता सरोज राजभर, छात्र नेता क्षितिज कुमार केसरी, लकी जायसवाल शाहनवाज, धीरेंद्र कुमार चौधरी, गुड्डू शर्मा, एकलव्य पब्लिक स्कूल के निदेशक रंजीत कुमार चौधरी उत्तम शर्मा, राजेश कुमार गुप्ता, रंजीत कुमार, संतोष कुमार शर्मा, पारसनाथ मणि, सोनू खरवार सहित सैकड़ों लोग शव- यात्रा के दौरान उपस्थित रहे.











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