किराएदार बन अपहरणकर्ताओं ने रची थी मासूम के अपहरण की साजिश, पांच में से तीन गिरफ्तार ..

अपराधी कितना भी चालाक हो कोई न कोई भूल कर ही बैठता है जिसे पकड़ते हुए कानून के लम्बे हाथ उसे दबोचने में सफल हो जाते हैं. इस घटना में भी ऐसा ही कुछ हुआ जिसके सहारे पुलिस अपराधियों तक पहुंचने में सफल हुई और बच्चे को सकुशल बरामद करते हुए पांच में से तीन अपराधियों को दबोचने में पुलिस को सफलता मिल गई. 

पुलिस की गिरफ्त में पकड़े गए अपराधी
- पुलिस के अथक प्रयास के बाद सुरक्षित बरामद किया गया मासूम
- एसपी ने दी पूरे घटनाक्रम की जानकारी, मीडिया का भी जताया आभार

बक्सर टॉप न्यूज़, बक्सर: 24 घंटे के अंदर अपहरण की गुत्थी को सुलझा लेने के बाद पुलिस के हौसले बुलंदी पर हैं. पुलिस अधीक्षक उपेंद्र नाथ वर्मा ने मीडिया कर्मियों के समक्ष अपहरण की साजिश, पुलिस की कार्रवाई तथा पूरे घटनाक्रम को विस्तार से बताया. उन्होंने बताया कि नया बाजार मठिया मोड़ से डेढ़ साल के जिस बच्चे शिवम का अपहरण किया गया था उसकी साजिश करीब एक माह पहले मुजफ्फरपुर में रची गई थी. जिसमें योजना के मास्टरमाइंड समेत कुल पांच युवक शामिल थे. पैसों के लिए रची गई साजिश को अमली जामा पहनाने के लिए घटना से एक दिन पहले ही पांचों अपराधियों ने बक्सर में डेरा डाल दिया था. 

एसपी ने बताया कि इस अपहरण के वारदात का मास्टर माइंड मुजफ्फरपुर के पियर थाना क्षेत्र अंतर्गत सखौरा निवासी मुकेश की आंखों में ढाई साल पहले तब विष्णु यादव की संपत्ति गड़ गई थी जब वो विष्णु यादव के यहां किराएदार बनकर रह रहा था. तब वो नया बाजार में ही किसी निजी कंपनी में काम करता था. हालांकि, तब भी उसने खुद को दिल्ली निवासी बताते हुए छद्म नाम से यहां रह रहा था. करीब दो साल पहले वो यहां से चला गया था, पर विष्णु की संपत्ति उसकी आखों में बार-बार खटकती रहती थी. उसे लगता था कि आसानी से बड़ी रकम की उगाही की जा सकती है. योजना को पूरा करने के लिए उसने अपने आसपास के ही साथियों को चुना और घटना को अंजाम देने की रूपरेखा तैयार करने में जुट गया. हालांकि, काफी शातिराना तरीके से उसने अपनी समझ से फुलप्रूफ योजना बनाई थी पर, अपराधी कितना भी चालाक हो कोई न कोई भूल कर ही बैठता है जिसे पकड़ते हुए कानून के लम्बे हाथ उसे दबोचने में सफल हो जाते हैं. इस घटना में भी ऐसा ही कुछ हुआ जिसके सहारे पुलिस अपराधियों तक पहुंचने में सफल हुई और बच्चे को सकुशल बरामद करते हुए पांच में से तीन अपराधियों को दबोचने में पुलिस को सफलता मिल गई. 

घटना की जानकारी देते एसपी उपेंद्र नाथ वर्मा साथ में एसडीपीओ सतीश कुमार सिंह तथा अन्य पुलिसकर्मी

एसपी ने बताया कि उनका सबसे पहली प्राथमिकता थी बच्चे की सकुशल बरामदगी. भले ही बच्चे को बचाने में अपराधी छूट भी जाते तो कोई चिंता नहीं होती. इस बीच आरा में छापेमारी करते हुए बच्चे को विष्णु के घर में किराएदार बनकर ठहरे मुजफ्फरपुर के बोचहा थाना क्षेत्र के सरफुद्दीनपुर निवासी आकाश कुमार के साथ सकुशल बरामद करने के साथ उसे गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस की पूछताछ में उसके अन्य साथियों के बारे में जानकारी मिली. जिसके बाद पटना से मुकेश को तथा मुजफ्फरपुर से पियर थाना क्षेत्र के घोसरामा निवासी प्रवीण कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि, घटना में शामिल उसके दो अन्य साथियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की गई, पर वो पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ सके. एसपी ने बताया कि अपराधियों के पास से दो बाइक के अलावा सात मोबाइल के अलावा अपहरण में प्रयोग किए गए कुल 15 सिम बरामद किए गए हैं. एसपी ने बताया कि बच्चे की बरामदगी में जिस प्रकार से दिन-रात एक कर पुलिस ने जी तोड़ मेहनत की है उसके लिए पूरी टीम को पुरस्कृत किया जाएगा. इसके अलावा इस अभियान में मीडिया का भी भरपूर योगदान रहा है, जिन्होंने बच्चे की सलामती को देखते हुए खबर की गोपनीयता को बनाए रखा. एसपी ने कहा कि सभी के सहयोग से ही इस अभियान में पुलिस को सफलता मिली है.
दादी की गोद में मासूम

मुकेश ने ही आकाश को घर में रखवाया:

पूर्व में विष्णु के घर में किराएदार रहे मुकेश ने खुद आकाश का परिचय अपने भाई के रूप में देते हुए यहां आइटीआई में पढ़ने के नाम पर एक सप्ताह पूर्व 22 जून को रखवाया था. तब तक अपहरण की पूरी योजना बनाई जा चुकी थी. आकाश ने परिवार में नजदीकी बढ़ाने के लिए बच्चे के साथ मामा-भांजा का रिश्ता तक जोड़ लिया. आकाश यहाँ पर दिल्ली निवासी अभय कुमार के नाम से बनवाए फर्जी आधार कार्ड को दिखाकर उसी नाम से रहने लगा था.

 1 दिन पहले बक्सर होटल में जुटे थे अपराधी, बनी थी पूरी योजना: 

अपहरण की इस पूरी योजना में कुल पांच अपराधी शामिल थे. आकाश पहले से ही यहां रह रहा था. जबकि घटना के एक दिन पहले शेष चारों अपराधी बक्सर आकर नगर थाना के बगल में मौजूद बक्सर होटल में ठहरे थे. यहीं पर वारदात को अंजाम देने के लिए सारी योजना तय की गई. इस काम में तीन बाइक का इस्तेमाल किया गया था. घटना को अंजाम देने के बाद सही समय पर आकाश के साथी मठिया मोड़ पहुंच गए थे. जहां से बाइक द्वारा ही आरा के लिए सभी निकल पड़े.

 पुलिस को लगातार देते रहे चकमा:

एसपी ने बताया कि अपहरण के बाद अपराधियों की तरफ से आए पहले एसएमएस में अपराधी खुद को यूपी में होने की बात बताते पहली बार 75 लाख रुपयों की मांग सामने रखी. तब तक सजग हो चुकी पुलिस ने जब मैसेज का लोकेशन देखा तब पता चला कि बक्सर स्टेशन से ही मैसेज भेजा गया था. तुरंत बक्सर स्टेशन की घेराबंदी कर दी गई पर कुछ पता नहीं चला. तब आरपीएफ कमांडेंट को कुछ देर पहले यहां से निकली ट्रेन की जांच करने को कहते हुए बच्चे की फोटो भी भेज दी गई. पर, आरपीएफ की सघन जांच के बाद भी कोई परिणाम सामने नहीं आया.

लगातार बदलते रहे लोकेशन:

पुलिस केा चकमा देने के लिए अपराधी लगातार लोकेशन बदलते रहे. बाद में आई फोन से आरा का लोकेशन मिलते ही एक टीम को आरा रवाना कर दिया गया. तब तक बच्चे को आरा में पहले से लिए गए किराए के मकान में स्थिर करने के बाद जिस नम्बर से अपराधी बात कर रहे थे. उस मोबाइल को लेकर आरा से आगे बढ़ गए. पुलिस लगातार लोकेशन के आधार पर पीछे लगी रही. इस क्रम में पटना से लेकर बख्तियारपुर तक लोकेशन के पीछे पुलिस लगी रही, और अपराधी लगातार अपना स्थान बदलते रहे.

चार टीमों का किया गया था गठन:

एसपी ने बताया कि बच्चे की सुरक्षित बरामदगी के लिए पुलिस की चार टीमों का गठन किया गया था. जिसमें एक टेक्निकल सेल के अलावा दो टीम पटना की ओर निकली थी जबकि डुमरांव डीएसपी केके सिंह के नेतृत्व में एक टीम जिले के हर संभावित स्थल को खंगाल रही थी. इस अभियान के दौरान पुलिस टीम में सदर डीएसपी सतीश कुमार, डुमरांव डीएसपी केके सिंह, डीआइयू प्रभारी अविनाश कुमार, अंचल निरीक्षक मुकेश कुमार, नगर थानाध्यक्ष रंजीत कुमार, औद्योगिक थानाध्यक्ष दिनेश कुमार मालाकार, डीआइयू के राजेश मालाकार, एसआइ आलोक कुमार, सुनील कुमार निर्झर, एसआई नीतू प्रिया के अलावा डीआइयू के सिपाही सोनू कुमार, पवन कुमार, राहुल कुमार, अरविद कुमार, मनीष कुमार, जैक, पिन्टु, रंजीत कुमार, अमित कमार तथा टाइगर मोबाइल के मनीष कुमार, गंगेश कुमार और शशिभूषण कुमार शामिल थे. एसपी ने बताया कि जिस प्रकार से पूरी टीम ने काम किया है वो प्रशंसनीय है इसके लिए पूरी टीम को पुरस्कृत किया जाएगा.













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